IAS/IPS preparation-how to start लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
IAS/IPS preparation-how to start लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 19 मई 2024

सिविल सेवा के बारे में संवैधानिक उपबंध एवं संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की भूमिका एवं कृत्य

किसी भी सिविल सेवक के लिए भारतीय संविधान एक पथप्रदर्शक के स्थान पर है। भारत के स्वाधीनता संग्राम के सबक, संविधान सभा की धारदार बहसें, संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, कर्तव्य ,  नीति निर्देशक तत्त्व, पंचायती राज एवं स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था एवं अन्य संवैधानिक प्रावधान सिविल सेवक को कठिन निर्णयों के समय दिशा दिखाते हैं। सिविल सेवाओं की व्यवस्था भारतीय संविधान में वर्णित है।   

भारतीय संविधान के 14 वें भाग में सिविल सेवाओं के बारे में प्रावधान हैं। 
अनुच्छेद 309, 310, 311, 312 में सिविल सेवाओं का वर्णन है जिसका सार संक्षेप निम्नलिखित है - 

अनुच्छेद 309-सक्षम विधायिका द्वारा अधिनियम बनाने की शक्ति एवं  राष्ट्रपति एवं राज्यपाल द्वारा सेवाओं की भर्ती एवं सेवा शर्तों के सम्बन्ध में नियम बनाने की शक्ति 

अनुच्छेद  310 -सिविल सेवक राष्ट्रपति या राज्यपाल के  प्रसाद पर्यन्त अपने पद पर बने रहेंगे। 
(उन्हेंअनुच्छेद 311 की सुरक्षा, मौलिक अधिकारों की सुरक्षा प्राप्त है।उन्हें विहित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही अनुच्छेद 311 के प्रावधानों के अधीन ही पदच्युत किया जा सकता है ) 
अनुच्छेद 311-केंद्र एवं राज्य की  सिविल सेवाओं को संरक्षण हेतु प्रावधान
पदच्युति नियुक्ति प्राधिकार के अधीनस्थ द्वारा नहीं , 
पदच्युति, पदावनति,  जांच के बिना नहीं जहां आरोप बताये गए हैं, उन आरोपों पर सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिया गया है, जांच के दौरान प्राप्त सबूतों के आधार पर दंड का अधिरोपण किया जा सकता है।  
अनुच्छेद  312 -अखिल भारतीय सेवा का वर्णन , नयी अखिल भारतीय सेवा के निर्माण की प्रक्रिया 

अखिल भारतीय सेवा एवं केंद्रीय राजपत्रित सेवाओं हेतु परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाती है। इस प्रतिष्ठित आयोग ने अपनी जनमानस में एक अटूट छवि और विश्वास साल-दर-सालबरक़रार  रखा है और इस कारण सिविल सेवा परीक्षा भारत की ही नहीं विश्व की सबसे कठिन एवं प्रतिष्ठित परीक्षाओं में एक मानी जाती है।  सिविल सेवाओं हेतु परीक्षा संघ UPSC के बारे में संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 315 से से 323 तक हैं और इन प्रावधानों का संक्षिप्त विवरण निम्नवत है-

अनुच्छेद 315 के अनुसार  संघ के लिए एक लोग सेवा आयोग होगा और प्रत्येक राज्य के लिए  एक लोक सेवा आयोग होगा | 

अनुच्छेद 316  के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी  |  सदस्यों में लगभग आधे ऐसे व्यक्ति होंगे जो अपनी  नियुक्ति की तारीख पर भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कम -से -कम दस वर्ष पद धारण किया हो |   संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य अपने पद ग्रहण की तारीख से छः वर्ष की अवधि तक या 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक अपना पद धारण करेगा। संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य राष्ट्रपति  को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित पत्र द्वारा अपना पद त्याग सकेगा | 
इस अनुच्छेद में राज्य लोक सेवा के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया का भी वर्णन है जिनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी। 

अनुच्छेद 317   के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष या कोई  अन्य सदस्य यदि दिवालिया घोषित होता है, अपनी पद पर रहते हुए अपने कर्तव्यों के इतर किसी सवेतन नियोजन में लगता है या राष्ट्रपति राय में मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण अपने पद पर बने रहने के अयोग्य है , तो राष्ट्रपति अध्यक्ष या ऐसे अन्य सदस्य को आदेश द्वारा पद से हटा सकेंगे। 

संघ लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष या कोई  अन्य सदस्य यदि निगमित कंपनी के सदस्य के रूप में या संयुक्त रूप में भारत सरकार या राज्य सरकार के द्वारा या निमित्त किये गए करार से सम्पृक्त  या हितबद्ध हो या उसके लाभ, फायदे या उपलब्धि में साझीदार हों तो इसे कदाचार माना जायेगा | इस कदाचार या किसी अन्य कदाचार में राष्ट्रपति के निर्देश  उपरांत उच्चतम न्यायलय द्वारा अनुच्छेद 145 के अधीन जांच पर प्रतिवेदन दिया जायेगा जिसमे कदाचार पुष्ट होने पर राष्ट्रपति अध्यक्ष या ऐसे अन्य सदस्य को आदेश द्वारा पद से हटा सकेंगे। 

अनुच्छेद 318  के अनुसार राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग के  सदस्यों की संख्या और उनकी सेवा की शर्तों का विनियमों द्वारा निर्धारण करेंगे मगर लोक सेवा आयोग के  सदस्यों की सेवा की शर्तों में उनकी नियुक्ति के पश्चात् कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जायेगा | राज्य लोक सेवा आयोग के संबंध में यह शक्ति राज्यपाल के पास है।  

अनुच्छेद 319   के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष भारत सरकार या किसी राज्य सरकार की अधीन किसी भी और नियोजन का पात्र नहीं होगा। संघ लोक सेवा आयोग के   अध्यक्ष से भिन्न अन्य सदस्य संघ लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष या राज्य  लोक सेवा आयोग का  अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के पात्र होंगे किन्तु भारत सरकार या किसी राज्य सरकार की अधीन किसी भी और नियोजन का पात्र नहीं होंगे ।राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य (अध्यक्ष को छोड़कर ) संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य बनने या किसी किसी भी राज्य सेवा आयोग के अध्यक्ष बनने के पात्र होंगे।  

अनुच्छेद 320   के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग संघ की सेवाओं के लिए परीक्षाओं का संचालन करेगी। इसके साथ ही सिविल सेवा और सिविल पदों पर भर्ती की प्रद्धति से संबंधित विषयों पर,  इन पर नियुक्ति में, एक सेवा से दूसरी सेवा में प्रोन्नति या अंतरण में, सेवाओं से संबंधित अनुशासनिक विषयों, क्षतिपूर्ति पेंशन जैसे कई बिंदुओं पर राष्ट्रपति के निर्देश पर परामर्श देने की संघ लोक सेवा आयोग की अहम् परामर्शदात्री भूमिका है। राज्य लोक सेवा आयोग राज्य हेतु समान भूमिका निभाएगी।   

अनुच्छेद 321 के अनुसार संसद संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संघ की सेवाओं  संबंध में और किसी स्थानीय प्राधिकारी या विधि द्वारा गठित अन्य निगमित निकाय या किसी लोक संस्था की सेवाओं के संबंध में भी  अतिरिक्त कृत्यों के प्रयोग के लिए उपबंध कर सकेगा। राज्य विधायिका द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग के संबंध में यही भूमिका निभायी जाएगी। 

अनुच्छेद 322  के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग के व्यय भारत की संचित निधि पर भारित होंगे एवं राज्य लोक सेवा आयोग के व्यय राज्य की संचित निधि पर भारित होंगे। 


अनुच्छेद 322  के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग का यह कर्त्तव्य होगा की वह राष्ट्रपति को आयोग द्वारा किये जाने वाले कार्यों  संबंध में वार्षिक प्रतिवेदन दे  और राष्ट्रपति उन मामलों के संबंध में जिसमें आयोग की सलाह स्वीकार नहीं की गयी थी, अस्वीकृति के कारणों  स्पष्ट करने वाले ज्ञापन सहित उस प्रतिवेदन  की प्रति संसद के दोनों सदनों के सम्मुख रखवाएंगे। 
राज्य लोक सेवा आयोग वार्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को देंगे और इसे उपरोक्त रूप में राज्य विधानमंडल के सम्मुख रखा जायेगा। 

सिविल सेवा के संबंध में ये प्रावधान एक नियमबद्ध एवं देश के विकास के लिए प्रतिबद्ध सेवा हेतु सभी आवश्यक प्रावधानों को संवैधानिक संरक्षण दे कर सिविल सेवाओं को उनकी आंतरिक मजबूती प्रदान करते हैं और सेवाओं को एक गरिमापूर्ण उत्तरदायित्व के रूप में सामने लाते हैं। 

रविवार, 11 दिसंबर 2016

आईएएस की तैयारी कहाँ से शुरू करे-कैसे शुरू करे - शुरू से शुरू करें, दृढ संकल्पित होकर शुरू करें

साथियों, आपमें से बहुत लोगों के सवाल होते हैं की आईएएस की तैयारी कैसे करे, क्या पढ़े, कब तैयारी शुरू करें, वैकल्पिक विषय कैसे चुने इत्यादि । इस पोस्ट में मैं अपने अनुभव के आधार पर इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करूँगा । 

1. अगर आप आठवीं-बारहवीं कक्षा में हैं-
*अगर आपकी  रूचि सिविल सेवा की तैयारी की और है तो आप अपने सामान्य अध्ययन और लेखन शैली पर ध्यान दें । आखिर आईएएस की तैयारी में 6-12 कक्षा की विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित की प्रमुख भूमिका है ।  
*हिंदी/अंग्रेजी के एक समाचार पत्र नियमित रूप से पढ़े, अच्छे टीवी न्यूज़ चैनल के कुछ अच्छे प्रोग्राम नियमित देखे और रचनात्मक विचार शक्ति का विकास करे । अपने व्यक्तित्व को ज्ञान से निखरे/सँवारे । 
 * प्रतियोगिता दर्पण/ सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल,   कुरुक्षेत्र, योजना पत्रिका पढना शुरू कर सकते हैं जिससे GS एवं निबंध पत्र की तैयारी में  मिलेगी 
*फिर UPSC  नोटिफिकेशन पढ़े, जिससे इस परीक्षा के पाठ्यक्रम, वैकल्पिक विषयों की सूची , योग्यता और परीक्षा के सारे महत्त्वपूर्ण  निर्देश पता चलेगें । 

इस स्तर पर इतना करना  काफी  है । साथ  में अपना नियमित अध्ययन, अगर आप मेडिकल /इंजीनियरिंग  प्रवेश परीक्षा की तैयारी  कर रहे हैं तो उसे जारी रखे 

2 . अगर आप परास्नातक कर चुके है या कर रहे हैं या  स्नातक कर चुके हैं या अंतिम वर्ष में आ चुके हैं ----
आपको गंभीरता से इस परीक्षा की तयारी करनी है । 

*UPSC  के नोटिफिकेशन को  पढ़े ।  पिछले सालों के UPSC  के  प्रश्नपत्र देखे  और फिर NCERT  की किताबों को पढना शुरू करो |  योजना, कुरुक्षेत्र एवं आहा, जिन्दगी इन तीन पत्रिकाओं से आपको निबंध एवं GS के लिए मदद मिलेगी |  फिर ncert की साइंस एवं सोशल साइंस छठीं  से बारहवीं की पढ़े | अगर आप उसी विषय को वैकल्पिक विषय के तौर पर ले रहे हैं जो आपका स्नातक या परास्नातक का विषय रहा है तो आप साथ-साथ   वैकल्पिक विषय पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं |

*अगर आप वैकल्पिक विषय का चयन नहीं कर पा रहे हैं तो भी आप GS  एवं निबंध की तैयारी के साथ अपनी शुरुआत कर सकते है । साथ में अपने वैकल्पिक विषय के अंतिम चयन पर फैसला ले । 

3 . क्या आपकी पृष्ठभूमि/ आपकी पढाई/ आपका माध्यम महत्तवपूर्ण है???
आप गांव से आते है या शहर से, आप अंग्रेजी माध्यम में पढ़े हैं या हिंदी एवं भारतीय भाषाओं  में, आप प्रसिद्ध कॉलेज में गए हैं या पत्राचार से स्नातक किया है, आप गरीब हैं या अमीर हैं- UPSC को इनमे किसी बात से फर्क नहीं पड़ता । आप में अपने देश-समाज-विश्व की सेवा का जूनून होना चाहिए, आपके पास ज्ञान और आत्मविश्वास की दौलत होनी चाहिए, आपमें सकारात्मकता सोच और प्रश्नों को सुलझाने की दृष्टि  होनी चाहिए और होना चाहिए  कड़ा परिश्रम  करने की क्षमता । बस इतना काफी है । 

4 . किस माध्यम में तैयारी करे ??
आपको वैकल्पिक विषय एवं निबंध पत्र में अपने को सहज रूप में  जो माध्यम सही लगे,  लिए सही है । UPSC की परीक्षा में आप हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं  में दे सकते हैं  और बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं । हिंदी माध्यम से सभी वैकल्पिक विषयों में किताबे उपलब्ध है । 

5 . नोट कैसे बनाये --
सिलेबस के हिसाब से जिस टॉपिक को आप पुस्तक से  पूरी तरह से  नही  तैयार कर पा रहे हैं, उसके लिए सटीक, संक्षिप्त नोट बनाये । 

6 . नौकरी के साथ IAS / IPS की तैयारी 
सामान्य अध्ययन के लिए समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं को ऑफिस में अगर काम करने के बाद  खाली समय मिले  तो उसमे तैयार करे ।अगर ऑफिस में लाइब्रेरी हो तो उसका उपयोग करे । वैकल्पिक विषय के लिए लगभग दो-तीन घंटे डेली एवं सामान्य अध्ययन  से काम तीन घंटे का समय निकलने की कोशिश  करे ।  सटीक तैयारी करे - क्या पढ़े, क्या छोड़े, इसमें संतुलन रखे । 

आशा है इस आलेख से इस परीक्षा के नवागंतुकों को मदद मिलेगी । शुभकामनाओं के साथ,

केशवेंद्र कुमार आईएएस