सिविल सेवा परीक्षा 2019 का परीक्षाफल आ चुका है और इसमें सफल सभी अभ्यर्थियों को मेरी हार्दिक बधाई | जो सफल नहीं हो सके हैं, इस बार की प्राथमिक परीक्षा दे रहे हैं, उन्हें अपनी कमियों से सीख लेते हुए आत्मविश्लेषण कर इस वर्ष 4 अक्टूबर को होनेवाली प्राथमिक परीक्षा के लिए पूरे जोश-खरोश से तैयारी में जुटने हेतु शुभकामनाएं | वैसे अभ्यर्थी, जिनकी पास अब प्रयास बाकी नहीं है या आयुसीमा पार कर चुके हैं, उनसे मैं कहना चाहूंगा की आप हार नहीं माने और अपनी रुचि के अनुरूप अन्य करियर ऑप्शन पर अपनी ऊर्जा लगाएं | जीवन हर परीक्षा से बड़ा और महत्तवपूर्ण है | हो सकता है की आप जीवन में कुछ और बड़ा काम करने हेतु आएं हो |
सिविल सेवा में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के छात्रों की घटती संख्या चिंता का विषय है | जहाँ एक और नयी शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा देने की बात की जा रही है, वहीं दूसरी और CSAT के आगमन के बाद अंग्रेजी माध्यम और इंजीनियरिंग से सिविल सेवा में आनेवाले छात्रों का वर्चस्व बढ़ा है जो सिविल सेवा के लोकतान्त्रिक स्वरुप और विविधता के लिए सही नहीं है |
संविधान की 22 भाषाओं में एक या दो भाषा का सिविल सेवा में वर्चस्व यह दिखाता है की हम अभी भी सभी भारतीय भाषाओं को सिविल सेवा परीक्षा हेतु बराबरी दिलाने के लक्ष्य से कोसों दूर है | हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु माध्यम में कुछ वर्ष काफी छात्रों ने सिविल सेवा की तैयारी कर सफलता प्राप्त की और यह आशा बंध रही थी की सिविल सेवा परीक्षा भाषिक लोकतांत्रीकरण की और जा रही है | लेकिन फिर हाल के वर्षों में सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम समेत अन्य भारतीय भाषाओं का नगण्य प्रदर्शन यह दर्शाता है की अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व जिसे भारतीय भाषाएं चुनौती देने की दिशा में बढ़ रही थी, पुनः पहले की भांति होता जा रहा है | मैथिली, कोंकणी, बोडो, डोगरी, मणिपुरी, संथाली, सिंधी, नेपाली, ओड़िआ, असामीज, जैसी भाषाओं से यदि सिविल सेवा में रिजल्ट चाहिए तो इन भाषाओं को बोलने वाले राज्यों में राज्य सरकाओं द्वारा प्रतिभाशाली बच्चों के लिए फ्री कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए | उपरोक्त वर्णित भाषाओं के अतिरिक्त हिंदी, तमिल , उर्दू, तेलुगु, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, काश्मीरी, पंजाबी, मलयालम, मराठी, संस्कृत भाषाओं के माध्यम से भी सिविल सेवा में रिजल्ट लाने और अभी आ रहे नगण्य रिजल्ट की संख्या में वृद्धि के लिए NGO एवं इन भाषाओं के संगठनों को भी इस दिशा में फ्री कोचिंग हेतु कदम उठाने की जरुरत है |
UPSC को आत्ममंथन करते हुए सिविल सेवा परीक्षा में आये बदलावों पर विचार करने की जरुरत है | यह परीक्षा ऐसी होनी चाहिए की किसी भी भाषा के माध्यम से आने वाली प्रतिभा को बढ़ावा दे सके और तकनीकी या मानविकी किसी भी शैक्षिक पृष्ठभूमि से आये छात्र के लिए परीक्षा का स्तर समान हो | दो वैकल्पिक विषय को हटा सामान्य अध्ययन के अंक बढ़ाने की नीति ने इस परीक्षा का क्या भला किया है और क्या बुरा, इसपर भी विकार करने का समय आ गया है |
UPSC से यह भी अनुरोध है की सिविल सेवा परीक्षा परिणामों के बाद जल्द ही किस माध्यम से कितने छात्र उत्तीर्ण हुए है और किस शैक्षणिक पृष्ठभूमि से कितने छात्रों का चयन हुआ है , इसके तथ्यों को सामने ला दे ताकि एक सटीक विश्लेषण किया जा सके | जिन भाषाओं को माध्यम के रूप में लेते हुए बहुत ही काम छात्र भाग ले रहे हैं या सफल हो रहे हैं, उनके सन्दर्भ में प्रोत्साहन हेतु कदम उठाने हेतु UPSC द्वारा केंद्र एवं सम्बद्ध राज्य सरकार को सलाह दिया जाना चाहिए | रिक्तियों की घटती संख्या भी चिंता का विषय है और यह देखने की जरुरत है की सभी सर्विस वर्तमान समय की जरुरत को देखते हुए पदों की संख्या का निर्धारण कर सभी रिक्तियों को UPSC को रिपोर्ट करें |
हिंदी में जो प्रश्न पत्र बनाये जा रहे हैं, उनकी भाषा पर हर बार बहस होती है | कहने की जरुरत नहीं है की हिंदी के प्रश्न को समझने के लिए हिंदी के विद्वानों को भी अंग्रेजी सवाल को पढ़ना पड़ जाता | इस परीक्षा में यदि सवाल अंग्रेजी से यांत्रिक रूप से अनुदित किये जाने की जगह सरल हिंदी में लिखे जाए तो इससे भी विद्यार्थियों का भला होगा |
अभ्यर्थियों को मैं यह सलाह भी देना चाहूंगा की CSAT में 33 % अंक लाने की बाध्यता इतना बड़ा पहाड़ भी नहीं है जिसके वजह से वो हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं को माध्यम के रूप में चुनने की जगह मजबूरी में अंग्रेजी माध्यम का चुनाव करें | माध्यम तो बस एक साधन है, अगर आपमें प्रतिभा है, लगन है और समाज, देश और मानवता के लिए कुछ कर दिखाने का जूनून है , तो सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी | हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए मैं अपने ब्लॉग पर और समय निकाल कर कुछ अन्य महत्तवपूर्ण विषयों पर आपको सलाह देने की लिए नियमित रूप से हाजिर होता रहूँगा |
शुभकामनाओं के साथ,
आपका,
केशवेंद्र कुमार
सिविल सेवा में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के छात्रों की घटती संख्या चिंता का विषय है | जहाँ एक और नयी शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा देने की बात की जा रही है, वहीं दूसरी और CSAT के आगमन के बाद अंग्रेजी माध्यम और इंजीनियरिंग से सिविल सेवा में आनेवाले छात्रों का वर्चस्व बढ़ा है जो सिविल सेवा के लोकतान्त्रिक स्वरुप और विविधता के लिए सही नहीं है |
संविधान की 22 भाषाओं में एक या दो भाषा का सिविल सेवा में वर्चस्व यह दिखाता है की हम अभी भी सभी भारतीय भाषाओं को सिविल सेवा परीक्षा हेतु बराबरी दिलाने के लक्ष्य से कोसों दूर है | हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु माध्यम में कुछ वर्ष काफी छात्रों ने सिविल सेवा की तैयारी कर सफलता प्राप्त की और यह आशा बंध रही थी की सिविल सेवा परीक्षा भाषिक लोकतांत्रीकरण की और जा रही है | लेकिन फिर हाल के वर्षों में सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम समेत अन्य भारतीय भाषाओं का नगण्य प्रदर्शन यह दर्शाता है की अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व जिसे भारतीय भाषाएं चुनौती देने की दिशा में बढ़ रही थी, पुनः पहले की भांति होता जा रहा है | मैथिली, कोंकणी, बोडो, डोगरी, मणिपुरी, संथाली, सिंधी, नेपाली, ओड़िआ, असामीज, जैसी भाषाओं से यदि सिविल सेवा में रिजल्ट चाहिए तो इन भाषाओं को बोलने वाले राज्यों में राज्य सरकाओं द्वारा प्रतिभाशाली बच्चों के लिए फ्री कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए | उपरोक्त वर्णित भाषाओं के अतिरिक्त हिंदी, तमिल , उर्दू, तेलुगु, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, काश्मीरी, पंजाबी, मलयालम, मराठी, संस्कृत भाषाओं के माध्यम से भी सिविल सेवा में रिजल्ट लाने और अभी आ रहे नगण्य रिजल्ट की संख्या में वृद्धि के लिए NGO एवं इन भाषाओं के संगठनों को भी इस दिशा में फ्री कोचिंग हेतु कदम उठाने की जरुरत है |
UPSC को आत्ममंथन करते हुए सिविल सेवा परीक्षा में आये बदलावों पर विचार करने की जरुरत है | यह परीक्षा ऐसी होनी चाहिए की किसी भी भाषा के माध्यम से आने वाली प्रतिभा को बढ़ावा दे सके और तकनीकी या मानविकी किसी भी शैक्षिक पृष्ठभूमि से आये छात्र के लिए परीक्षा का स्तर समान हो | दो वैकल्पिक विषय को हटा सामान्य अध्ययन के अंक बढ़ाने की नीति ने इस परीक्षा का क्या भला किया है और क्या बुरा, इसपर भी विकार करने का समय आ गया है |
UPSC से यह भी अनुरोध है की सिविल सेवा परीक्षा परिणामों के बाद जल्द ही किस माध्यम से कितने छात्र उत्तीर्ण हुए है और किस शैक्षणिक पृष्ठभूमि से कितने छात्रों का चयन हुआ है , इसके तथ्यों को सामने ला दे ताकि एक सटीक विश्लेषण किया जा सके | जिन भाषाओं को माध्यम के रूप में लेते हुए बहुत ही काम छात्र भाग ले रहे हैं या सफल हो रहे हैं, उनके सन्दर्भ में प्रोत्साहन हेतु कदम उठाने हेतु UPSC द्वारा केंद्र एवं सम्बद्ध राज्य सरकार को सलाह दिया जाना चाहिए | रिक्तियों की घटती संख्या भी चिंता का विषय है और यह देखने की जरुरत है की सभी सर्विस वर्तमान समय की जरुरत को देखते हुए पदों की संख्या का निर्धारण कर सभी रिक्तियों को UPSC को रिपोर्ट करें |
हिंदी में जो प्रश्न पत्र बनाये जा रहे हैं, उनकी भाषा पर हर बार बहस होती है | कहने की जरुरत नहीं है की हिंदी के प्रश्न को समझने के लिए हिंदी के विद्वानों को भी अंग्रेजी सवाल को पढ़ना पड़ जाता | इस परीक्षा में यदि सवाल अंग्रेजी से यांत्रिक रूप से अनुदित किये जाने की जगह सरल हिंदी में लिखे जाए तो इससे भी विद्यार्थियों का भला होगा |
अभ्यर्थियों को मैं यह सलाह भी देना चाहूंगा की CSAT में 33 % अंक लाने की बाध्यता इतना बड़ा पहाड़ भी नहीं है जिसके वजह से वो हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं को माध्यम के रूप में चुनने की जगह मजबूरी में अंग्रेजी माध्यम का चुनाव करें | माध्यम तो बस एक साधन है, अगर आपमें प्रतिभा है, लगन है और समाज, देश और मानवता के लिए कुछ कर दिखाने का जूनून है , तो सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी | हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए मैं अपने ब्लॉग पर और समय निकाल कर कुछ अन्य महत्तवपूर्ण विषयों पर आपको सलाह देने की लिए नियमित रूप से हाजिर होता रहूँगा |
शुभकामनाओं के साथ,
आपका,
केशवेंद्र कुमार
सर, मै हिंदी माध्यम में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ। वैकल्पिक विषय के रूप में राजनीति विज्ञान उपयुक्त होगा। बिना कोचिंग के।
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