वर्तमान में यह पत्र 300 अंकों का है जिसके लिए 3 घंटे का समय निर्धारित है। अर्हक अंक UPSC 2023 की नोटिफिकेशन के अनुसार 25 % है। आत्मविश्वस्त रहने के लिए इस पत्र में कम-से-कम 60 % अंक आ सके, ऐसी तैयारी रखें।
यह ब्लॉग हिंदी माध्यम से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लगे प्रतिभागियों के लिए है | ब्लॉग का उद्देश्य है कि हिंदी माध्यम पर अच्छी पकड़ रखने वाले लोग इस परीक्षा के लिए दुविधा रहित होकर हिंदी माध्यम का चयन करे और अच्छे रैंक के साथ इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करे |
रविवार, 24 दिसंबर 2023
सिविल सेवा मुख्य परीक्षा- भारतीय भाषा प्रश्न पत्र (हिंदी )
वर्तमान में यह पत्र 300 अंकों का है जिसके लिए 3 घंटे का समय निर्धारित है। अर्हक अंक UPSC 2023 की नोटिफिकेशन के अनुसार 25 % है। आत्मविश्वस्त रहने के लिए इस पत्र में कम-से-कम 60 % अंक आ सके, ऐसी तैयारी रखें।
रविवार, 2 जुलाई 2023
IAS @ हिंदी माध्यम -पुस्तक के रूप में
अपनी पहली पुस्तक को आप सबों को हाथों में सौंपने में मुझे अतीव आह्लाद का अनुभव हो रहा है। यह पुस्तक इस ब्लॉग पर आप सबों के साथ और प्यार से प्रेरित है। आशा है की पुस्तक को आप सबों का प्यार प्राप्त होगा। पुस्तक अमेज़न और प्रभात प्रकाशन के प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं के पास उपलब्ध है। अमेज़न पर पुस्तक का लिंक निम्नवत है -
आपका,
केशवेंद्र कुमार
रविवार, 8 जनवरी 2023
DISTANCE EDUCATION से भी आप बन सकते हैं आईएएस
दोस्तों, मेरे ब्लॉग पर एक सवाल बहुत बार लोगों ने पूछा है की अगर उन्होंने IGNOU से स्नातक किया है, क्या वे IAS की परीक्षा दे सकते हैं। जवाब है हाँ। मैंने खुद स्नातक और परास्नातक की डिग्री इग्नू से ली है। विगत 15 वर्षों में बहुत से ऐसे विद्यार्थियों ने सिविल सेवा परीक्षा पास की है जिन्होंने स्नातक की डिग्री IGNOU या किसी अन्य प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त दूरस्थ शिक्षा कोर्स से की है।
Distance education too can give IAS officers
UPSC की वर्ष 2022 की सिविल सेवा की नोटिस से शैक्षणिक योग्यता के सम्बन्ध में प्रावधान निम्नलिखित है-
रविवार, 1 जनवरी 2023
नववर्ष 2023 में सफर चलता रहे यूं ही
सफर चलता रहे यूं ही ।
दिल मचलता रहे यूं ही ।।
मुकम्मल होने की चाहत रहे।
अधूरापन खलता रहे यूं ही ।।
हुस्न तो नूर है इलाही का ।
आशिकों को छलता रहे यूं ही ।।
तूफानों में बीच समंदर खेवे नैया।
न कोई किनारे हाथ मलता रहे यूं ही ।।
सिकंदर को भी जहां से खाली हाथ जाना है ।
चांद सितारों का अहं गलता रहे यूं ही ।।
जलेगा राख होगा फिर भी उससे आएगी खुशबू।
दिल तो दिल है, जले, जलता रहे यूं ही ।।
तीर लोहे का हो या सरकंडे का ।
तीर का मोल है, निशाने हलता रहे यूं ही ।।
दोस्तों पे प्यार हो, दुश्मनों पे वार हो ।
दुश्मन की छाती पे मूंग दलता रहे यूं ही।।
दोस्ती जज्बा है वो जिसका कोई जोड़ नहीं।
दोस्तों का बिछड़ना टलता रहे यूं ही ।
लाख नाउम्मीदी हो, अंधेरे हो
सीने में आस पलता रहे यूं ही
डूबते हुए भी छठ में जिसे पूजते हैं
नई सुबह आने को,सूरज ढलता रहे यूं ही ।।
दीप से दीप जले, हाशिए भी रौशन हो ।
अच्छा काम फलता रहे यूं ही ।।
शनिवार, 24 दिसंबर 2022
UPSC CIVIL SERVICE INTERVIEW 2022
सिविल सेवा 2022 की मुख्य परीक्षा का परिणाम एवं साक्षात्कार की तिथि आ चुकी है | । 30.01.2023 से ही साक्षात्कार शुरू हो रहे हैं और इसी थोड़े समय में आपको अपने व्यक्तित्व में धार लगानी है। आपको साक्षात्कार बोर्ड के सामने अपने आपको सम्पूर्णता में सामने रखना है अपनी मानवीय खूबियों-खामियों के साथ। मेरी सलाह यही है की चिंता में अपना सर खुजाने की जगह उपरवाले का शुक्रिया अदा करते हुए आगे की तैयारियों में जुट जाये।
अ)उम्मीदवार का साक्षात्कार एक बोर्ड द्वारा होगा जिसके सामने उम्मीदवार का बायोडाटा होगा | उससे सामान्य रूचि की बातों पर प्रश्न पूछे जायेंगे | साक्षात्कार का उद्देश्य यह जानना है की उम्मीदवार लोकसेवा के लिए व्यक्तित्व की दृष्टि से उपयुक्त है या नहीं | यह परीक्षा उम्मीदवार की मानसिक क्षमता को जांचने के अभिप्राय से की जाती है | मोटे तौर पर इस परीक्षा का प्रयोजन न केवल उसके बौध्दिक गुणों को वरन सामाजिक लक्षणों को और सामाजिक घटनाओं में उसकी रूचि का भी मूल्याङ्कन करना है | इसमें उम्मीदवार की मानसिक सतर्कता, आलोचनात्मक ग्रहण शक्ति, स्पष्ट और तर्क संगत प्रतिपादन की शक्ति, संतुलित निर्णय की शक्ति, रूचि की विविधता और गहराई, नेतृत्व और सामाजिक संगठन की योग्यता, बौधिक और नैतिक ईमानदारी की भी जांच की जा सकती है |
आ) साक्षात्कार की प्रणाली क्रॉस-एग्जामिनेशन की नहीं वरन स्वाभाविक वार्तालाप की प्रक्रिया द्वारा उम्मीदवार के मानसिक गुणों का पता लगाने का प्रयत्न किया जाता है | परन्तु, वह वार्तालाप एक विशेष दिशा में एवं एक विशेष प्रयोजन से होता है |
इ) साक्षात्कार उम्मीदवार के सामान्य या विशेष ज्ञान की परीक्षा के लिए नहीं होता क्यूंकि उनकी जांच लिखित प्रश्न पत्रों में पहले ही हो जाती है | उम्मीदवारों से आशा की जाती है की वो ना केवल अपने शैक्षणिक विशेष विषयों में पारंगत हो बल्कि उन घटनाओं पर भी ध्यान दें जो उनके चारों और अपने राज्य या देश के भीतर और बाहर घट रही हैं, तथा आधुनिक विचारधारा और नई-नई खोजों में भी रूचि लें जो की किसी सुशिक्षित युवा में जिज्ञासा पैदा कर सकती है |"
साक्षात्कार की औपचारिकताओं से मैं इस लेख की शुरुआत करना चाहूँगा | ये चीजें महत्वपूर्ण है पर बहुत ज्यादा नहीं। साक्षात्कार बोर्ड के लोग आप सिविल सेवा के लिए कितने उपयुक्त है, इसे जांचने-परखने के लिए बैठे हैं। इसलिए आपके अन्दर क्या है, यह उनके लिए ज्यादा मायने रखता है। हालांकि, बाहरी व्यक्तित्व भी गरिमामय हो, इस बात का ध्यान रखना जरुरी है।
1.औपचारिकताए-- साक्षात्कार के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यताओं के सारे सर्टिफिकेट करीने से रखें | जाति प्रमाणपत्र (अगर आप अनुसूचित जाति/ जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं ), अपने नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाणपत्र (अगर आप वर्तमान में नौकरी कर रहे हैं ) और साक्षात्कार फॉर्म में दिए अन्य निर्दिष्ट प्रमाण पत्र साथ में रखना ना भूलें | आपके साक्षात्कार से पहले आपके सर्टिफिकेट वेरीफाई किये जायेंगे |
2.वेश-भूषा - आपका पहनावा औपचारिक एवं गरिमापूर्ण होना चाहिए | हाँ, इस बात का ध्यान रखे की आप मॉडलिंग के लिए नहीं जा रहे हैं | मैंने अपने साक्षात्कार के लिए डार्क ब्लू कलर की पैंट और उजले में महीन सोबर डिजाईन वाली शर्ट पहनी थी | टाई का प्रयोग आपकी इच्छा पर है, पर अगर आप इसके साथ आरामदेह है तो टाई का व्यवहार करे | बेल्ट और शू फॉर्मल होनी चाहिए | सबसे महत्त्वपूर्ण बात है की आप अपने साक्षात्कार के दिन के ड्रेस के साथ सहज और विश्वस्त होने चाहिए | साक्षात्कार के पहले ड्रेस को दो-तीन बार पहने | एक वैकल्पिक जोड़ा भी साथ में रखे |
3.अभिवादन -
हिंदी माध्यम से जो छात्र साक्षात्कार देने जाते हैं, उनको इस बात की सबसे ज्यादा उलझन होती है की अभिवादन में हिंदी का व्यवहार करे या प्रचलित अंग्रेजी जुमलों का | मेरी अपनी राय है की जब आप पूरा साक्षात्कार हिंदी में देने जा रहे हैं तो उसकी शुरुआत अंग्रेजी के साथ करना इस बात को दर्शाता है की आप अपनी भाषा को कमतर मानते है | कमरे में प्रवेश के समय अनुमति भी हिंदी में ही मागे- "क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ श्रीमान ?"( वैसे बहुत बार इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है , साक्षात्कार बोर्ड गेट खुलते ही आपका नाम पुकारते हुए आपको अन्दर आकर बैठने को कह सकता है |) अन्दर जाकर आप अपने लिए निर्दिष्ट कुर्सी के पास जाकर खड़े होकर चेहरे पर मुस्कराहट के साथ भारतीय परम्परा में साक्षात्कार बोर्ड के अध्यक्ष/अध्यक्षा एवं अन्य सदस्यों की तरफ देखते हुए हाथ जोड़ कर नमस्कार करे | सामान्यतः चेयरमैन बीच में और चार अन्य सदस्य (दो उनकी दायीं तरफ और दो बायीं तरफ ) होते हैं | आप अभिवादन करते हुए एक बार चेयरमैन को, एक बार दायीं और के दो सदस्यों को और एक बार बायीं और के दो सदस्यों को देखते हुए नमस्कार करें | सारे सदस्यों को अलग- अलग नमस्कार करने की जरुरत नहीं है | हाँ अगर कोई महिला सदस्य हो तो आप उन्हें अलग से नमस्ते कर सकते हैं |
4.बायो-डाटा - आप सबों की तरह मुझे भी ये शंका थी कि आप के सर्टिफिकेट और बायोडाटा साक्षात्कार कक्ष में आपके साथ रखना जरुरी है या नहीं? आपके द्वारा भरे गए विवरण के आधार पर आपका बायोडाटा साक्षात्कारकर्ताओं के पास मौजूद होता है | अतः , आप अपने बायोडाटा और सर्टिफिकेट की फाइल एहतियात के तौर पर अपने साथ साक्षात्कार कक्ष में ले भी सकते हैं या कक्ष के बाहर यदि उसे रखने की व्यवस्था हो तो छोड़ भी सकते हैं |
सबसे पहले आपने प्राथमिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के फॉर्म को भरने में जो जानकारियां भरी हैं, उनकी एक कॉपी ले अपनी एक डायरी या नोट बुक में साक्षात्कार के संभावित मुद्दों एवं का चयन करे एवं संभावित प्रश्नों उनका करें।
कुछ संभावित टॉपिक इस प्रकार हैं-
१. आपकी शैक्षिक पृष्ठभूमि - आपने जिस विषय से स्नातक एवं उससे ऊपर का अध्ययन किया है उसकी एक स्तरीय जानकारी होना आपके लिए जरुरी है. वर्तमान में उस विषय से जुड़े मुद्दे जो ख़बरों में हो उसकी भी जानकारी आपके लिए अनिवार्य है। साक्षात्कार बोर्ड आपसे आपके पढ़े विषयों की गंभीर जानकारी अपेक्षित करता है खासकर जब वो आपका वैकल्पिक विषय भी हो।
२. आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि - आपके माता- पिता , भाई- बहन के कार्यक्षेत्र से जुडी महत्तवपूर्ण बातें |
३. आपका गृह राज्य- उसका इतिहास-भूगोल-राजनीति-कला-संस्कृति और वहां वर्तमान में चर्चा में रही ख़बरें जो राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में रही हो।
४. आपका गृह जिला- वहां की खास बातें, वहां का प्रशासन, अगर आपको वहां का जिला कलक्टर या पुलिस कप्तान का कार्यभार दिया जाये तो क्या बदलाव लायेंगे.
५. आपका कर्म क्षेत्र एवं कर्म भूमि- अगर आप किसी नौकरी में हों तो उस नौकरी के कार्य, महत्त्व, आंकड़े, संगठन और अन्य जरुरी बातों को भी तैयार कर ले | आप कही दुसरे राज्य में कार्य कर रहे हैं तो उस राज्य और जिले के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाना जरुरी है. जैसे पश्चिम बंगाल में काम कर रहे लोगों के लिए विवेकानंद एवं रामकृष्ण मिशन, नक्सलवाद, बंगाल का विकास, बंगलादेशी शरणार्थियों और आप्रवासियों की समस्या जैसे मुद्दे पर विस्तृत जानकारी जरुरी है. राजस्थान में यदि आप नौकरी कर रहे हैं राजपूताने का इतिहास, रेगिस्तान से जुडी जानकारियां, पर्यटन, वहां के किले, जल संरक्षण जैसे बिंदु आपको जानने चाहिए |
६,भारत के इतिहास, भूगोल, वर्तमान, भविष्य, यहाँ की कला-संस्कृति-सभ्यता- धर्म-साहित्य- प्रशासन-राजनीति जैसे मुद्दों पर आपके पास समुचित जानकारी होनी चाहिए |
७.अंतर्राष्ट्रीय संबध -खासकर भारत के विदेश संबंधों के बारे में आपकी स्पष्ट राय होनी चाहिए. अभी खासकर इस सम्बन्ध में कुछ अहम् मुद्दे निम्न हैं -
८.आपने सेवाओं की जो प्राथमिकता दी है, उसके स्पष्ट और तर्कपूर्ण उत्तर आपके पास होने चाहिए. और आपके उत्तरों से ऐसा नही लगना चाहिए की आप किसे सर्विस को कम करके आंक रहे हैं .
उदाहरण के लिए यदि आपकी पहली प्राथमिकता आईएएस और दूसरी आईएफएस है तो उसका कारण आपसे पूछा जा सकता है. अगर आपने कुछ अनोखी प्राथमिकताएँ दी है, तो सवाल पूछे जाने की संभावनाएं ज्यादा होती है. जैसे किसी की प्रथम चॉइस अगर IRS या आईपीएस हो तो 'क्यूँ 'का आपके पास संतोषजनक उत्तर होना चाहिए.
९. राज्यों की प्राथमिकताओं पर भी सवाल हो सकते हैं. ईमानदार जवाब काफी है. हर किसी के अपने गृह राज्य या नजदीक के राज्य या पसंद के राज्य में जाने के अपने -अपने कारण होते है. उसे विश्वस्तपूर्ण रूप में बताना काफी है. हाँ, बोर्ड को ये नही लगना चाहिए की आप समस्याग्रस्त राज्यों से भागने की चेष्टा कर रहे हैं.
१०. बजट एवं एवं भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में मुख्य जानकारियां आपके पास होनी चाहिए.
११. समसामयिक मुद्दों जैसे
१२. पाठ्येतर गतिविधियों में अगर आपकी सहभागिता रही है तो उसके बारे में पूरा जानकारी जुटा कर रखे.
१३. आपने फॉर्म में जो शौक फरमाए हैं(HOBBY) वो आपको शौक न दें, इसका ख्याल रखे. हॉबी से साक्षात्कार में ढेर सारे सवाल आने की आशा रख सकते हैं. इसलिए, हॉबी में आपने जो- जो विषय दिए हैं, उसके बारे में आपके पास पूरी जानकारी होनी चाहिए. जैसे, अगर आपने किताबें पढना अपनी हॉबी में दिया है तो हाल में पढ़ी अच्छी किताबों के बारे में, आपके प्रिय लेखक एवं कवि के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए. आपको साहित्यिक फेस्टिवल एवं पुस्तक मेलों के आयोजन के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए. हॉबी पर मैंने एक विस्तृत आलेख दिया है जिसे आप एक बार देख सकते हैं.
१४.बहुत सारे परिस्थिति वाले सवाल आपसे पूछे जा सकते हैं जैसे-
--अगर आप किसी नक्सल प्रभावित जिले में पोस्टेड हो तो नक्सलवाद से निपटने के लिए क्या कदम उठाएंगे?
---आपको ऐसे जिले में पोस्टिंग मिली है जहाँ पेयजल की भारी समस्या है, आप उससे कैसे निपटेंगे?
---आपके जिले में भूकंप या चक्रवात या बाढ़ जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आने की चेतावनी मिली है. आप क्या-क्या कदम उठाएंगे?
इन सारे मुख्य विषयों पर पूछे जा सकने वालों सवालों की खुद से सूची बनाये और उनके जवाब तैयार करे। अपने साथियों के साथ पूरी गंभीरता से छद्म साक्षात्कार की तैयारी करे। जरुरत लगे तो कोचिंग संस्थाओं के छदम साक्षात्कार बोर्ड की सहायता भी ले सकते हैं। पत्रिकाओं से सफल प्रतिभागियों के साक्षात्कार पढ़े। उनसे आपको साक्षात्कार में पूछे जा सकने वाले प्रश्नों की विविधता का अंदाजा लगेगा। साक्षात्कार पर कुछ स्तरीय बुक भी ले सकते हैं। पत्रिकाओं में कम्पटीशन सक्सेस रिव्यु के साक्षात्कार वाले कॉलम और विश्लेषण से आपको काफी सहायता मिलेगी। इसके 2 -3 सालों के अंक साक्षात्कार एवं ग्रुप डिस्कशन के कॉलम अच्छे से पढ़ पढ़ लें।
-साक्षात्कार में नपे- तुले शब्दों में जवाब देना श्रेयस्कर है. जितना पूछा जाये, उतना ही जवाब दे। साक्षात्कार बोर्ड के सभी सदस्यों की और देखते हुए आई कांटेक्ट बनाये रखते हुए जवाब दे।
-चेहरे पर स्वाभाविक सहज मुस्कान बनाये रखे। चेहरे पर चिंता या घबराहट को नहीं झलकने दें। काफी सहजता से साक्षात्कार के सहज प्रवाह में बहते चले।
-जिस सवाल का जवाब न आता हो, ईमानदारी के साथ बोर्ड को बताये कि आपको उस सवाल का जवाब पता नहीं है। और आप उस बारे में जानकारी हासिल करेंगे। (सभी सवालों के जवाब तो गूगल को भी पता नहीं है। )
अपनी तरफ से इन्ही शब्दों के साथ मैं आप लोगों की सफलता की दुआ करते हुए आप लोगों से विदा लेता हूँ. ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनाएँ.
मंगलवार, 12 अप्रैल 2022
शिशु मृत्यु दर में सतत विकास लक्ष्य की केरल की मैराथन दौड़
किसी भी देश के लिए शिशु मृत्यु दर यानि प्रति एक हजार जीवित जन्मे शिशुओं में एक वर्ष के समय में होने वाली मृत्यु की संख्या उसके सामाजिक विकास को दर्शाने का एक अहम मापदंड है | भारत सरकार रजिस्ट्रार जनरल का कार्यालय इस आंकड़ें का का वार्षिक आकलन करता है | भारत के लिए वर्ष 2018 में शिशु मृत्यु दर 32 से घटकर 30 पर पहुंची है | बड़े राज्यों में बिहार अच्छा प्रदर्शन करते हुए 32 से घटकर 29 के आंकड़े पर पहुंचा है | यह पहली बार है की बिहार की शिशु मृत्यु दर भारत से बेहतर हुई है और यह सतत विकास लक्ष्य की समयबद्ध प्राप्ति के लिए पूरे देश को आशाजनक आश्वस्ति देता है | बिहार के बारे में यह बात भी काफी अच्छी है की शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर में बस दो अंकों का अंतर है | शहरी क्षेत्र के लिए जहाँ यह दर 27 है, वही ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह दर 29 है |
सैंपल रजिस्ट्रेशन बुलेटिन अक्टूबर 2021 में जारी हुई है और बड़े राज्यों में केरल ने शानदार उपलब्धि दर्ज करते हुए शिशु मृत्यु दर को 6 पर लाने का कारनामा कर दिखाया है | सतत विकास लक्ष्य के इस महत्तवपूर्ण पड़ाव को 11 वर्ष पहले हासिल करके केरल ने भारत के अन्य बड़े राज्यों के लिए एक मिसाल पेश की है | केरल की यह यात्रा एक मैराथॉन यात्रा रही है | एक समय वह भी था जब केरल की शिशु मृत्यु दर 13 के आंकड़े से नीचे आने का नाम ही नहीं ले रही थी | यह वह समय था जब लोग केरल में सवाल पूछ रहे थे की शिशु मृत्यु दर को एक अंक में लाने का केरल का सपना क्या सपना ही रह जायेगा |
केरल की इस उपलब्धि के पीछे क्या-क्या आधारभूत कारण रहे हैं, इस पर इस आलेख में विस्तार से चर्चा करना चाहूंगा |
राज्य आधारित सतत विकास लक्ष्य
सतत विकास लक्ष्यों में केरल अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में काफी आरामदेह स्थिति में था | ऐसे में स्वास्थ्य की टीम ने मिलकर स्वास्थ्य सचिव राजीव सदानंदन के नेतृत्व में केरल के अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गज विशेषज्ञों के टीम वर्क द्वारा केरल केंद्रित चुनौतीपूर्ण सतत विकास लक्ष्यों का निर्धारण किया | इसने पूरी टीम को एक लक्ष्य दिया जिसको प्राप्त करना श्रमसाध्य था और साथ ही रोमांचक भी था | शिशु मृत्यु दर का लक्ष्य 2020 तक 8 एवं वर्ष 2030 तक 6 का लक्ष्य निर्धारित किया गया था |
लक्ष्य का क्रियान्वयन
शिशु मृत्यु दर को तीव्र गति से कम करने के लिए स्वास्थ्य सचिव के स्तर पर सभी विशेषज्ञों एवं सम्बद्ध लोगों के साथ टास्क फाॅर्स का गठन किया गया था | प्रति माह की आवृति में होनेवाली इसकी बैठक ने द्रुत गति से शिशु मृत्यु दर में कमी में एक बड़ी भूमिका निभायी | स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य निदेशालय, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशालय, SHSRC, शिशु रोग विशेषज्ञों संगठन IAP , यूनिसेफ एवं अन्य सभी सम्बद्ध लोगों ने इस लक्ष्य के प्रति अपना पूरा सहयोग और समर्पण दिया |
राज्य में सभी शिशु मृत्यु की रिपोर्टिंग और जिला एवं राज्य स्तर पर गोपनीय शिशु मृत्यु लेखा को कार्यक्षम बनाया गया ताकि कोई भी शिशु मृत्यु रिपोर्टिंग से न छूटने पाए | इसके लिए जन्म पंजीयन के आंकड़े एवं आशा द्वारा भी आंकड़ों की पुष्टि की प्रकिया अपनाई गयी | गोपनीय शिशु मृत्यु लेखा का उद्देश्य था की इससे प्राप्त सीख को सरकारी एवं निजी अस्पतालों के डॉक्टरों, कर्मचारियों के प्रशिक्षण में उपयोग में लाया जाए | इसने शिशु मृत्यु दर के प्रति सभी स्तरों पर गंभीरता लायी |
केरल के शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव, लोगों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता, टीकाकरण की उच्च दर, गुणवत्तापूर्ण गर्भावस्था जांच इन सब घटकों ने भी वहां के शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम् योगदान दिया है | साथ ही राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को रोगी केंद्रित करने और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अधिक सुविधा, अधिक डॉक्टर, स्टाफ नर्स के साथ फैमिली हेल्थ सेंटर में बदलने के निर्णय ने भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की सुविधाओं में बड़ा परिवर्तन लाने में योगदान दिया |
दो अन्य कार्यक्रम जिसने इस उपलब्धि को पाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई वो हैं हृदय की गंभीर आनुवंशिक बीमारी से ग्रसित (CHD) बच्चों के ईलाज हेतु हृदयम कार्यक्रम एवं समग्र नवजात शिशु स्वास्थ्य जाँच के कार्यक्रम शलभं | इन दोनों कार्यक्रमों ने पूरे देश और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा | इन दोनों नवाचारों ने शिशु मृत्यु दर को तेजी से घटाने में अहम् भूमिका निभायी |
केरल की यह उपलब्धि आशान्वित करती है की केरल के साथ पूरे देश में शिशु स्वास्थ्य में क्रन्तिकारी बदलाव संभव है, बस रणनीति सही होनी चाहिए | केरल स्वास्थ्य टीम के साथ मिशन डायरेक्टर , NHM के तौर पर इन तीन वर्षों के कार्यकाल की संतुष्टि आज भी मन को आनंद और आत्मसंतुष्टि देती है | सभी राज्य यदि शिशु मृत्यु दर में कमी की रणनीति बनाकर सुचारु क्रियान्वयन करे तो सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ देश के विकास में भी अहम् भूमिका निभा पाएंगे |
रविवार, 15 अगस्त 2021
आज़ादी के सही मायने
मेरे लिए आज़ादी का मतलब है की गरीब-से-गरीब व्यक्ति भी सरकार से सवाल कर सके, सरकार को जवाबदेह रख सके और उसे यह बता सके की लोकतंत्र में जनता संप्रभु है |
आज़ादी का मतलब है की जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं शिक्षा एवं स्वास्थ्य अमीर और गरीब के लिए एक जैसी गुणवत्ता में सुलभ हो |
आज़ादी जिसमे हर काम की गरिमा हो और समुचित पारिश्रमिक हो और जिसमें हर हाथ को काम उपलब्ध हो |
मेरे लिए आज़ादी का मतलब है की करोड़ों की हाँ के बीच भी सच की अकेली ना न डरे और अपने विचार पर कायम रहे |
आज़ादी ऐसी हो की सत्ता जनता की सोचे और जनता को सत्ता को भी उसकी गलती दिखाने में रत्ती-भर हिचक या डर न हो |
मेरे लिए आज़ादी का मतलब है की हर नागरिक शासन में भागीदार हो, सत्ता के सामने कोई न लाचार हो |
ऐसी आजादी जिसमें किसी भी व्यक्ति का अहं देश के गौरव से बड़ा होने की सोचे तक नहीं, जहाँ व्यक्तिवाद राष्ट्रवाद और और राष्ट्रवाद मानववाद पर हावी न हो |
सोमवार, 7 सितंबर 2020
आईएएस बनने के लिए करें निबंध और सामान्य अध्ययन पत्र की साझा तैयारी
अब तक मगर है बाक़ी नाम-व-निशाँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा |
शनिवार, 5 सितंबर 2020
सतगुर की महिमा अनँत
कबीरदास के दोहों में सच्चे गुरु की महिमा बड़े ही रोचक ढंग से और लोकजीवन से उदाहरण देते हुए कही गयी है| सच्चा गुरु मनुष्य को देवता के समान बनाने के प्रयास में लगा रहता है, अनंत ज्ञान को शिष्य को देने का प्रयास करता है | गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिल सकता | जब गोविन्द कृपा करते हैं तो गुरु की प्राप्ति होती है | अयोग्य गुरु अयोग्य शिष्य एक दूसरे का उसी प्रकार नुकसान करते हैं जैसे अँधा मनुष्य दूसरे अंधे मनुष्य को रास्ता बतलाने के समय करता है | गुरु शिष्य के संशय का नाश करता है | गुरु के पारस स्पर्श से शिष्य लोहे से सोने में बदल जाता है|
भारतीय परंपरा में गुरु का जो आदर है, वह पाश्चात्य परंपरा के लिए आश्चर्य की वस्तु है | यहाँ पर गुरु का दर्जा भगवान के बराबर माना गया है | गुरु-गोविन्द दोनों के सामने आने पर शिष्य का यह कर्त्तव्य है की वह पहले गुरु की वंदना करे जिसने उसे गोविन्द का ज्ञान दिया है | कृष्ण, बुद्ध, महावीर और गुरु नानक, इनके व्यक्तित्व का अहम् हिस्सा गुरु के रूप में लोगों के पथप्रदर्शन का है | गुरु बिना ज्ञान न होई, यह कहावत लोकमन में यूँ ही नहीं बैठी है |
प्राचीन काल की गुरुकुल प्रद्धति में गुरु ही शिष्य के अभिभावक और उसके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु उत्तरदायी होते थे | शिष्य शिक्षा के पूर्ण होने पर अपनी क्षमता के अनुसार गुरुदक्षिणा देकर गुरु के प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन करते थे | द्रोणाचार्य और एकलव्य की कथा तो हम सब ने सुनी है जहाँ गुरु पक्षपात के कारण एकलव्य को जिसने गुरु को अपने मन में स्थान देकर धनुर्विद्या सीखी थी, उसका अंगूठा गुरुदक्षिणा के तौर पर मांग बैठते है | और एकलव्य बेहिचक अपनी शस्त्र-विद्या के बलिदान समान अपना अंगूठा काटकर गुरु के चरणों में रख देता है |
वर्तमान समय में देखे तो गुरु-शिष्य की भारतीय अवधारणा में पाश्चात्य प्रभावों की घुसपैठ हुई है | पहले के जैसे गुरु भी कम है, और शिष्य तो और भी कम हैं | गुरु कई ऐसे हैं जिनके ज्ञान की गगरी अधजल है और छलकती जा रही है | ना तो उनमें बाल मनोविज्ञान की परख है, ना ही विद्यार्थियों के प्रति समानुभूति और प्रेम | नतीजा है की शिक्षा बोझिल होती जा रही है और रचनात्मकता का ह्रास हो रहा है |
सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ प्राइवेट शिक्षा संस्थाओं में भी शिक्षकों की गुणवत्ता, ज्ञान और छात्रों को नए जमाने की तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए आकर्षक तरीके से पढ़ाने की क्षमता में गिरावट दीख पड़ती है | सरकारी व्यवस्था में आंगनवाड़ी से पूर्व -प्राथमिक शिक्षा तक का सफर काफी धीमा रहा है और अब जाकर वर्तमान शिक्षा नीति में उसकी रूपरेखा सामने आयी है | प्राइवेट शिक्षा संस्थाओं में शिक्षा के व्यवसायीकरण ने भी शिक्षक और छात्रों के रिश्ते में दरार डाली है |
एक सशक्त और सकारात्मक शिक्षा व्यवस्था के लिए पूर्ण रूपेण प्रशिक्षित एवं संकल्पित शिक्षक अनिवार्य है | शिक्षक की आत्मनिष्ठा शिष्य को संवारने के हिसाब से महत्त्वपूर्ण है | नई शिक्षा नीति का भी मानना है कि शिक्षा में सकारात्मक बदलाव लाने धुरी शिक्षक ही है | समाज में शिक्षक का सम्मान एवं स्थान सर्वोच्च आदर का होना चाहिए | इसे सुनिश्चित करने के लिए यह जरुरी है की शिक्षण को कैरियर मात्र नहीं वरना समाजसेवा के तौर पर देखा जाए | शिक्षकों की नियुक्ति, प्रशिक्षण, सतत गुणवत्ता वर्धन, एवं सेवा शर्तें इस प्रकार की होनी चाहिए ताकि बेहतरीन प्रतिभाओं को शिक्षण क्षेत्र में आकर्षित किया जा सके | नयी शिक्षा नीति में 30 छात्रों पर एक शिक्षक(पिछड़े क्षेत्रों में 25 पर एक शिक्षक ) का लक्ष्य रखा गया है जो स्वागतयोग्य है | शिक्षकों के लिए साल में 50 घंटे का सतत व्यावसायिक विकास का ऑनलाइन कार्यक्रम भी शिक्षकों के ज्ञान और क्षमता को अद्यतन रखने के उद्देश्य में काफी कारगर रहेगा |
शिक्षक दिवस जिनकी याद में मनाया जाता है, उन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन भी अपनेआप में एक सीख है | एक सामान्य परिवार से आते हुए अपने ज्ञान के बूते उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया | मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज, मैसूर विश्वविद्यालय, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में दर्शन शास्त्र का अध्यापन, बनारस विश्वविद्यालय के उप कुलपति के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन और भारतीय दर्शन, सभ्यता-संस्कृति के ऊपर लिखी उनकी किताबें ज्ञान को बांटने की उनकी लगन को दर्शाती है |
शिक्षक दिवस के अवसर पर आज मैं अपने सभी शिक्षकों विशेषकर अपने गुरु श्री नागेंन्द्र सिंह और उनके बाल मनोविज्ञान की गहरी समझ के साथ बच्चों को पढाने की उनकी तकनीक आप लोगों के सम्मुख रखना चाहूॅंगा | खेल-खेल में बच्चों को अंकगणित, भाषा एवं विज्ञान सिखाने की उनकी कला सभी प्राथमिक शिक्षकों के लिए अनुकरणीय है | बच्चों को प्यार के साथ और जिज्ञासु बनाते हुए पढ़ाने की शैली उनमें क्या खूब थी |
उदाहरण के लिए गिनती सीखने के लिए माटी की गोलियां बनवाना, उनको आग में पक्का करना और फिर उनसे गिनती सीखना | क्या मजाल की बच्चा पढ़ने में फिर आना-कानी करें | वैसे ही घन और घनाभ के बारे में पढ़ाते हुए लकड़ी के बक्सों से उदाहरण देते हुए पढ़ाना | मानों चित्र जैसे बच्चे की स्मृति में बस जाए | भाषा पठन श्रुतलेख का नित्य अभ्यास, कविता का सस्वर पाठ और याद करना, शब्दों से वाक्य निर्माण में कल्पना की ऊंची उड़ान को अवसर देना उनकी खूबी थी | भाषा को पढ़ना प्रेमचंद्र की कहानियों और जयशंकर प्रसाद के नाटक, दिनकर की कविताओं से हो तो फिर भाषा पर मजबूत पकड़ सुनिश्चित है | साथ में गीता के एक श्लोक को नित्य याद करना और अर्थ का मनन करना, महापुरुषों की जीवनियों को पढ़ना-लिखना-गुनना, गुरूवार को सुंदरकांड पाठ, ऐसी कितनी उनकी तकनीकें थी जिनकी खूबी अपने बच्चों के लिए ऐसे अवसरों के अभाव में ही नजर आती है |
ऐसे ही अपने बलभद्र उच्च विद्यालय, बभनगामा के भूगोल के मौलवी साहब की भी याद आती है | कक्षा में आने के बाद अध्याय का नाम पूछने के बाद किताब बंद कर रख देते थे | फिर जो वो भूगोल की जटिलता को सरस चित्रात्मकता के साथ पढ़ाते थे, तो समां बंध जाता था | उनके द्वारा पढ़ाया गया बफर स्टेट का पाठ जब-जब भारत-चीन के संबंधों और सीमा विवाद की चर्चा होती है, आँखों के आगे मूर्तिवत हो जाता है | दो बड़े देशों की सीमा यथासंभव आपस में नहीं मिलनी चाहिए और उनके बीच छोटे-छोटे बफर स्टेट होने चाहिए | और उसके बाद उनके द्वारा दिया गया भारत और चीन के बीच के बफर स्टेट्स का विवरण आज तक यादों में चित्र की तरह जड़ा है | रीगा मध्य विद्यालय के अपने शिक्षकों भुवनेश्वर सर, चन्द्रिका सर, जीतेन्द्र सर, रामरेखा सर और अन्य सभी गुरुजनों का, बलभद्र उच्च विद्यालय बभनगामा के अपने गुरुजनों का, एम पी उच्च विद्यालय डुमरा विशेषकर इंदु मैडम, प्रभावती मैडम, मिलिंद सर, पाठक सर, मंडल सर, पीटी अध्यापक और अन्य गुरुजन , भोलानंद विद्यालय बैरकपुर से झरना मैडम,देवाशीष सर, मुख़र्जी सर और अन्य गुरुजन इन सभी आदर्श शिक्षकों के प्रति इस शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ एवं सभी शिक्षकों का समाज उनके महती योगदान हेतु अभिनन्दन करता हूँ |
बराकर में सरकारी विद्यालय में शिक्षक रहे अपने नानाजी स्वर्गीय श्री उमेश चंद्र ठाकुर को भी इस अवसर पर मैं श्रद्धा पूर्वक याद करता हैं | पुस्तक प्रेम उनका ऐसा था की घर पर लगभग १० अलमीरा में साहित्य, धर्म, अध्यात्म की किताबें भरी रहती थी | निराला की अनामिका, राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा का पहला सजिल्द संस्करण, स्वामी प्रभुपाद की Bhagvad Gita As Is के अमेरिकी संस्करण की पहले संस्करण की किताब, कल्याण के सैकड़ों अंक, वेद-पुराण-उपनिषद की अनगिन किताबें-यह प्रचुर पुस्तक प्रेम जो एक शिक्षक में होना ही चाहिए, वह उनसे विरासत में मिला है | गीता या धर्म की जब वो व्याख्या करते थे तो क्या ज्ञानी और क्या आम जान, मंत्रमुग्ध से उनकी वाणी को घंटों सुनते न अघाते थे |
कोरोना संकट के बाद आये इस दौर में छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाना एक नयी चुनौती के रूप में हमारे शिक्षकों के सामने है | वैसे भी जिन विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम की व्यवस्था थी, वो इस समय ज्यादा अच्छे से तकनीक प्रयोग कर पा रहे हैं | लेकिन इस समस्या ने शिक्षकों को अपने तकनीकी ज्ञान को अद्यतन रखने की आवश्यकता भी सामने लायी है | वर्तमान समय में ऑनलाइन क्लास रोचक बनाना और अच्छे कंटेंट दे पाना एक बड़ी चुनौती और अवसर के रूप में हमारे शिक्षक समुदाय के सामने है | अभी की सीख उन्हें शिक्षा को और विद्यार्थी केंद्रित, तकनीकी युक्त और इंटरनेट पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए रोचक बनाने में मदद करेगी | जब शिक्षक खुद नया ज्ञान सीख रहे हों, तो वाकई वो छात्रों समानुभूति भी रख पाएंगे और उन्हें प्रेरित भी कर पाएंगे | शिक्षक का कार्य छात्रों को जिज्ञासु, नैतिक मूल्य युक्त और मानवीय गुणों से ओतप्रोत बनाने का है | इतना कर पाए तो बाकी की राह शिष्य बड़ी कृतज्ञतापूर्वक तय कर लेंगे और जीवन में हमेशा अपने शिक्षक को आदर और प्रेम के साथ याद रखेंगे | कोरोना काल में पूर्वछात्रों द्वारा अपने शिक्षकों की यथासंभव मदद करने की ख़बरें इस समय भी गुरु-शिष्य संबंधों के प्रेम भाव की एक अलग की बानगी सामने लाती हैं |
--केशवेंद्र कुमार---