गुरुवार, 10 मई 2012

कब तक कोख में मारी जाएँगी बेटियाँ

आमिर खान के टीवी सीरियल सत्यमेव जयते ने वाकई अपने पहले ही एपिसोड से जनमानस में हलचल मचाना शुरू कर दिया है. भ्रूण हत्या जैसे ज्वलंत मुद्दे को काफी संजीदगी और संवेदनशीलता के साथ समाज के सामने लाकर वो समाज को आईना दिखाने का काम कर रहे हैं. हलचल बता रही है कि समाज को भी अपने चेहरे पर इतना बड़ा दाग-धब्बा पसंद नहीं आ रहा है और इस प्रोग्राम के बाद प्रशासन और जनता में काफी जागरूकता भी आयी है. राजस्थान में स्टिंग ऑपरेशन के द्वारा भ्रूण हत्या में डॉक्टरों की भूमिका को उजागर करनेवाले पत्रकारों की कहानी देखकर लगा कि वाकई समाज को बदलने की जद्दोजहद में लगे लोगों को कम ठोकरें नहीं कहानी पड़ती. मगर संतोष इस बात का है कि देर से ही सही बदलाव आने की शुरुआत हो रही है.

कन्या भ्रूण हत्या में सबसे विवश होती है वह माँ जिसे उसकी ही बेटी को मारने में हामी भरने को मजबूर कर दिया जाता है. जरुरत है कि वो इतनी मजबूत बन सके कि अपने बेटी को मारने की साजिश में लगे घर, परिवार और समाज के सामने बुलंदी से अपनी बेटी की ढाल बन कर खड़ी हो सके. वर्ष २००४ की फरवरी में इसी मुद्दे पर एक कविता लिखी थी जिसमे एक कन्या भ्रूण अपनी माँ से संवाद करती है. आपलोगों के सामने पेश है वो कविता -

ओ माँ! तुम सुन रही हो ना!

ओ माँ!
मेरी आवाज सुनो
मैं तुम्हारी बगिया में
अन्खुवाता बिरवा हूँ
मत तोड़ने दो इसे किसी नादान को
मत रौंदने दो इसे किसी हैवान को.

ओ माँ!
पुरुष बेटे के जन्म पर
खुशियाँ मनाता है
तुम क्यों नही खुशियाँ मनाती
बेटियों के जन्म पर
क्या इतनी कमजोर हो तुम
की मेरे दुनिया में आने से
पुरुषों की इस दुनिया में
खुद को असुरक्षित महसूस करती हो?

ओ माँ!
भूलती क्यों हो यह बात
की गर्भ में तुम भी रही होगी एक दिन
पुरुषों के दवाब से झुककर
तुम्हारी माँ ने यदि गर्भ में ही
तुम्हारी हत्या होने दी होती,
तो क्या होता?
सृष्टि की आदिमाता ने यदि
लड़कियों की भ्रूण-हत्या होने दी होती
तो शायद मानव जाति कब की
लुप्त हो चुकी होती.

ओ माँ!
जबतक मैं सुदूर अनंत में थी
मैंने कुछ नही माँगा
मगर, अब जब मैं तुम्हारे गर्भ में हूँ
धरा पर जन्म लेना हक़ है मेरा
मेरे इस हक़ के लिए
तुम्हे लड़ना होगा उनसे
जो स्रष्टा नही हैं
मगर संहार में लगे हैं.

ओ माँ!
लड़की जनने की आशंका से
क्यूँ मुरझाई हो तुम?
क्या खुद पर विश्वास नही,
या मुझ पर विश्वास नहीं?
पुरुष बेटों पर गर्व करता है
तुम बेटियों पर गर्व करना सीखो माँ.

ओ माँ!
जिन्दगी पर सिर्फ बेटो का ही हक़ नही
बेटियों का भी हक़ है बराबर
जिन्दगी सिर्फ बेटों की ही बपौती नही
बेटियों की भी 'ममौती' है.

ओ माँ!
मैं दुनिया को देखना चाहती हूँ
मैं जिन्दगी को जीना चाहती हूँ
मैं उस समाज, उस मानसिकता
को बदलना चाहती हूँ
जो बेटियों की राह में
सिर्फ जिन्दगी-भर ही नहीं
वरन जिन्दगी के पहले भी,
जिन्दगी के बाद भी
नुकीले कांटे बिछाती रहती है.

ओ माँ!
हौसला रखो, विश्वास रखो
आशा रखो, उम्मीद रखो
और मुझे इस दुनिया में आने दो
मैं जन्मने से पहले नही मरना चाहती
तुम भी इस पाप में मूक सहमति
दे कर जीते जी न मरो.
अपनी आत्मा को, अपने अंश को
अपनी मुक्ति के इस मधुर गीत को
अपनी बेटी को न मरने दो.

ओ माँ!
तुम सुन रही हो ना?
04 Feb 2004

3 टिप्‍पणियां:

  1. Respected Sir,
    Mera naam Deepak Kumar hai. Maine abhi B.Sc. (from DR. BRAU AGRA) se complete kiya hai. Main Civil Services ki taiyari karna chahta hun. Maine apni study Hindi medium se ki hai. Maine IAS ki taiyari ke liye optional subject-PUBLIC ADMINISTRATION and PSYCHOLOGY ka chunav kiya hai.
    Meri samsya ye hai ki, Main IAS ki taiyari bhi Hindi Medium se karna chahta hun. Plz ye bataye kya mujhe IAS ki taiyari ke liye paryapt Books Hindi medium me uplabdh ho payegi? Vaise adhiktar IAS ki books English me hi uplabdh hain. Kripya kuchh hindi medium ki books ki suchi de(for Mains Exam).
    Apki mahan kripa hogi,
    Dhanyawad!

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. दीपक, इन दोनों विषयों में आपको हिंदी माध्यम में अच्छी किताबें और अध्ययन सामग्री उपलब्ध है. आधार के रूप में आप इन दोनों विषयों के इग्नू स्नातक की पुस्तके ले सकते हैं. इन विषयों की विस्तृत पुस्तक सूचि आपको सफल उम्मीदवारों के साक्षात्कार से मिल जाएगी.

    जवाब देंहटाएं