शुक्रवार, 8 अगस्त 2025

***क्या है आईएएस/ सिविल सेवक बनने की आपकी प्रेरणा



सिविल सेवा की तैयारी पर्वतारोहण की तरह है, रास्ता में कई बार आत्मसंशय की बदलियां घिर आती है। क्या मुझमें इस परीक्षा में सफल होनेवाली बात है, क्या मैं लाखों परीक्षार्थियों की भीड़ के बीच से सफलता के शिखर तक पहुंच सकता हूँ जैसे कई सवाल दिन -रात आपको परेशान करेंगे। मगर इन सभी के बीच सफलता का स्वाद वही चखेंगे जो स्वप्रेरित हैं, जो हर दिन खुद को हौसला देंगे, उम्मीद देंगे। आइयें इस परीक्षा या जीवन की अन्य परीक्षाओं में सफलता के लिए प्रेरणा की भूमिका के बारे में कुछ विचार करें। 


-यदि आप प्रेम करते हैं तो उसे अपनी सफलता की प्रेरणा बनाएं। यह भी सोचे कि आपके माता-पिता, भाई-बहन, प्रेमी/ प्रेमिका, दोस्त व शुभचिंतक आपकी सफलता से कितने खुश होंगे।  

-हर रोज आधे घंटे का समय सकारात्मक चिंतन की किताबों या पत्रिकाओं को दें।  अहा, जिंदगी, नवनीत, रीडर्स डाइजेस्ट जैसी पत्रिकाएं और प्रेरक जीवन चरित्र तथा विवेकानंद  , ए पी जे अब्दुल कलाम, और अपनी पसंद की अन्य प्रेरक किताबें पढ़ सकते हैं। 

-सफलता के लिए बस एक ईमानदार प्रयास काफी है।  अपने हर प्रयास को अपना अंतिम प्रयास मानकर अपना सर्वोत्तम देने का प्रयास करें। 

-पढाई का आनंद लें।  तैयारी को बोझ की तरह न लें वरन उसे आनंददायक बनाये। मौलिक, सृजनात्मक और नवीन बनने की कोशिश करें। 

- दूर-दराज के इलाकों में रहनेवाले, नौकरी करनेवाले या आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों को मैं कहना चाहूंगा कि हिम्मत न हारें। यदि आपमें प्रतिभा, संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास है और आप सही दिशा में परिश्रम करते हैं तो आप जरूर सफल होंगे। 

-हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं को सिविल सेवा के माध्यम के रूप में चुनने में मन में कोई भ्रान्ति न पालें। हिंदी के साथ अधिकांश भारतीय भाषाओं में तैयारी करनेवाले छात्रों ने सिविल सेवा में सफलता के झंडे गाड़े हैं।  आपकी सफलता आपके कड़े परिश्रम और भाषा माध्यम पर गहरी पकड़ से सुनिश्चित होती है। अंग्रेजी में लिखने से ही सिविल सेवा में सफल होने की संभावना ज्यादा होगी, यह एक अनावश्यक हौआ है। वही माध्यम चुनें जिसमें आप ज्यादा सहज हों और अपने को अच्छे से अभिव्यक्त कर सकते हों। 

-अपने आपको एक प्रशासक माने और तदनुरूप अपने व्यक्तित्व को निखारने में लगे रहें। ।  धीरे-धीरे आपकी चाल-ढाल, व्यवहार, बातचीत, लेखन क्षमता,  निर्णय लेने में सकारात्मक परिवर्तन परिलक्षित होंगे।  

- अपने लिए गलत आदर्श न चुनें।  सामान्यतः वर्तमान समाज में लोग आसानी से ग्लैमर की चमक से चकाचौंध हो जाते हैं।  आपके आदर्श पुरुष/स्त्री संघर्ष कर के सफलता पानेवाले, दीन-दुखियों की सेवा निःस्वार्थ में अपनी जिंदगी लगानेवाले, अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध करनेवाले , धरती को सुन्दर-सुखद और सार्वभौमिक प्रेम युक्त बनाने में लगे मनुष्य होने चाहिए। 

-जब आप अन्तःप्रेरित होते हैं तो आप वह सफलता प्राप्त करते हैं जो असफलता के अंधेरों से जूझते संघर्षरत लोगों के लिए प्रेरणा की मशाल का काम करती है। 

-जनता की सच्ची सेवा करने में जो सुख और आत्मसंतुष्टि है, वह कहीं और नहीं।  ऐसी अभिरुचि वाले लोगों के लिए सिविल सेवा से बेहतर विकल्प शायद ढूंढना मुश्किल हो।  प्राइवेट सेक्टर की नौकरी पैसे दे सकती है मगर संतुष्टि नहीं। 

- हिम्मत कभी न हारिये। संघर्षों के बाद जो सफलता मिलती है , उसका स्वाद काफी मीठा होता है। 
-कभी भी असफलता के लिए भाग्य को मत कोसें। निदा फ़ाज़ली की ये पंक्तियाँ याद रखें -
कोशिश भी कर, उम्मीद भी रख, रास्ता भी चुन। 
फिर उसके बाद थोड़ा मुकद्दर तलाश कर।  

-तैयारी के क्रम में जीवन जीने या इसका आनंद उठाने को कल के लिए स्थगित न करें। जीवन का आनंद उठाते हुए और स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखते हुए तैयारी में लगें।  

*महापुरूषों के जीवन संघर्ष एवं विचारों से प्रेरणा लें। भारतीय मनीषियों, विश्व के महान मानवतावादियों, भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों, तथा विवेकानंद, गाँधी, नेहरू, अरविन्द घोष, भगत सिंह, नेताजी, बाबा साहेब अंबेडकर, कलाम साहेब एवं ऐसे अन्य युगपुरुषों एवं आम जनता के निःस्वार्थ कृत्यों से प्रेरणा लें,  ईमानदार एवं कठिन परिश्रम कर राष्ट्रनिर्माण में लगे लोगों, समाज के वंचित तबकों की सेवा में अपना सर्वस्व अर्पण करनेवाले लोगों के  जीवन से मार्गदर्शन प्राप्त करें। 

*When going gets tough, tough gets going. विपरीत परिस्थितियों से कभी भी डरें नहीं। अपनी पूरी शक्ति से लड़ें। अगर आपके हृदय में समाज के हाशिये पर के लोगों, समाज, देश मानवता की सेवा करने जैसे बड़े लक्ष्य हों तो यह आपको अंदर से प्रेरित करेगा। 

*अपने आप को सकारात्मक विचारों से भर लें, अपनी इच्छा-शक्ति को मजबूत करें और इस विश्व को सभी प्राणियों के लिए बेहतर बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ें। अपनी तैयारी के संघर्षों का आनंद लें, तभी आप सफलता की मिठास का आनंद ले पाएंगे।      

अर्जुन की भांति बस चिड़िया की आँख पर नजर हो तो सफलता को आपके कदम चूमने से कोई नहीं रोक सकता। 

मंगलवार, 4 जून 2024

भारतीय चुनाव प्रबंधन

 भारतीय चुनाव पूरे दुनिया में अपनी तरह का सबसे अनूठा और विशालकाय अभ्यास है। मतदान पत्र  से लेकर EVM से चुनाव तक की यात्रा एक रोचक यात्रा रही है। प्रथम चुनाव आयुक्त श्री सुकुमार सेन द्वारा भारत के पहले निर्वाचन से जो यात्रा शुरू हुई, टी एन शेषण के समय जिसने अपने को और सशक्त बनाया , उसने आज तक कई रोमांचक उतार-चढाव देखे हैं। चुनाव भारतीय लोकतंत्र की सबसे मजबूत परंपरा है।


चुनाव प्रबंधन एक सतत प्रक्रिया है जो असली मतदान से काफी पहले शुरू हो जाती है। चुनाव आयोग द्वारा संसद के दोनों सदनों एवं राज्य की विधान सभा, विधान परिषद् के चुनाव की अगुवाई की जाती है।  इसमें संसद के अंग राज्यसभा एवं राज्यों की विधान परिषद् का निर्वाचन अप्रत्यक्ष मतदान द्वारा होता है अर्थात इसमें देश के सभी वयस्क लोग मतदाता नहीं होते। असली चुनौती होती है लोकसभा एवं राज्य विधान सभा के चुनाव में। सबसे पहला कार्य इसमें है इलेक्टोरल रोल को अद्यतन करना।  इसमें दिवंगत लोगों के नाम को हटाने एवं नए मतदाताओं के नाम को जोड़ने का कार्य एक पारदर्शी प्रक्रिया के साथ किया जाता है। इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए चुनाव आयोग द्वारा पर्यवेक्षक की नियुक्ति भी की जाती है। 


इसके बाद असली चुनाव के लगभग एक-दो  महीने पहले चुनाव की घोषणा के साथ चुनाव प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत होती है।  घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी प्रचलन में आ जाती है जिसका उद्देश्य सबों के लिए समान परिस्थिति उपलब्ध कराना और चुनाव प्रकिया को साफ़-सुथरा  बनाये रखना है। राज्यों में मुख्य निर्वाचन अधिकारी एवं जिलों में जिला कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी के नेतृत्व में रिटर्निंग ऑफिसर, इलेक्टोरल रोल ऑफिसर, और विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों को लेकर बनी चुनाव की टीम इस महती दायित्व को पूरा करने में जुट जाती है। 


नामांकन के समय उम्मीदवार को अपनी चल-अचल  संपत्ति के साथ -साथ अपने विरुद्ध चल रहे सभी मुकदमों एवं सरकारी बकायों का ब्यौरा देना पड़ता है। मतदाताओं को अपने उम्मीदवार के बारे में जानने का अधिकार है और इस सम्बन्ध में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद उपरोक्त विवरण को शपथ पत्र के रूप में नामांकन पत्र के साथ देने की शुरुआत हुई।  


प्राप्त नामांकन की स्क्रूटिनी रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा की जाती है और फिर उन्हें मतदान चिन्ह का वितरण किया जाता है। मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उनके निर्धारित चुनाव चिन्ह एवं निर्दलीय उम्मीदवारों को अन्य उपलब्ध चिन्ह  उनके द्वारा नामांकन पत्र में अंकित पसंद को ध्यान में रखते हुए निर्धारित प्रक्रियानुसार दिया जाता है। नामांकन वापस लेने का भी प्रावधान है और उसके बाद चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची तैयार की जाती है। 


EVM के विभिन्न तल के यादृच्छिकरण की प्रक्रिया के बाद उसे चुनाव के लिए तैयार किया जाता है और वहां भी पारदर्शिता हेतु सभी मशीनों में मॉक पोल किया जाता है।  राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की हर स्तर पर सहभागिता रहती है। चुनाव आयोग के द्वारा पूरी चुनाव प्रक्रिया की निगरानी हेतु भेजे सामान्य पर्यवेक्षक भी अपने-अपने क्षेत्रों में मौजूद होते हैं और स्थिति का निरंतर आकलन करते हुए चुनाव आयोग को उसकी रिपोर्ट देते हैं। चुनाव में विधि एवं व्यवस्था की निगरानी हेतु पुलिस पर्यवेक्षक एवं चुनावी खर्च की निगरानी हेतु व्यय पर्यवेक्षक भी मौजूद होते हैं। 


मतदान केंद्र एवं मतदान कर्मियों का भी पूरी चुनाव प्रक्रिया में अहम स्थान है। मतदान केंद्र के तौर पर अधिकांशतः सरकारी विद्यालयों, आंगनवाड़ी केंद्रों एवं ऐसे अन्य सुविधाजनक भवनों का चयन किया जाता है।  लगभग 1200-1500 मतदाताओं के ऊपर एक मतदान केंद्र की स्थापना की जाती है।  पीठासीन पदाधिकारी एवं मतकर्मी  मतदान दिवस के हीरो हैं जो अपने कर्तव्यों का सम्यक निर्वहन करते हैं। अर्ध सैनिक बल एवं पुलिस के जवानों, , NCC, NSS  जैसे संगठनों के सदस्यों की मतदान के दिन शांति-व्यवस्था बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। सेक्टर मजिस्ट्रेट  अपने जिम्मे के मतदान केंद्रों की हर विघ्न-बाधा, मशीन में कोई खराबी आने पर उसे बदलने और वहां पर मतदान दलों के पहुँचने से उनकी सुरक्षित वापसी तक जिम्मेदार होते हैं। 



सामान्यतः मतदान के एक दिन पूर्व मतदान सामग्री का  वितरण किया जाता है।  दूर-दराज के इलाकों के लिए यह प्रक्रिया पहले की जाती है।  मतदान के दिन सुबह से मॉक पोल के बाद उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट की मौजूदगी में चुनाव की प्रक्रिया EVM मशीन द्वारा मतदाताओं के मतदान करने से संपन्न होती है। मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग, वीडियोग्राफी, माइक्रो-ऑब्ज़र्वर आदि के द्वारा भी निगरानी की जाती है।  चुनाव कर्मी एवं सैन्य कर्मी हेतु पोस्टल बैलट से मतदान की व्यवस्था की गयी है। 85 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों एवं दिव्यांगों हेतु घर से पोस्टल बैलट द्वारा वोटिंग की व्यवस्था भी अब शुरू की गई है। 


भारतीय चुनाव में मतगणना के दिन का रोमांच किसी भी हॉलीवुड, बॉलीवुड या किसी भी भाषा  की ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रोमांच से बड़ा होता है। मतगणना निर्धारित दिवस एवं समय को उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि, मतगणना पर्यवेक्षक, मतगणना एजेंट की उपस्थिति में मतगणना कर्मियों द्वारा की जाती है। पहले पोस्टल बैलट की गणना के द्वारा शुरुआत होती है और फिर EVM के कण्ट्रोल यूनिट के द्वारा राउंड वार मतगणना की जाती है। चुनाव आयोग की वेबसाइट द्वारा परिणामों एवं रुझानों को लगातार अद्यतन किया जाता है।  मतगणना के अंत में  यादृच्छिक रूप से चयनित  5 VVPAT की पर्चियों की गिनती द्वारा कण्ट्रोल यूनिट मशीन द्वारा दिए गए परिणामों का मिलाप किया जाता है। मतगणना पर्यवेक्षक की लिखित सहमति के बाद  मतगणना के परिणाम की घोषणा नियमानुसार की जाती है और विजयी उम्मीदवार को रिटर्निंग अफसर द्वारा निर्वाचित होने का प्रमाणपत्र सौंपा जाता है। चुनाव की इस पूरी प्रक्रिया को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 एवं विभिन्न निर्वाचन संबंधी नियमों एवं चुनाव आयोग द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों के अनुपालन द्वारा पूर्ण किया जाता है।


चुनाव सुधारों की बात करें तो भारतीय चुनावों में प्रवासी लोगों का  मतदान एक ऐसा मुद्दा है जिसमें बदलाव अपेक्षित है ताकि भारत के विभिन्न कोनों में आजीविका हेतु गए लोग सुगमता पूर्वक वोट डाल सकें। प्रवासी लोगों के एक प्रभावी वोट बैंक बनने पर उनके कल्याण पर सरकारों का ज्यादा ध्यान होगा। राजनीति में युवाओं एवं  विभिन्न क्षेत्रों के सक्षम लोगों को भी और भी बढ़ावा दिए जाने की जरुरत है।    साथ ही मतदान प्रतिशत को भी निरंतर बढ़ाये जाने की जरुरत है। चुनाव और चुनाव प्रक्रिया में सतत सुधार सदैव आवश्यक है। 


 भारत में  आम चुनाव अपने आप में अद्भुत और अभिभूत करनेवाली प्रक्रिया है। यह वह प्रक्रिया है जो जनता- मतदाता  की संप्रभुता को साबित करती है।  भारतीय लोकतंत्र को सुदृढ़ता देने में चुनावों ने अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभायी है और भविष्य में भी इस प्रक्रिया को और सुदृढ़ बनाया जाए, इसीमें भारतीय लोकतंत्र का हित है। 


रविवार, 19 मई 2024

सिविल सेवा के बारे में संवैधानिक उपबंध एवं संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की भूमिका एवं कृत्य

किसी भी सिविल सेवक के लिए भारतीय संविधान एक पथप्रदर्शक के स्थान पर है। भारत के स्वाधीनता संग्राम के सबक, संविधान सभा की धारदार बहसें, संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, कर्तव्य ,  नीति निर्देशक तत्त्व, पंचायती राज एवं स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था एवं अन्य संवैधानिक प्रावधान सिविल सेवक को कठिन निर्णयों के समय दिशा दिखाते हैं। सिविल सेवाओं की व्यवस्था भारतीय संविधान में वर्णित है।   

भारतीय संविधान के 14 वें भाग में सिविल सेवाओं के बारे में प्रावधान हैं। 
अनुच्छेद 309, 310, 311, 312 में सिविल सेवाओं का वर्णन है जिसका सार संक्षेप निम्नलिखित है - 

अनुच्छेद 309-सक्षम विधायिका द्वारा अधिनियम बनाने की शक्ति एवं  राष्ट्रपति एवं राज्यपाल द्वारा सेवाओं की भर्ती एवं सेवा शर्तों के सम्बन्ध में नियम बनाने की शक्ति 

अनुच्छेद  310 -सिविल सेवक राष्ट्रपति या राज्यपाल के  प्रसाद पर्यन्त अपने पद पर बने रहेंगे। 
(उन्हेंअनुच्छेद 311 की सुरक्षा, मौलिक अधिकारों की सुरक्षा प्राप्त है।उन्हें विहित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही अनुच्छेद 311 के प्रावधानों के अधीन ही पदच्युत किया जा सकता है ) 
अनुच्छेद 311-केंद्र एवं राज्य की  सिविल सेवाओं को संरक्षण हेतु प्रावधान
पदच्युति नियुक्ति प्राधिकार के अधीनस्थ द्वारा नहीं , 
पदच्युति, पदावनति,  जांच के बिना नहीं जहां आरोप बताये गए हैं, उन आरोपों पर सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिया गया है, जांच के दौरान प्राप्त सबूतों के आधार पर दंड का अधिरोपण किया जा सकता है।  
अनुच्छेद  312 -अखिल भारतीय सेवा का वर्णन , नयी अखिल भारतीय सेवा के निर्माण की प्रक्रिया 

अखिल भारतीय सेवा एवं केंद्रीय राजपत्रित सेवाओं हेतु परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाती है। इस प्रतिष्ठित आयोग ने अपनी जनमानस में एक अटूट छवि और विश्वास साल-दर-सालबरक़रार  रखा है और इस कारण सिविल सेवा परीक्षा भारत की ही नहीं विश्व की सबसे कठिन एवं प्रतिष्ठित परीक्षाओं में एक मानी जाती है।  सिविल सेवाओं हेतु परीक्षा संघ UPSC के बारे में संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 315 से से 323 तक हैं और इन प्रावधानों का संक्षिप्त विवरण निम्नवत है-

अनुच्छेद 315 के अनुसार  संघ के लिए एक लोग सेवा आयोग होगा और प्रत्येक राज्य के लिए  एक लोक सेवा आयोग होगा | 

अनुच्छेद 316  के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी  |  सदस्यों में लगभग आधे ऐसे व्यक्ति होंगे जो अपनी  नियुक्ति की तारीख पर भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कम -से -कम दस वर्ष पद धारण किया हो |   संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य अपने पद ग्रहण की तारीख से छः वर्ष की अवधि तक या 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक अपना पद धारण करेगा। संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य राष्ट्रपति  को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित पत्र द्वारा अपना पद त्याग सकेगा | 
इस अनुच्छेद में राज्य लोक सेवा के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया का भी वर्णन है जिनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी। 

अनुच्छेद 317   के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष या कोई  अन्य सदस्य यदि दिवालिया घोषित होता है, अपनी पद पर रहते हुए अपने कर्तव्यों के इतर किसी सवेतन नियोजन में लगता है या राष्ट्रपति राय में मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण अपने पद पर बने रहने के अयोग्य है , तो राष्ट्रपति अध्यक्ष या ऐसे अन्य सदस्य को आदेश द्वारा पद से हटा सकेंगे। 

संघ लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष या कोई  अन्य सदस्य यदि निगमित कंपनी के सदस्य के रूप में या संयुक्त रूप में भारत सरकार या राज्य सरकार के द्वारा या निमित्त किये गए करार से सम्पृक्त  या हितबद्ध हो या उसके लाभ, फायदे या उपलब्धि में साझीदार हों तो इसे कदाचार माना जायेगा | इस कदाचार या किसी अन्य कदाचार में राष्ट्रपति के निर्देश  उपरांत उच्चतम न्यायलय द्वारा अनुच्छेद 145 के अधीन जांच पर प्रतिवेदन दिया जायेगा जिसमे कदाचार पुष्ट होने पर राष्ट्रपति अध्यक्ष या ऐसे अन्य सदस्य को आदेश द्वारा पद से हटा सकेंगे। 

अनुच्छेद 318  के अनुसार राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग के  सदस्यों की संख्या और उनकी सेवा की शर्तों का विनियमों द्वारा निर्धारण करेंगे मगर लोक सेवा आयोग के  सदस्यों की सेवा की शर्तों में उनकी नियुक्ति के पश्चात् कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जायेगा | राज्य लोक सेवा आयोग के संबंध में यह शक्ति राज्यपाल के पास है।  

अनुच्छेद 319   के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष भारत सरकार या किसी राज्य सरकार की अधीन किसी भी और नियोजन का पात्र नहीं होगा। संघ लोक सेवा आयोग के   अध्यक्ष से भिन्न अन्य सदस्य संघ लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष या राज्य  लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के पात्र होंगे किन्तु भारत सरकार या किसी राज्य सरकार की अधीन किसी भी और नियोजन का पात्र नहीं होंगे ।राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य (अध्यक्ष को छोड़कर ) संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य बनने या किसी किसी भी राज्य सेवा आयोग के अध्यक्ष बनने के पात्र होंगे।  

अनुच्छेद 320   के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग संघ की सेवाओं के लिए परीक्षाओं का संचालन करेगी। इसके साथ ही सिविल सेवा और सिविल पदों पर भर्ती की प्रद्धति से संबंधित विषयों पर,  इन पर नियुक्ति में, एक सेवा से दूसरी सेवा में प्रोन्नति या अंतरण में, सेवाओं से संबंधित अनुशासनिक विषयों, क्षतिपूर्ति पेंशन जैसे कई बिंदुओं पर राष्ट्रपति के निर्देश पर परामर्श देने की संघ लोक सेवा आयोग की अहम् परामर्शदात्री भूमिका है। राज्य लोक सेवा आयोग राज्य हेतु समान भूमिका निभाएगी।   

अनुच्छेद 321 के अनुसार संसद संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संघ की सेवाओं  संबंध में और किसी स्थानीय प्राधिकारी या विधि द्वारा गठित अन्य निगमित निकाय या किसी लोक संस्था की सेवाओं के संबंध में भी  अतिरिक्त कृत्यों के प्रयोग के लिए उपबंध कर सकेगा। राज्य विधायिका द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग के संबंध में यही भूमिका निभायी जाएगी। 

अनुच्छेद 322  के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग के व्यय भारत की संचित निधि पर भारित होंगे एवं राज्य लोक सेवा आयोग के व्यय राज्य की संचित निधि पर भारित होंगे। 


अनुच्छेद 322  के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग का यह कर्त्तव्य होगा की वह राष्ट्रपति को आयोग द्वारा किये जाने वाले कार्यों  संबंध में वार्षिक प्रतिवेदन दे  और राष्ट्रपति उन मामलों के संबंध में जिसमें आयोग की सलाह स्वीकार नहीं की गयी थी, अस्वीकृति के कारणों  स्पष्ट करने वाले ज्ञापन सहित उस प्रतिवेदन  की प्रति संसद के दोनों सदनों के सम्मुख रखवाएंगे। 
राज्य लोक सेवा आयोग वार्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को देंगे और इसे उपरोक्त रूप में राज्य विधानमंडल के सम्मुख रखा जायेगा। 

सिविल सेवा के संबंध में ये प्रावधान एक नियमबद्ध एवं देश के विकास के लिए प्रतिबद्ध सेवा हेतु सभी आवश्यक प्रावधानों को संवैधानिक संरक्षण दे कर सिविल सेवाओं को उनकी आंतरिक मजबूती प्रदान करते हैं और सेवाओं को एक गरिमापूर्ण उत्तरदायित्व के रूप में सामने लाते हैं। 

रविवार, 24 दिसंबर 2023

सिविल सेवा मुख्य परीक्षा- भारतीय भाषा प्रश्न पत्र (हिंदी )


सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सबसे पहला पेपर भारतीय भाषा का है जिसमे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किसी भी भाषा को चुना जा सकता है | हिंदी भाषियों के लिए सबसे सुगम विकल्प हिन्दी है | कुछ लोग मैथिली भाषा भी अपनी सुविधानुसार चुन सकते हैं |   यह पत्र  UPSC की नोटिस के अनुसार दसवीं के स्तर का है मगर वास्तविकता में यह उससे थोडा सा भारी है |  वैसे तो इस पत्र के अंक आपके रैंक को निर्धारित करने में कोई भूमिका नहीं निभाते, मगर अगर आप इस पत्र में पास करने हेतु  अंक नहीं लाते हैं तो आपके सिविल सेवा में आने के सपने को एक साल का और इंतजार करना पद सकता है | इस पत्र में पास होने पर ही आपके अन्य पत्रों की जांच की जायेगी | इस पत्र की तैयारी के लिए मुख्य बातें मैं संक्षेप में आपके सामने रख रहा हूँ |

वर्तमान में यह पत्र 300 अंकों का है जिसके लिए 3 घंटे का समय निर्धारित है। अर्हक अंक UPSC 2023 की नोटिफिकेशन के अनुसार 25 % है। आत्मविश्वस्त रहने के लिए इस पत्र में कम-से-कम 60 % अंक आ सके, ऐसी तैयारी रखें।  

इस पत्र के वर्तमान पैटर्न में 600 शब्दों में निबंध लिखना होता है जिसकी तैयारी आपको अलग से करने की कोई आवश्यकता नहीं। इसके लिए 100 अंक हैं।   यह निबंध पत्र की तैयारी के साथ स्वयमेव तैयार हो जायेगा। वर्ष 2022 में सामान्य हिंदी पत्र में पूछे निबंध इस प्रकार हैं -
नवीकरणीय ऊर्जा - संभावनाएं एवं चुनौतियां 
संचार क्रांति का महत्त्व 
खेलों का बढ़ता व्यवसायीकरण 
खान-पान का स्वास्थ्य पर प्रभाव 

फिर , 60  अंकों के गद्यांश आधारित प्रश्न हैं जिन्हें बनाने में ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए। सामान्यतः, यदि आप अच्छे पाठक हैं तो ये प्रश्न आपके लिए चुटकी बजाते हल होनेवाले हैं। और, प्रारंभिक परीक्षा में सी-सैट  में भी आप गद्यांश आधारित प्रश्नों की तैयारी कर चुके होते हैं। 

अगला खंड है दिए गए गद्यांश का एक तिहाई शब्दों में संक्षेपण लिखने का। इसके लिए भी 60  अंकों का प्रावधान है। इसके लिए थोड़ा अभ्यास वांछनीय हैं। 

फिर 20 अंकों का अंग्रेजी से हिंदी और 20 अंकों का  हिंदी  से अंग्रेजी अनुवाद है। यह खंड कुछ विद्यार्थियों को थोड़ा भारी लग सकता है पर चूँकि यह पत्र क्वालीफाइंग है, इसलिए किसी कमजोर खंड को  लेकर आप फ़िलहाल तनावग्रस्त न हों।  हालांकि, वर्तमान में संपर्क भाषा के तौर पर ठीक-ठाक अंग्रेजी जानना आपके आत्मविश्वास के लिए अच्छा है। 

इसके बाद का 40 अंकों का खंड हिंदी व्याकरण का है। मुहावरों का वाक्य में प्रयोग, वाक्यों को शुद्ध करके लिखने जैसे सवाल, पर्यायवाची शब्द, श्रुति सम भिन्नार्थक शब्दों के वाक्य प्रयोग द्वारा अर्थान्तर  स्पष्ट करने जैसे 10-10 अंको के चार सवाल आते हैं।

इस पत्र की तैयारी के लिए डॉ वासुदेवनन्दन  प्रसाद की आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना या कोई भी अन्य समकक्ष हिंदी व्याकरण एवं रचना की पुस्तक ली जा सकती है। पुस्तक से सब कुछ तैयार करने की जगह निर्धारित पाठ्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करें।   

कुल मिलाकर हिंदी भाषी विद्यार्थियों के लिए यह एक सरल पत्र है। मगर इसको हलके में लेने की भूल मत करें।  अगर इस पत्र में पास मार्क नहीं, तो आपके सिविल सेवा का सपना टूट सकता है। 



रविवार, 2 जुलाई 2023

IAS @ हिंदी माध्यम -पुस्तक के रूप में



अपनी पहली पुस्तक को आप सबों को हाथों में सौंपने में मुझे अतीव आह्लाद का अनुभव हो रहा है।  यह पुस्तक इस  ब्लॉग पर आप सबों के साथ और प्यार से प्रेरित है।  आशा है की पुस्तक को आप सबों का प्यार प्राप्त होगा।  पुस्तक अमेज़न और प्रभात प्रकाशन के प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं के पास उपलब्ध है।  अमेज़न पर पुस्तक का लिंक निम्नवत है -

https://amzn.eu/d/6ilYWuO 


आपका, 

केशवेंद्र कुमार 



रविवार, 8 जनवरी 2023

DISTANCE EDUCATION से भी आप बन सकते हैं आईएएस

 दोस्तों, मेरे ब्लॉग पर एक सवाल बहुत बार लोगों ने पूछा है की अगर उन्होंने IGNOU से स्नातक किया है,  क्या वे IAS की परीक्षा दे सकते हैं।  जवाब है हाँ।  मैंने खुद स्नातक और परास्नातक की डिग्री इग्नू से ली है। विगत 15 वर्षों में बहुत से ऐसे विद्यार्थियों ने सिविल सेवा परीक्षा पास की है जिन्होंने स्नातक की डिग्री IGNOU या किसी अन्य प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त दूरस्थ शिक्षा कोर्स से की है। 

Distance education too can give IAS officers

UPSC की वर्ष 2022 की सिविल सेवा की नोटिस से शैक्षणिक योग्यता के सम्बन्ध में प्रावधान निम्नलिखित है- 

स्नातक डिग्री या समकक्ष योग्यता भारत के  केंद्र या राज्य विधानमंडल द्वारा निगमित विश्वविद्यालय या संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित  या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 के खंड 3 के अधीन विश्वविद्यालय के समकक्ष मानी गयी किसी अन्य शिक्षा संस्थान द्वारा। 

जो विद्यार्थी स्नातक या समकक्ष परीक्षा दे चुके हैं और रिजल्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं वे भी प्राम्भिक परीक्षा दे सकते हैं लेकिन मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरने के समय परीक्षा उत्तीर्ण होने का प्रमाणपत्र देना होगा। 

IGNOU भारत की संसद द्वारा स्थापित विश्विद्यालय है और इसकी स्नातक डिग्री के साथ आप गर्व से सिविल सेवा परीक्षा में बैठ सकते है।  इग्नू की कई विषयों की किताबें सिविल सेवा की तैयारी के लिए सबसे बेहतरीन पुस्तकों में गिनी जाती है।  

यहां तक की जो छात्र कॉलेज से स्नातक की डिग्री लेकर UPSC सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और कहीं से PG की पढाई अभी नहीं कर रहे हैं, उनके लिए भी तैयारी के साथ अपने वैकल्पिक विषय से PG कोर्स में एडमिशन IGNOU या किसी अन्य प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त दूरस्थ शिक्षा कोर्स  में लेना वैकल्पिक विषय की तैयारी को मजबूत करने के साथ PG डिग्री हासिल करने के हिसाब से बेहतरीन रणनीति है।  

तो, दूरस्थ शिक्षा के कारण आपके मन में कोई भी संशय हो तो उसे निकाल फेंके और नए विश्वास के साथ लग जाए सिविल सेवा की तैयारी में। 

रविवार, 1 जनवरी 2023

नववर्ष 2023 में सफर चलता रहे यूं ही

सफर चलता रहे यूं ही ।

दिल मचलता रहे यूं ही ।।


मुकम्मल होने की चाहत रहे।
अधूरापन खलता रहे यूं ही ।।

हुस्न तो नूर है इलाही का ।
आशिकों को  छलता रहे यूं ही ।।

तूफानों में बीच समंदर खेवे नैया।
न कोई किनारे हाथ मलता रहे यूं ही ।।

सिकंदर को भी जहां से खाली हाथ जाना है ।
चांद सितारों का अहं गलता रहे यूं ही ।।

जलेगा राख होगा फिर भी उससे आएगी खुशबू।
दिल तो दिल है, जले, जलता रहे यूं ही ।।

तीर लोहे का हो या सरकंडे का ।
तीर का मोल है, निशाने हलता रहे यूं ही ।।

दोस्तों पे प्यार हो, दुश्मनों पे वार हो ।
दुश्मन की छाती पे मूंग दलता रहे यूं ही।।

दोस्ती जज्बा है वो जिसका कोई जोड़ नहीं।
दोस्तों का बिछड़ना टलता रहे यूं ही ।

लाख नाउम्मीदी हो, अंधेरे हो
सीने में आस पलता रहे यूं ही

डूबते हुए भी छठ में जिसे पूजते हैं
नई सुबह आने को,सूरज ढलता रहे यूं ही ।।

दीप से दीप जले, हाशिए भी रौशन हो ।
अच्छा काम फलता रहे यूं ही ।।

नववर्ष 2023 की हार्दिक शुभमंगलकामनाएं।   

शनिवार, 24 दिसंबर 2022

UPSC CIVIL SERVICE INTERVIEW 2022

 सिविल सेवा 2022  की मुख्य परीक्षा का परिणाम एवं साक्षात्कार की तिथि  आ चुकी  है | ।  30.01.2023 से ही साक्षात्कार शुरू हो रहे हैं और इसी थोड़े समय में आपको अपने व्यक्तित्व में धार लगानी है। आपको साक्षात्कार बोर्ड के सामने अपने आपको सम्पूर्णता में सामने रखना है अपनी मानवीय खूबियों-खामियों के साथ। मेरी सलाह यही है की चिंता में अपना सर खुजाने की जगह उपरवाले का शुक्रिया अदा करते हुए आगे की तैयारियों में जुट जाये। 

साक्षात्कार की तैयारी के समय सिविल सेवा परीक्षा की नोटिफिकेशन से साक्षात्कार के सम्बन्ध में दिए निर्देश को अपने दिशासूचक की तरह प्रयोग करें  | ये निर्देश इस प्रकार हैं -

अ)उम्मीदवार  का साक्षात्कार एक बोर्ड द्वारा होगा जिसके सामने उम्मीदवार का बायोडाटा होगा | उससे सामान्य रूचि की बातों पर प्रश्न पूछे जायेंगे | साक्षात्कार का उद्देश्य यह जानना है की उम्मीदवार लोकसेवा के लिए व्यक्तित्व की दृष्टि से उपयुक्त है या नहीं | यह परीक्षा उम्मीदवार की मानसिक क्षमता को जांचने के अभिप्राय से की जाती है | मोटे तौर पर इस परीक्षा का प्रयोजन न केवल उसके बौध्दिक गुणों को वरन सामाजिक लक्षणों को और सामाजिक घटनाओं में उसकी रूचि  का भी  मूल्याङ्कन करना  है | इसमें उम्मीदवार की मानसिक सतर्कता, आलोचनात्मक ग्रहण शक्ति, स्पष्ट और तर्क संगत प्रतिपादन की शक्ति, संतुलित निर्णय की शक्ति, रूचि की विविधता और गहराई, नेतृत्व और सामाजिक संगठन की योग्यता, बौधिक और नैतिक ईमानदारी की भी जांच की जा सकती है |

आ) साक्षात्कार की प्रणाली क्रॉस-एग्जामिनेशन की नहीं वरन स्वाभाविक वार्तालाप की प्रक्रिया द्वारा उम्मीदवार के मानसिक गुणों का पता लगाने का प्रयत्न किया जाता है | परन्तु, वह वार्तालाप एक विशेष दिशा में एवं एक विशेष प्रयोजन से होता है |

इ) साक्षात्कार उम्मीदवार के सामान्य या विशेष ज्ञान की परीक्षा के लिए नहीं होता क्यूंकि उनकी जांच लिखित प्रश्न पत्रों में पहले ही हो जाती है | उम्मीदवारों से आशा की जाती है की वो ना केवल अपने शैक्षणिक विशेष विषयों में पारंगत हो बल्कि उन घटनाओं पर भी ध्यान दें जो उनके चारों और अपने राज्य या देश के भीतर और बाहर घट रही हैं, तथा आधुनिक विचारधारा और नई-नई खोजों में भी रूचि लें जो की किसी सुशिक्षित युवा में जिज्ञासा पैदा कर सकती है |"


साक्षात्कार की औपचारिकताओं से मैं इस लेख की शुरुआत करना चाहूँगा | ये चीजें महत्वपूर्ण है पर बहुत ज्यादा नहीं।  साक्षात्कार बोर्ड के लोग आप सिविल सेवा के लिए कितने उपयुक्त है, इसे जांचने-परखने के लिए बैठे हैं।  इसलिए आपके अन्दर क्या है, यह उनके लिए ज्यादा मायने रखता है। हालांकि, बाहरी व्यक्तित्व भी गरिमामय हो, इस बात का ध्यान रखना जरुरी है। 

1.औपचारिकताए-- साक्षात्कार के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यताओं के सारे सर्टिफिकेट करीने से रखें | जाति प्रमाणपत्र (अगर आप अनुसूचित जाति/ जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं ),  अपने नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाणपत्र (अगर आप वर्तमान में नौकरी कर रहे हैं ) और साक्षात्कार फॉर्म में दिए अन्य निर्दिष्ट प्रमाण पत्र साथ में रखना ना भूलें | आपके साक्षात्कार से पहले आपके सर्टिफिकेट वेरीफाई किये जायेंगे |

2.वेश-भूषा -  आपका पहनावा औपचारिक एवं गरिमापूर्ण होना चाहिए | हाँ, इस बात का ध्यान रखे की आप मॉडलिंग के लिए नहीं जा रहे हैं | मैंने अपने साक्षात्कार के लिए डार्क ब्लू कलर की पैंट और उजले में महीन सोबर डिजाईन वाली शर्ट पहनी थी | टाई का प्रयोग आपकी इच्छा पर है, पर अगर आप इसके साथ आरामदेह है तो टाई का व्यवहार करे | बेल्ट और शू फॉर्मल होनी चाहिए | सबसे महत्त्वपूर्ण बात है की आप अपने साक्षात्कार के दिन के ड्रेस के साथ सहज और विश्वस्त होने चाहिए | साक्षात्कार के पहले ड्रेस को दो-तीन बार पहने | एक वैकल्पिक जोड़ा भी साथ में रखे |

3.अभिवादन -
हिंदी माध्यम से जो छात्र साक्षात्कार देने जाते हैं, उनको इस बात की सबसे ज्यादा उलझन होती है की अभिवादन में हिंदी का व्यवहार करे या प्रचलित अंग्रेजी जुमलों का | मेरी अपनी राय है की जब आप पूरा साक्षात्कार हिंदी में देने जा रहे हैं तो उसकी शुरुआत अंग्रेजी के साथ करना इस बात को दर्शाता है की आप अपनी भाषा को कमतर मानते है | कमरे में प्रवेश के समय अनुमति भी हिंदी में ही मागे- "क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ श्रीमान ?"( वैसे बहुत बार इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है , साक्षात्कार बोर्ड गेट खुलते ही  आपका नाम पुकारते हुए आपको अन्दर आकर बैठने को कह सकता है |) अन्दर जाकर आप अपने लिए निर्दिष्ट कुर्सी के पास जाकर खड़े होकर चेहरे पर मुस्कराहट के साथ भारतीय परम्परा में साक्षात्कार बोर्ड के अध्यक्ष/अध्यक्षा एवं अन्य सदस्यों की तरफ देखते हुए हाथ जोड़ कर नमस्कार करे | सामान्यतः चेयरमैन बीच में और चार अन्य सदस्य (दो उनकी दायीं तरफ और दो बायीं तरफ ) होते हैं | आप अभिवादन करते हुए एक बार चेयरमैन को, एक बार दायीं और के दो सदस्यों को और एक बार बायीं और के दो सदस्यों को देखते हुए नमस्कार करें | सारे सदस्यों को अलग- अलग नमस्कार करने की जरुरत नहीं है | हाँ  अगर कोई महिला सदस्य हो तो आप उन्हें अलग से नमस्ते कर सकते हैं |


4.बायो-डाटा -    आप सबों की तरह मुझे भी ये शंका थी कि आप के सर्टिफिकेट और बायोडाटा साक्षात्कार कक्ष में आपके साथ रखना जरुरी है या नहीं? आपके द्वारा भरे गए विवरण के आधार पर आपका बायोडाटा साक्षात्कारकर्ताओं के पास मौजूद होता है | अतः , आप अपने बायोडाटा और सर्टिफिकेट की फाइल  एहतियात के तौर पर अपने साथ साक्षात्कार कक्ष में ले भी  सकते हैं या कक्ष के बाहर यदि उसे रखने की व्यवस्था हो तो छोड़ भी सकते हैं |  


 
तो, साक्षात्कार के दिन क्या पहनना है, किस तरह के कपड़े आपके व्यक्तित्व की सही  झलक देंगे, प्रमाणपत्र, बायोडाटा जैसी आवश्यक  औपचारिकताए 3-4  दिनों के अन्दर निपटा ले।  इनके बाद आपको अपने साक्षात्कार के केंद्र बिंदु पर ध्यान देना है। 

सबसे पहले आपने प्राथमिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के फॉर्म को भरने में जो जानकारियां भरी हैं, उनकी एक कॉपी ले अपनी एक डायरी या नोट बुक में साक्षात्कार के संभावित मुद्दों एवं  का चयन करे एवं संभावित प्रश्नों  उनका करें।

कुछ संभावित टॉपिक इस प्रकार हैं-

१. आपकी शैक्षिक पृष्ठभूमि - आपने जिस विषय से स्नातक एवं उससे ऊपर का अध्ययन किया है उसकी एक स्तरीय जानकारी होना आपके लिए जरुरी है. वर्तमान में उस विषय से जुड़े मुद्दे जो ख़बरों में हो उसकी भी जानकारी आपके लिए अनिवार्य है। साक्षात्कार बोर्ड  आपसे आपके पढ़े विषयों की  गंभीर जानकारी अपेक्षित  करता है खासकर जब वो आपका वैकल्पिक विषय भी हो। 

२. आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि - आपके माता- पिता , भाई- बहन के कार्यक्षेत्र से जुडी महत्तवपूर्ण बातें | 

३. आपका गृह राज्य- उसका इतिहास-भूगोल-राजनीति-कला-संस्कृति और वहां वर्तमान में चर्चा में रही ख़बरें जो राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में रही हो।  

४. आपका गृह जिला- वहां की खास बातें, वहां का प्रशासन, अगर आपको वहां का जिला कलक्टर या पुलिस कप्तान का कार्यभार दिया जाये तो क्या बदलाव लायेंगे.

५. आपका कर्म क्षेत्र एवं  कर्म भूमि-  अगर आप किसी नौकरी में  हों तो उस नौकरी के कार्य, महत्त्व, आंकड़े, संगठन और अन्य जरुरी बातों को भी तैयार कर ले |  आप कही दुसरे राज्य में कार्य कर रहे हैं तो उस राज्य और जिले के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाना जरुरी है. जैसे पश्चिम बंगाल में  काम कर रहे लोगों के लिए विवेकानंद एवं रामकृष्ण मिशन, नक्सलवाद, बंगाल का विकास, बंगलादेशी शरणार्थियों और आप्रवासियों की समस्या जैसे मुद्दे पर विस्तृत जानकारी जरुरी है.  राजस्थान में यदि आप नौकरी कर रहे हैं  राजपूताने का इतिहास, रेगिस्तान से जुडी जानकारियां, पर्यटन, वहां के किले, जल संरक्षण जैसे बिंदु आपको जानने चाहिए | 

६,भारत के इतिहास, भूगोल, वर्तमान, भविष्य, यहाँ की कला-संस्कृति-सभ्यता- धर्म-साहित्य- प्रशासन-राजनीति जैसे मुद्दों पर आपके पास समुचित जानकारी होनी चाहिए | 

७.अंतर्राष्ट्रीय संबध -खासकर भारत के विदेश संबंधों के बारे में आपकी स्पष्ट राय होनी चाहिए. अभी खासकर इस  सम्बन्ध में कुछ अहम् मुद्दे निम्न हैं -
* G  20 की अध्यक्षता एवं महत्त्व, 
*संयुक्त राष्ट्र संघ  भारत की भूमिका,
* रूस-यूक्रेन  युद्ध और रूस -नाटो के तनाव के तृतीय विश्व  युद्ध में बदलने की सम्भावना 
*क्या भारत की रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थता और रूस से पेट्रोलियम खरीदना भारत के विदश नीति हेतु ठीक है 
* श्रीलंका का आर्थिक संकट और जन आंदोलन 
*गलवान, डोकलाम, अरुणाचल तिब्बत पर चल  रहे विवादों के बीच भारत चीन संबंध और भारत को चीन के साथ संतुलन हेतु सामरिक, आर्थिक एवं वैश्विक सम्बन्ध में क्या करना चाहिए 
* पाकिस्तान के साथ भारतीय संबंधों की वर्तमान स्थिति 
*अफगानिस्तान की  वर्तमान तालिबान  सरकार के साथ भारत के संबंध 

८.आपने सेवाओं की जो प्राथमिकता दी है, उसके स्पष्ट और तर्कपूर्ण उत्तर आपके पास होने चाहिए. और आपके उत्तरों से ऐसा नही लगना चाहिए की आप किसे सर्विस को कम करके आंक रहे हैं .
उदाहरण के लिए यदि आपकी पहली प्राथमिकता आईएएस और दूसरी आईएफएस है तो उसका कारण आपसे पूछा जा सकता है. अगर आपने कुछ अनोखी प्राथमिकताएँ दी है, तो सवाल पूछे जाने की संभावनाएं ज्यादा होती है. जैसे किसी की प्रथम चॉइस अगर IRS या आईपीएस हो तो 'क्यूँ 'का आपके पास संतोषजनक उत्तर होना चाहिए.

९. राज्यों की प्राथमिकताओं पर भी सवाल हो सकते हैं. ईमानदार जवाब काफी है. हर किसी के अपने गृह राज्य या नजदीक के राज्य या पसंद के राज्य में जाने के अपने -अपने कारण होते है. उसे विश्वस्तपूर्ण रूप में बताना काफी है. हाँ, बोर्ड को ये नही लगना चाहिए की आप समस्याग्रस्त राज्यों से भागने की चेष्टा कर रहे हैं.

१०. बजट एवं एवं भारतीय अर्थव्यवस्था  के बारे में मुख्य जानकारियां आपके पास होनी चाहिए.

११. समसामयिक मुद्दों  जैसे 
*फुटबॉल को भारत में कैसे बढ़ावा दिया  सकता है ताकि विश्व कप फुटबॉल जैसे मुकाबलों में  भारत की टीम भी हिस्सा ले सके 
*कोरोना से देश-दुनिया में आये बदलाव 
*प्राथमिक स्वस्थ्य को सुदृढ़ किये  आवश्यकता 
*जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के  प्रश्न का क्या समाधान 
*क्या क्रिप्टो करेंसी को बैन किया जाना चाहिए 
* TB के उन्मूलन की भारत की 
*  प्रशासनिक भ्रष्टाचार की रोकथाम 
*  महिलाओं के विरुद्ध  बढ़ते जघन्य  अपराध और उन्हें रोकने की  रणनीति 
 * जनांदोलन का बदलता स्वरुप 

 इन समसामयिक मुद्दों पर आपके पास एक संतुलित और तार्किक राय होनी चाहिए. अति से बचे. हमेशा ध्यान रखे की विचारों में बुध्ध के मध्यम  मार्ग का पालन हमेशा श्रेयस्कर होता है. मूल्यों पर अटल रहे पर विचारों में लचीलापन बनाये रखे. आपके खुद के विचार समय के साथ कैसे बदलते हैं , इसका विश्लेषण करने पर आप इस बात की उपयोगिता समझ पाएंगे. अपने विचारों के साथ दूसरों (बोर्ड के सदस्यों ) के विचारों का भी आदर करे और हठधर्मिता से बचे। किसी व्यक्ति, संस्था,देश,  अंतर्राष्ट्रीय संगठन, NGO के बारे  में प्रश्न होने पर सकारात्मक-नकारात्मक पहलुओं के  साथ संतुलित विचार रखें | 

१२. पाठ्येतर गतिविधियों में अगर आपकी सहभागिता रही है तो उसके बारे में पूरा जानकारी जुटा कर रखे.

१३. आपने फॉर्म में जो शौक फरमाए हैं(HOBBY) वो आपको शौक न दें, इसका ख्याल रखे. हॉबी से साक्षात्कार  में ढेर सारे सवाल आने की आशा रख सकते हैं. इसलिए, हॉबी में आपने जो- जो विषय दिए हैं, उसके बारे में आपके पास पूरी जानकारी होनी चाहिए. जैसे, अगर आपने किताबें पढना अपनी हॉबी में दिया है तो हाल में पढ़ी अच्छी किताबों के बारे में, आपके प्रिय लेखक एवं कवि के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए.  आपको साहित्यिक फेस्टिवल एवं पुस्तक मेलों के आयोजन के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए. हॉबी पर मैंने एक विस्तृत आलेख दिया है जिसे आप एक बार देख सकते हैं.

१४.बहुत सारे परिस्थिति वाले सवाल आपसे पूछे जा सकते हैं जैसे-
---आपके जिले  कोविड के केस तेजी से बढ़ रहे हैं, आप जिला पदाधिकारी के तौर पर क्या कदम उठायेंगे। 
---आपके जिले में एक  पुराना पल पुल क्षतिग्रस्त हो गया है और और वहां कई लोगों  के फंसे होने की सूचना है, आप क्या कदम उठाएंगे | 
   --अगर आप किसी नक्सल प्रभावित जिले में पोस्टेड हो तो नक्सलवाद से निपटने के लिए क्या कदम उठाएंगे?
---आपको ऐसे जिले में पोस्टिंग मिली है जहाँ पेयजल की भारी समस्या है, आप उससे कैसे निपटेंगे?
---आपके जिले में भूकंप या चक्रवात या बाढ़ जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आने की चेतावनी मिली है. आप क्या-क्या कदम उठाएंगे?

इन सारे मुख्य विषयों पर पूछे जा सकने वालों सवालों की खुद से सूची बनाये और उनके जवाब तैयार करे।  अपने साथियों के साथ पूरी गंभीरता से छद्म साक्षात्कार की तैयारी करे।  जरुरत लगे तो कोचिंग संस्थाओं के छदम साक्षात्कार बोर्ड की सहायता भी ले सकते हैं।  पत्रिकाओं से सफल प्रतिभागियों के साक्षात्कार पढ़े। उनसे आपको साक्षात्कार में पूछे जा सकने वाले प्रश्नों की विविधता का अंदाजा लगेगा।  साक्षात्कार पर   कुछ स्तरीय बुक भी ले सकते हैं। पत्रिकाओं में कम्पटीशन सक्सेस रिव्यु के साक्षात्कार वाले कॉलम और विश्लेषण से आपको काफी सहायता मिलेगी।  इसके 2 -3 सालों के अंक  साक्षात्कार एवं ग्रुप डिस्कशन के कॉलम अच्छे से पढ़ पढ़ लें। 


साक्षात्कार कक्ष में में ध्यान देने योग्य कुछ अन्य बातें -




-साक्षात्कार में नपे- तुले शब्दों में जवाब देना श्रेयस्कर है. जितना पूछा जाये, उतना ही जवाब दे।  साक्षात्कार बोर्ड के सभी सदस्यों की और देखते हुए आई कांटेक्ट बनाये रखते हुए जवाब दे। 

-चेहरे पर स्वाभाविक सहज मुस्कान बनाये रखे। चेहरे पर चिंता या घबराहट को नहीं झलकने दें।  काफी सहजता से साक्षात्कार के सहज प्रवाह में बहते चले। 

-जिस सवाल का जवाब न आता हो, ईमानदारी के साथ बोर्ड को बताये कि आपको उस सवाल का जवाब पता नहीं है। और आप उस बारे में जानकारी हासिल करेंगे। (सभी सवालों के जवाब तो गूगल को भी पता नहीं है। )  

-यथार्थोन्मुख आदर्शवाद पर चलें, ऐसे जवाब न दें जिन्हें अमली  जामा नहीं पहनाया जा सकता |  

-मानवतावाद, संविधान और नैतिक मूल्य मात्र से प्रेरित हो उनके दायरे में जवाब दें। 


अपनी तरफ से इन्ही शब्दों के साथ मैं आप लोगों की सफलता की दुआ करते हुए आप लोगों से विदा लेता हूँ. ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनाएँ.


 

मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

शिशु मृत्यु दर में सतत विकास लक्ष्य की केरल की मैराथन दौड़

किसी भी देश के लिए शिशु मृत्यु दर यानि प्रति एक हजार जीवित जन्मे शिशुओं में एक वर्ष के समय में होने वाली मृत्यु की संख्या उसके सामाजिक विकास को दर्शाने का एक अहम  मापदंड है | भारत सरकार  रजिस्ट्रार जनरल का कार्यालय इस आंकड़ें का का वार्षिक आकलन करता है | भारत के लिए वर्ष 2018 में शिशु मृत्यु दर 32 से घटकर 30 पर पहुंची है | बड़े राज्यों में बिहार अच्छा प्रदर्शन करते हुए 32 से घटकर 29 के आंकड़े पर पहुंचा है | यह पहली बार है की बिहार की शिशु मृत्यु दर भारत से बेहतर हुई है और यह सतत विकास लक्ष्य की समयबद्ध प्राप्ति के लिए पूरे देश को आशाजनक आश्वस्ति देता है | बिहार के बारे में यह बात भी काफी अच्छी है की शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर में बस दो अंकों का अंतर है | शहरी क्षेत्र के लिए जहाँ यह दर 27 है, वही ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह दर 29 है | 

सैंपल रजिस्ट्रेशन बुलेटिन अक्टूबर 2021 में जारी हुई है और बड़े राज्यों में केरल ने शानदार उपलब्धि दर्ज करते हुए शिशु मृत्यु दर को 6 पर लाने का कारनामा कर दिखाया है |  सतत विकास लक्ष्य के इस महत्तवपूर्ण पड़ाव को 11 वर्ष पहले हासिल करके केरल ने भारत के अन्य बड़े राज्यों के लिए एक मिसाल पेश की है | केरल की यह यात्रा एक मैराथॉन  यात्रा रही है | एक समय वह भी था जब केरल की शिशु मृत्यु दर 13 के आंकड़े से नीचे आने का नाम ही नहीं ले रही थी | यह वह समय था जब लोग केरल में सवाल पूछ रहे थे की शिशु मृत्यु दर को एक अंक में लाने का केरल का सपना क्या सपना ही रह जायेगा | 


केरल की  इस उपलब्धि के पीछे क्या-क्या आधारभूत कारण रहे हैं, इस पर इस आलेख में विस्तार से चर्चा करना चाहूंगा | 

राज्य आधारित सतत विकास लक्ष्य  

सतत विकास लक्ष्यों में केरल अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में काफी आरामदेह स्थिति में था | ऐसे में स्वास्थ्य की टीम ने मिलकर स्वास्थ्य सचिव राजीव सदानंदन के नेतृत्व में केरल के अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गज विशेषज्ञों के टीम वर्क द्वारा केरल केंद्रित चुनौतीपूर्ण सतत विकास लक्ष्यों का निर्धारण किया | इसने पूरी टीम को एक लक्ष्य दिया जिसको प्राप्त करना श्रमसाध्य था और साथ ही रोमांचक भी था | शिशु मृत्यु दर का लक्ष्य 2020 तक 8 एवं वर्ष 2030 तक 6 का लक्ष्य निर्धारित किया गया था | 


लक्ष्य का क्रियान्वयन 

शिशु मृत्यु दर को तीव्र गति से कम करने के लिए स्वास्थ्य सचिव के स्तर पर सभी विशेषज्ञों एवं सम्बद्ध लोगों के साथ टास्क फाॅर्स का गठन किया गया था | प्रति माह की आवृति में होनेवाली इसकी बैठक ने द्रुत गति से शिशु मृत्यु दर में कमी में एक बड़ी भूमिका निभायी | स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य निदेशालय, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशालय, SHSRC, शिशु रोग विशेषज्ञों  संगठन IAP , यूनिसेफ एवं अन्य सभी सम्बद्ध लोगों ने इस लक्ष्य के प्रति अपना पूरा सहयोग और समर्पण दिया | 

राज्य  में सभी शिशु मृत्यु की रिपोर्टिंग और जिला एवं राज्य स्तर पर गोपनीय शिशु मृत्यु लेखा को कार्यक्षम बनाया गया ताकि कोई भी शिशु मृत्यु रिपोर्टिंग से न छूटने पाए |  इसके लिए जन्म पंजीयन के आंकड़े एवं आशा द्वारा भी आंकड़ों की पुष्टि की प्रकिया अपनाई गयी |  गोपनीय शिशु मृत्यु लेखा का उद्देश्य था की इससे प्राप्त सीख को सरकारी एवं निजी अस्पतालों के डॉक्टरों, कर्मचारियों के प्रशिक्षण में उपयोग में लाया जाए |  इसने शिशु मृत्यु दर के प्रति सभी स्तरों पर गंभीरता लायी | 


केरल के शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव, लोगों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता, टीकाकरण की उच्च दर, गुणवत्तापूर्ण गर्भावस्था जांच इन सब घटकों ने भी वहां के शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम् योगदान दिया है | साथ ही राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को रोगी केंद्रित करने और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अधिक सुविधा, अधिक डॉक्टर, स्टाफ नर्स के साथ फैमिली हेल्थ सेंटर में बदलने के निर्णय ने भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की सुविधाओं में बड़ा परिवर्तन लाने में योगदान दिया | 

दो अन्य कार्यक्रम जिसने इस उपलब्धि को पाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई वो हैं हृदय की गंभीर आनुवंशिक बीमारी से ग्रसित (CHD) बच्चों के ईलाज हेतु हृदयम कार्यक्रम एवं समग्र नवजात  शिशु स्वास्थ्य जाँच के कार्यक्रम शलभं  | इन दोनों कार्यक्रमों ने पूरे देश और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा | इन दोनों नवाचारों ने शिशु मृत्यु दर को तेजी से घटाने में अहम् भूमिका निभायी |  

केरल की यह उपलब्धि आशान्वित करती है की केरल के साथ पूरे देश में शिशु स्वास्थ्य में क्रन्तिकारी बदलाव संभव है, बस रणनीति सही होनी चाहिए | केरल स्वास्थ्य टीम  के साथ मिशन डायरेक्टर , NHM  के तौर पर इन तीन वर्षों के कार्यकाल की संतुष्टि आज भी मन को  आनंद और आत्मसंतुष्टि  देती है |  सभी राज्य यदि शिशु मृत्यु दर में कमी की रणनीति बनाकर सुचारु क्रियान्वयन करे तो सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ देश के विकास में भी अहम् भूमिका निभा पाएंगे | 





 

रविवार, 15 अगस्त 2021

आज़ादी के सही मायने

 मेरे लिए आज़ादी का मतलब है की गरीब-से-गरीब व्यक्ति भी सरकार से सवाल कर सके, सरकार को जवाबदेह रख सके  और उसे यह बता सके की लोकतंत्र में जनता संप्रभु है | 

आज़ादी का मतलब है की जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं शिक्षा एवं स्वास्थ्य अमीर और गरीब के लिए एक जैसी गुणवत्ता में सुलभ हो  | 

आज़ादी जिसमे हर काम की गरिमा हो और समुचित पारिश्रमिक हो और जिसमें हर हाथ को काम उपलब्ध हो | 

मेरे लिए आज़ादी का मतलब है की करोड़ों की हाँ के बीच भी सच की अकेली ना न डरे और अपने विचार पर कायम रहे | 

आज़ादी ऐसी हो की सत्ता जनता की सोचे और जनता को सत्ता को भी उसकी गलती दिखाने में रत्ती-भर हिचक या डर न हो |

मेरे लिए आज़ादी का मतलब है की हर नागरिक शासन में भागीदार हो, सत्ता के सामने कोई न लाचार हो | 

ऐसी आजादी जिसमें किसी भी व्यक्ति  का अहं देश के गौरव से बड़ा होने की सोचे तक नहीं, जहाँ व्यक्तिवाद राष्ट्रवाद और और राष्ट्रवाद मानववाद पर हावी न हो |