बुधवार, 22 मई 2013

UPSC CIVIL SERVICE PT 2013- परीक्षा पूर्व एवं परीक्षा भवन हेतु कुछ उपयोगी सुझाव


साथियों, यूपीएससी की प्राथमिक परीक्षा के दिन अब करीब आ गये हैं | मई की इस भीषण गर्मी में तापमान के दवाब के साथ इस परीक्षा का दवाब काफी भारी होता है, इसे मैं अपने अनुभव से जानता हूँ | हालाँकि, इस परीक्षा में भाग ले रहे सभी साथियों को मैं सुझाव दूंगा कि आप अपने आप पर मौसम की गर्मी या परीक्षा की टेंशन को हावी न होने दें और सहज और संयत भाव से इस परीक्षा को लें | बुद्ध पूर्णिमा आपके परीक्षा के ठीक इक दिन पहले है और महात्मा बुद्ध के शब्दों को उधार लेते हुए कहूं तो कहूँगा-

यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में कष्ट है, इस कष्ट से बचने का उपाय है और सम्यक तरीके से सफलता-विफलता के सुख- दुःख से परे होकर निरपेक्ष भाव से इसकी तैयारी करने से आप इस दुःख से बच सकते हैं |”

 

साथियों, आप में से जो लोग यूपीएससी की सिविल सेवा प्राथमिक परीक्षा में २६ मई को शामिल हो रहे हैं, उनके लिए कुछ परीक्षा पूर्व और परीक्षा हॉल की नसीहतें लेकर मैं आप लोगों के सामने हाजिर हूँ-

परीक्षा से पहले

*आप लोग सिलेबस का पर्याप्त अध्ययन कर चुके होंगे | वैसे भी प्राथमिक परीक्षा का सीसैट और सामान्य अध्ययन पत्र सिलेबस के दायरों से छलक-छलक पड़ती है | इसलिए कितनी भी तैयारी करने के बाद आप आश्वस्त नहीं रह सकते कि आपकी तैयारी सम्पूर्ण है | इसलिए अब जितनी भी तैयारी की है, उससे संतुष्ट होकर अपने मन को आश्वस्त रक्खें |

*रिविजन यानि पढ़े हुए का बार-बार दुहराव इस समय काफी महत्तवपूर्ण है | प्राथमिक परीक्षा में समझ के साथ-साथ आपकी याददाश्त की भी परीक्षा होती है | बहुत सारे तथ्यात्मक प्रश्नों में आपकी स्मरण शक्ति ही साथ देगी | इसलिए अपने बनाये हुए शोर्ट नोट्स, सामान्य अध्ययन की पत्रिकाओं के पिछले साल-डेढ़ साल के अंक, प्रतियोगिता दर्पण की अर्थशास्त्र एवं समसामयिकी वार्षिकी, प्रकाशन विभाग की भारत वार्षिकी का त्वरित दुहराव करें | दुहराव में इस बात का ध्यान रखे कि आप अपनी मेमोरी की टेस्ट ले रहे हैं, अतः पाठ या चैप्टर को शब्दशः पढ़ना जरुरी नहीं है | किसी भी टॉपिक को देख कर उसके मुख्य तथ्यों को रिकॉल करें, यदि आप उसके मुख्य तथ्यों को रिकॉल कर पा रहे हैं तो उस टॉपिक को सरसरी निगाह से देखते हुए आगे बढ़ चले | यदि सारे तथ्य नहीं याद आ रहे हों या आपको कन्फ्यूजन हो रहा हो तो फिर उस टॉपिक को थोड़ी गहराई से पढ़ सारी शंकाओं को दूर करे और फिर आगे बढे |

* इन्टरनेट का अब परीक्षा तक कम- से- कम इस्तेमाल करें |

* सामान्य अध्ययन और सीसैट के उन भागों पर ज्यादा ध्यान दे जिसमें आप अपने को मुश्किल में महसूस कर रहे हैं | इतिहास, प्रशासन एवं संविधान, समसामयिकी, भारतीय अर्थव्यवस्था जैसे तथ्य बहुल अंगों का दुहराव अभी ज्यादा काम आएगा |  सामान्य अध्ययन के प्रश्न पत्र की प्रवृत्ति को देखते हुए विषय पर गहरी पकड़ जरुरी है | सतही ज्ञान से अब काम नहीं चलने वाला है |

*परीक्षा की पूर्व संध्या से अपने मन को शांत रखे, रात में अच्छे से नींद ले और अगली सुबह अपने आप को सकारात्मक और सफलता प्राप्ति के विचारों से भरते हुए परीक्षा के लिए जाये |

 

 

परीक्षा के दिन एवं परीक्षा भवन में

*परीक्षा के लिए आवश्यक सभी सामग्रियों (एडमिट कार्ड, बॉल पेन, घड़ी ) के साथ समय से परीक्षा भवन पहुंचे | परीक्षा भवन में समय से लगभग एक घंटा पूर्व पहुचने से निश्चिन्त रहेंगे |

*परीक्षा हॉल पर अपने साथियों से अनावश्यक बात करने में मशगूल न हों, हो सकता है कि किसी की निराशा भरी बात आपको भी संशयग्रस्त कर जाये | अपने में मगन रहे |

* अगर परीक्षा केंद्र पर बिना टेंशन के पढ़ सके और काफी समय रहते आप वहां पहुचे हैं तो कोई एकांत कोना तलाश कर अपने शोर्ट नोट्स को सरसरी नजर देखे या फिर किसी भी स्तरीय समसामयिकी वार्षिकी को इक नजर देखे | इसका उद्देश्य बस समय बिना टेंशन के बिताना है | अगर आपको टेंशन हो रही हो तो शांत कोने में आराम से बैठ कर लम्बी-गहरी सांसें लेते हुए मन को समझाए कि आप परीक्षा में अपनी तैयारी के हिसाब से काफी अच्छा परफॉर्म करेंगे |

*गर्मी को ध्यान में रखते हुए पानी की बोतल अपने पास में रखे, मन हो तो उसमे ग्लूकोस मिला कर रखे | बहुत बार एग्जाम हॉल में आपको टेंशन की वजह से गला सूख रहा महसूस होगा और आप समय की तंगी की वजह से अपनी जगह से उठ कर पानी पीने की ज़हमत में अपना समय बर्बाद करना नहीं चाहेंगे | अतः बेहतर है कि आप पानी की बोतल अपने पास रखे |

* नेगेटिव मार्किंग को ध्यान में रखते हुए जिन प्रश्नों के बारे में थोडा भी पता न हो, उन्हें छोड़ देना ही बेहतर है | हां, अगर आप ४ विकल्पों में से दो या इक विकल्प के सही उत्तर न होने के बारे में श्योर हों तो फिर इंटेलीजेंट गेस कर सकते हैं | सीसैट के निर्णय क्षमता वाले प्रश्न में नेगटिव मार्किंग नहीं है, अतः उस खंड के सारे प्रश्न हल करे |

* यूपीएससी के द्वारा अंग्रेजी में सेट प्रश्नों के मशीनी हिंदी अनुवाद की समस्या को देखते हुए, यदि किसी भी प्रश्न को समझने में दुविधा हो तो उसके अंग्रेजी प्रश्न को देखना व्यावहारिक होगा | यूपीएससी के कॉम्प्रिहेंशन के खंड में हिंदी अनुवाद में पिछले प्रश्नों में (मैंग्रूव वन ) भयंकर भूल मैंने खुद देखी है |

 * प्राथमिक परीक्षा के प्रश्न पत्र १(सामान्य अध्ययन ) में प्रश्नों की प्रवृत्ति का ध्यान से अध्ययन करें | सामान्यतः अब हर प्रश्न के उत्तर में ३-४ कथन होते हैं और फिर उन कथनों में कौन-कौन से सही हैं, यह आपको उत्तर में बताना होता है | इसलिए इन प्रश्नों को ध्यान से पढ़कर क्या पूछा गया है, इसके बारे में कन्फर्म होकर फिर ध्यान से विकल्पों को देखे और सही विकल्प चुने |

*प्रश्न पत्र २ में परिच्छेद पर आधारित प्रश्नों में आपके उत्तर सिर्फ परिच्छेद पर आधारित होने चाहिये | इन प्रश्नों की बहुसंख्या को देखते हुए इनमें अच्छा प्रदर्शन आपके सफलता का पथ प्रशस्त करेगा |

* कथन या आंकड़ों या चित्र  के आधार पर निष्कर्ष निकलने वाले प्रश्नों में आपकी विश्लेषण क्षमता का टेस्ट है | इन प्रश्नों की संख्या भी अच्छी-खासी है | इन्हें समय देते हुए आराम से बनाये |

* गणितीय योग्यता एवं मानसिक योग्यता परिक्षण के प्रश्न काफी सावधानी और समझ-बूझ के साथ बनाये |

*अंग्रेजी भाषा की योग्यता को जांचने वाले परिच्छेद पर आधारित 8 प्रश्नों में अंग्रेजी भाषा और व्याकरण का विशेष  ख्याल रखे |

* निर्णय क्षमता वाले प्रश्नों में ध्यान रखे कि आपके निर्णय भारतीय संविधान के अनुरूप हों, नेचुरल जस्टिस के सिद्धांत का पालन करते हों और जनकल्याण में हो |

 

इन्हीं छोटी-छोटी मगर काम की बातों के साथ मैं आप सबों को सफलता हेतु और प्राथमिक परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन की दुआ करता हुआ विदा लेता हूँ.

शुभकामनाएँ,

केशवेन्द्र कुमार, आईएएस

डायरेक्टर, हायर सेकेंडरी, केरल

 

 

मंगलवार, 14 मई 2013

UPSC CIVIL SERVICE PT 2013 - DECISION MAKING QUESTIONS- SOLVE WITH GANDHI'S TALISMAN


यूपीएससी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में एक अहम् हिस्सा अब निर्णय क्षमता को जांचने वाले प्रश्नों का है | ये ऐसे प्रश्न हैं जो आपको प्रशासनिक निर्णय लेने की कसौटी पर कसते हैं | ये इस बात की जांच करते हैं कि कठिन निर्णय लेने की दुविधा पूर्ण घडी में आप सही निर्णय ले पाते हैं या नहीं?

 

निर्णय लेना या डिसीजन मेकिंग काफी सब्जेक्टिव होता है | किसी भी निर्णय को लेने के पीछे कई कारक तत्त्व होते हैं और किसी भी व्यक्ति की परवरिश और परिवेश उसके निर्णय लेने की क्षमता को काफी हद तक प्रभावित करते हैं | दूसरी बात कि कोई भी निर्णय कभी भी परफेक्ट नहीं हो सकता | हर निर्णय के अपने नफे-नुकसान होते हैं | आपको तो बस ये देखना है कि तत्काल और लम्बे समय में जनता का सबसे ज्यादा भला किस निर्णय से होगा यूपीएससी आपसे आशा करती है कि आप दुविधा और चुनौती की स्थितियों में सबसे उपयुक्त निर्णय लें |

 

वर्तमान में सी सैट में ८० प्रश्नों में ७-८  प्रश्न निर्णय क्षमता को जांचने के लिए पूछे जा रहे हैं इनका २०० अंकों के पत्र में १७.५ -२०  अंक का योगदान है | इनके लिए कोई निगेटिव मार्किंग नहीं है | दिए गए चार विकल्पों में एक से ज्यादा भी सही उत्तर हो सकते हैं | यूपीएससी ने २०१२ की परीक्षा से उत्तर अपने वेबसाइट पर डालने शुरू किये हैं जो कि काफी अच्छी बात है | सो, इस खंड में बेहतर प्रदर्शन आपके पीटी पास करने की संभावना को बढ़ा सकता है |

 

आइये, अब वर्ष २०१२ में इस खंड से आये प्रश्नों का विश्लेषण करे-

CSAT – 2012  QUESTION PAPER SERIES A

 

*

७४. अपने अधीनस्थ द्वारा तैयार किये गए प्रतिवेदन के सम्बन्ध में, जिसे अतिशीघ्र प्रस्तुत किया जाना है, आपके अभिमत भिन्न हैं | आपका अधीनस्थ प्रतिवेदन में दी गयी सूचना को सही ठहरा रहा है | आप क्या करेंगे?

क) अपने अधीनस्थ से स्वीकार कराएँगे कि वह गलत है |

ख) उसको परिणामों पर पुनर्विचार हेतु कहेंगे |

ग) प्रतिवेदन में आप स्वयं संशोधन कर लेंगे |

घ) अधीनस्थ को कहेंगे कि अपनी गलती को उचित न ठहराए |

 

यूपीएससी की उत्तर कुंजी के अनुसार इसका सही उत्तर क) एवं ग) है |

 

विश्लेषण- सही विकल्पों की संगतता का आकलन-

क)यहाँ पर विचार करने के मुद्दे हैं कि रिपोर्ट को अतिशीघ्र प्रस्तुत किया जाना है | अतः समय बहुत ही महत्तवपूर्ण घटक है | इसीलिए पहला विकल्प बनता है कि  आप अपने अधीनस्थ को समझायेंगे कि रिपोर्ट में ये गलतियाँ हैं और यदि वह सहमत है तो उसे रिपोर्ट को बदल कर अतिशीघ्र लाने के लिए कहेंगे | 

 

ग)दूसरा विकल्प है कि समय को ध्यान में रखते हुए आप खुद ही रिपोर्ट में आवश्यक संसोधन कर लगे | आप बॉस हैं और आपके अधीनस्थ की रिपोर्ट में संशोधन करने का आपको पूरा-पूरा प्रशासनिक अधिकार है |

 

गलत विकल्पों की अनुपयुक्तता का विश्लेषण-

विकल्प ख) की समस्या है कि समय की कमी को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार सही विकल्प नहीं है | अगर निर्णय काफी जटिल है और समय की कोई पाबन्दी नहीं, उस परिस्थिति में ये सही विकल्प हो सकता है |

विकल्प घ) तानाशाही रवैये को दर्शाता है | आपके अधीनस्थ ने रिपोर्ट तैयार की, आप सहमत नहीं है और आपकी असहमति तार्किक है तो आप उसका मार्गदर्शन कर उसे रिपोर्ट बदलने के लिए कह सकते हैं| मगर, अगर वह अपने दृष्टिकोण पर अडिग है और उसके पास अपने तर्क है जो उसकी दृष्टि में सही है तो बेहतर है कि समय की कमी को ध्यान में रखते हुए आप उस रिपोर्ट को खुद ही संसोधित कर ले |

 

इस प्रश्न का जवाब देते हुए इससे मिलती-जुलती निर्णय घटनाओं पर नजर डाल ले-

*कैग की २ जी घोटाले की रिपोर्ट पर उनके अधीनस्थ ऑडिटर सिंह जी  के सवाल- कि नुकसान के आकलन की विधि पर  उनकी आपत्तियों को नजरंदाज किया गया | भई, रिपोर्ट विनोद राय को देनी है, रिपोर्ट की जवाबदेही उनकी है, तो फिर रिपोर्ट तैयार करने में दृष्टिकोण तो उन्हीं का चलेगा ना |

 

*हलके-फुल्के मिजाज में इक और उदाहरण दे देता हूँ- अगर आप किसी सरकारी मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हो और सीबीआई आपके मंत्रालय के खिलाफ जांच कर रही हो जिसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जानी हो; उस परिस्थिति में सीबीआई को अपना अधीनस्थ समझने की गलती बिलकुल ना करे |

 

 

७५.इक प्रतिष्टित पुरस्कार के लिए जिसका निर्धारण मौखिक प्रस्तुतिकरण के आधार पर होना है, आप अपने ही बैच मेट के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं | प्रत्येक प्रस्तुतीकरण के लिए दस मिनट का समय है | आपको प्रस्तुतीकरण को ठीक समय से समाप्त करने को कहा है जबकि आपके मित्र को तय समय से ज्यादा समय दिया जाता है | आप क्या करेंगे?

क) इस भेदभाव के लिए अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराएँगे |

ख) समिति द्वारा दिए गए किसी भी औचित्य को नहीं सुनेंगे |

ग) अपना नाम प्रतियोगिता से वापस लेने की मांग करेंगे |

घ) विरोध करते हुए उस स्थान को छोड़ देंगे |

 

यूपीएससी की उत्तर कुंजी के अनुसार इसका सही उत्तर क) एवं घ) है |

 

यहाँ समस्या ज्यादा जटिल नहीं है | ऐसी परिस्थिति अगर स्कूल में भी किसी भाषण या वाद-विवाद प्रतियोगिता के दौरान आने पर यही सबसे सार्थक विकल्प हैं.

विकल्प ख) एवं ग) खोखले विकल्प हैं | आपके निर्णय का प्रभाव होना चाहिये | विकल्प क) एवं घ) में आपके निर्णय से हलचल मचना स्वाभाविक है क्यूंकि प्रश्न के हिसाब से यह इक प्रतिष्टित पुरस्कार है |

सीढ़ी सी बात है कि अगर आप अपने खिलाफ हो रहे अन्याय और भेदभाव का प्रतिकार नहीं कर सकते तो जनता को कहाँ से न्याय दिला पायेंगे |

 

७६. आप इक समयबद्ध परियोजना पर कार्य कर रहे हैं | परियोजना की पुनरीक्षण बैठक के दौरान आप यह पाते हैं कि आपके समूह के सदस्यों के द्वारा सहयोग में कमी के कारण परियोजना विलंबित हो सकती है | आप क्या करेंगे ?

क) अपने समूह के सदस्यों को उनके असहयोग के लिए चेतावनी देंगे |

ख) असहयोग के कारणों की जांच-पड़ताल करेंगे |

ग) समूह के सदस्यों को प्रतिस्थापित करने की मांग करेंगे |

घ) कारण प्रस्तुत करते हुए समय सीमा बढ़ाने की मांग करेंगे |

यूपीएससी की उत्तर कुंजी के अनुसार सही विकल्प क) एवं ख) हैं |

इस प्रश्न का विश्लेषण करे तो हम पाते हैं कि समयबद्ध परियोजना होने के कारण विकल्प ग) एवं घ) अनुपयुक्त हैं | विकल्प ख ) पर अमल करने के बाद अगर लगे कि असहयोग की कोई तार्किक वजह नहीं हैं तो आपके पास विकल्प क) के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं बचता |

 

७७. आप एक राज्य क्रीड़ा समिति के अध्यक्ष हैं | आपको इक शिकायत मिली है और बाद में यह पाया गया है कि कनिष्ठ आयु वर्ग के किसी पदक जीतने वाले एथलिट की आयु, आयु के दिए गए मानदंड से पांच दिन अधिक हो गयी है | आप क्या करेंगे?

क) छान-बीन समिति से स्पष्टीकरण देने को कहेंगे |

ख) एथलिट से पदक वापस करने को कहेंगे |

ग) एथलिट को अपनी आयु की घोषणा करते हुए न्यायलय से शपथ पत्र लाने को कहेंगे |

घ) क्रीड़ा समिति के सदस्यों से उनकी राय मांगेंगे |

 

इसका सही उत्तर क ) एवं घ ) है |

 

यहाँ प्रश्न से ऐसा प्रतीत होता है कि शिकायत मिलने के बाद जांच पूरी हो चुकी है | अतः स्पष्टीकरण एवं क्रीड़ा समिति के सदस्यों की राय इक औपचारिकता भर है जिससे ऐसा प्रतीत नहीं हो कि अध्यक्ष अकेले ही महत्तवपूर्ण निर्णय ले रहे है | ख ) और ग) विकल्प ही इस मामले की तार्किक परिणति होंगे | पर सहभागी निर्णय को बढ़ावा देने के लिए तथा निर्णय निर्दोष हो, इसके लिए ही विकल्प  क) एवं घ) को सही बताया गया है |

दूसरी बात कि ऐसे निर्णयों में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन अनिवार्य है | इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी व्यक्ति को कोई दंड देने के पहले या उसके हितों के विपरीत निर्णय लेने के पहले उसे अपनी बात रखने का अवसर अवश्य मिलना चाहिये |

 

 

७८. आप एक प्राथमिकता परियोजना पर कार्य कर रहे हैं और सभी अंतिम तिथियों को पूरी तरह निभा

रहे हैं और इसी आधार पर परियोजना के दौरान अवकाश लेने की योजना बना रहे हैं | आपका आसन्न अधिकारी परियोजना की अविलम्बता बताकर आपका अवकाश अनुमोदित नहीं करता है | आप क्या करेंगे?

क) मंजूरी की प्रतीक्षा किये बिना अवकाश पर चले जायेंगे |

ख) बीमारी का बहाना बना कर अवकाश पर चले जायेंगे |

ग) अवकाश के आवेदन पर पुनर्विचार करने के लिए उच्चतर अधिकारी से बात करेंगे |

घ) आसन्न अधिकारी को बताएँगे कि यह न्यायसंगत नहीं है |

 

उत्तर कुंजी के अनुसार सही उत्तर ग) या घ) है |

 

विकल्प क) आपके उत्तरदायित्वहीन होने को दर्शाता है और विकल्प ख) दर्शाता है कि आप झूठे और मक्कार है | इस स्थिति में ग) और घ) ही सही विकल्प है |

 

७९. आप सुदूर क्षेत्र में जल आपूर्ति परियोजना पर कार्य कर रहे है | किसी भी हालत में परियोजना की पूरी लागत वसूल कर पाना असंभव है | उस क्षेत्र में आय का स्टार काफी नीचा है और २५ % जनता गरीबी की रेखा से निचे है | जलापूर्ति की कीमत निर्धारण का नियम लेते समय आप क्या करेंगे?

क) यह अनुशंसा करेंगे कि पूरी जलापूर्ति निशुल्क हो |

ख) यह अनुशंसा करेंगे कि सभी उपयोगकर्ता नल लगाने हेतु इक बार तय शुल्क का भुगतान करे और पानी का उपयोग निशुल्क हो |

ग) यह अनुशंसा करेंगे कि गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों के लिए इक निर्धारित तय मासिक शुल्क हो और गरीबी रेखा से निचे के परिवारों के लिए जलापूर्ति निशुल्क हो |

घ) यह अनुशंसा करेंगे कि उपयोगकर्ता जल के उपभोग पर आधारित शुल्क का भुगतान करे जिसमे गरीबी रेखा से ऊपर तथा निचे के परिवारों के लिए विभेदीकृत शुल्क निर्धारित किया जाए |

उत्तरकुंजी के अनुसार इसका सही उत्तर ग) और घ) है |

 

विकल्प क) मुद्रीय घाटे को देखते हुए तथा इस बात को ध्यान में रखते हुए निशुल्क सुविधा जल के दुरूपयोग को बढ़ावा देगा, अनुपयुक्त है |

विकल्प ख) गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों पर ज्यादा बोझ डालता है (नल की स्थापना के लिए एकमुश्त शुल्क के रूप में ) और फिर जल आपूर्ति निशुल्क होने पर जल के दुरूपयोग की सम्भावना है |

विकल्प ग ) एवं घ) सामाजिक न्याय और सकारात्मक विभेदीकरण के साथ-साथ जल के दुरूपयोग की सम्भावना को भी न्यूनतम स्तर पर रखते है|

 

८०. एक नागरिक के रूप में आपको एक सरकारी विभाग से कुछ काम है | सम्बद्ध अधिकारी आपको बार-बार बुलाता है और आपसे अप्रत्यक्षतः बिना कुछ कहे रिश्वत देने के इशारे करता है | आप अपना कार्य कराना चाहते है | आप क्या करेंगे?

क) रिश्वत दे देंगे |

ख) ऐसा व्यवहार करेंगे मानों आप उसके इशारे नहीं समझ रहे हैं और अपने आवेदन पर डटे रहेंगे |

ग) रिश्वत के इशारों के सम्बन्ध में मौखिक शिकायत के साथ उच्चतर अधिकारी के पास सहायता के लिए जायेंगे |

घ) इक औपचारिक शिकायत भेजेंगे |

 

यूपीएससी की उत्तरकुंजी के हिसाब से इसका सही उत्तर ख) एवं ग) है |

 

यहाँ विकल्प क) के सही होने का सवाल ही नहीं उठता |

विकल्प ख ) सही होते हुए भी इक लचर विकल्प है | धारणा यह ली गयी है कि यदि आप उसके इशारे न समझने का व्यवहार करेंगे तो आजिज आकर वो आपका काम कर देगा | मगर मेरी धारणा में अगर वह अधिकारी आपको बार-बार बुलाकर परेशान कर रहा है तो वह बेशर्मी की मोटी खाल से ढका नंगा इन्सान है जिससे मरते दम तक बिना घूस लिए काम की आशा आकाशकुसुम की आशा जैसी ही है |

विकल्प ग) सही और तार्किक है |

विकल्प घ) भी दमदार है पर यूपीएससी ने किस हिसाब से इसे सही नहीं माना, वो मेरी समझ के परे है |

इक और अच्छा विकल्प जो यहाँ मौजूद नहीं है वह यह है कि आप सूचना के अधिकार में आवेदन देकर अधिकारी से पूछे कि इस कार्य को करने के लिए कितने समय की आवश्यकता है और इसपर अनावश्यक विलम्ब का कारण क्या है? आपको उत्तर भेजने के पहले आपका काम कर दिया जाएगा |  

 

 

वर्ष २०१२ एवं २०११ के निर्णय क्षमता परखने के लिए आये प्रश्नों के विश्लेषण के बाद इन प्रश्नों को हल करने के लिए कुछ व्यावहारिक सुझाव निम्नांकित हैं-

१.      अनिर्णय या निर्णय को अनिश्चित काल तक टालने या उसे अपने सर से किसी और के सर पर लादने वाले विकल्पों से बचे |

२.      सही विकल्प हमारे संविधान और कानूनों की सीमा रेखा में हो, इस बात का ख्याल रखे |

३.      नेचुरल जस्टिस अर्थात नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का हर निर्णय में पालन अनिवार्य है. इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी व्यक्ति को कोई दंड देने के पहले या उसके हितों के विपरीत निर्णय लेने के पहले उसे अपनी बात रखने का अवसर अवश्य मिलना चाहिये |

४.      पक्षपात से अपने निर्णयों में बचे | हमेशा ध्यान रखे कि हमारे निर्णय निष्पक्ष और जनता के लिए होने चाहिये |

५.      निर्णय लेने में कोई संदेह हो तो गांधीजी के जंतर को याद जो हर एन सी ई आर टी की पुस्तक में आपको लिखा मिलता है-

 

 

 

 

“तुम्हें एक जंतर देता हूँ. जब भी तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहम तुम पर हावी होने लगे, तब तो यह कसौटी आजमाओ. जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शकल याद करो, और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा. क्‍या उससे उसे कुछ लाभ पहुंचेगा? क्‍या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू पा सकेगा? यानि क्‍या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज्य मिल सकेगा, जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है?

तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम समाप्त होता जा रहा है.”

 

आपके निर्णय पॉजिटिव डिस्क्रिमिनेशन अर्थात सकारात्मक विभेदीकरण के सिद्धांत के अनुरूप हो सकते है |

६.      यूपीएससी के उत्तरों के लिए व्यवहारिकता के ऊपर सिद्धांतों को प्रश्रय दे | लिखित परीक्षा में जिसके उत्तर अब यूपीएससी अपनी वेबसाइट पर भी दे रही है, वो आपसे ऊँचे नैतिक मूल्यों वाले उत्तरों की ही आशा करेगी भलेही उसे यह पता हो कि जो उत्तर है उसे अमल में लाना टेढ़ी खीर है |

७.      जनता की किसी भी शिकायत को अनदेखा न किया जाए, यह आपके उत्तरों में झलकना चाहिये | आप जनता के लिए काम करेंगे, इस बात का हमेशा ख्याल रखे |

८.      दवाब में कोई निर्णय नहीं लें, सबकी सुने पर निर्णय वही ले जो आपको अपने दिल से सही लगता है | अपने निर्णय की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और अप्रत्याशितता को बरक़रार रखे | यूपीएससी आपसे बुलंद निर्णयों की अपेक्षा रखती है जो राष्ट्रहित में हों |

 

बस इन्हीं सुझावों के साथ मैं आपसे विदा लेता हूँ. प्रारंभिक परीक्षा में सफलता के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ |

----केशवेन्द्र कुमार---

डायरेक्टर, हायर सेकेंडरी एजुकेशन

केरल

 

 

रविवार, 24 फ़रवरी 2013

UPSC CIVIL SERVICE INTERVIEW 2013,

सिविल सेवा २०१२ की मुख्य परीक्षा का परिणाम आ चुका है. सबसे पहले तो मैं उन सफल प्रतिभागियों को बधाई देना चाहूँगा जिनके नाम सफल लोगों की सुनहरी सूची में है. और, उन लोगों से जिन्हें इस बार सफलता नही मिली है, उनसे मैं यही कहना चाहूँगा की फिर से एक ईमानदार कोशिश करे- स्वविश्लेषण कर अपनी तैयारी की कमजोरियों को दूर करे और याद रखे कि- कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.

सफल प्रतिभागियों के पास समय वाकई कम है. अगले महीने से ही साक्षात्कार शुरू हो रहे हैं और इसी थोड़े समय में आपको अपने व्यक्तित्व में धार लगानी है. आपको साक्षात्कार बोर्ड के सामने अपने आपको सम्पूर्णता में सामने रखना है अपनी मानवीय खूबियों-खामियों के साथ. मेरी सलाह यही है की चिंता में अपना सर खुजाने की जगह उपरवाले का शुक्रिया अदा करते हुए आगे की तैयारियों में जुट जाये.

साक्षात्कार की औपचारिकताओं पर मेरी एक पुरानी पोस्ट ब्लॉग पर मौजूद है. ये चीजें महत्वपूर्ण है पर बहुत ज्यादा नहीं. साक्षात्कार बोर्ड के लोग आप सिविल सेवा के लिए कितने उपयुक्त है, इसे जांचने-परखने के लिए बैठे हैं. इसलिए आपके अन्दर क्या है, यह उनके लिए ज्यादा मायने रखता है. हालांकि, बाहरी व्यक्तित्व भी गरिमामय हो, इस बात का ध्यान रखना जरुरी है.

तो, साक्षात्कार के दिन क्या पहनना है, किस तरह के कपड़े आपके व्यक्तित्व की सही  झलक देंगे, प्रमाणपत्र, बायोडाटा जैसी आवश्यक  औपचारिकताए ३-४ दिनों के अन्दर निपटा ले. इनके बाद आपको अपने साक्षात्कार के केंद्र बिंदु पर ध्यान देना है.

सबसे पहले आपने प्राथमिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के फॉर्म को भरने में जो जानकारियां भरी हैं, उनकी एक कॉपी ले अपनी एक डायरी या नोट बुक में साक्षात्कार के संभावित टॉपिक का चयन करे.

कुछ संभावित टॉपिक इस प्रकार हैं-

१. आपकी शैक्षिक पृष्ठभूमि - आपने जिस विषय से स्नातक एवं उससे ऊपर का अध्ययन किया है उसकी एक स्तरीय जानकारी होना आपके लिए जरुरी है. वर्तमान में उस विषय से जुड़े मुद्दे जो ख़बरों में हो उसकी भी जानकारी आपके लिए अनिवार्य है.

२. आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि

३. आपका गृह राज्य- उसका इतिहास-भूगोल-राजनीति-कला-संस्कृति और वहां वर्तमान में चर्चा में रही ख़बरें जो राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में रही हो .

४. आपका गृह जिला- वहां की खास बातें, वहां का प्रशासन, अगर आपको वहां का जिला कलक्टर या पुलिस कप्तान का कार्यभार दिया जाये तो क्या बदलाव लायेंगे.

५.अगर आप कही दुसरे राज्य में कार्य कर रहे हैं तो उस राज्य और जिले के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाना जरुरी है. जैसे पश्चिम बंगाल के छात्रों या वहां काम कर रहे लोगों के लिए विवेकानंद एवं रामकृष्ण मिशन, नक्सलवाद, बंगाल का विकास, बंगलादेशी शरणार्थियों और आप्रवासियों की समस्या जैसे मुद्दे पर विस्तृत जानकारी जरुरी है.

६,भारत के इतिहास, भूगोल, वर्तमान, भविष्य, यहाँ की कला-संस्कृति-सभ्यता- धर्म-साहित्य- प्रशासन-राजनीति जैसे मुद्दों पर आपके पास समुचित जानकारी होनी चाहिए.

७.अंतर्राष्ट्रीय संबध -खासकर भारत के विदेश संबंधों के बारे में आपकी स्पष्ट राय होनी चाहिए. अभी खासकर श्रीलंका, पाकिस्तान, ईरान, उत्तर कोरिया, मालदीव, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों के संबंध के बारे समुचित जानकारी जुटाए,

८.आपने सेवाओं की जो प्राथमिकता दी है, उसके स्पष्ट और तर्कपूर्ण उत्तर आपके पास होने चाहिए. और आपके उत्तरों से ऐसा नही लगना चाहिए की आप किसे सर्विस को कम करके आंक रहे हैं .
उदाहरण के लिए यदि आपकी पहली प्राथमिकता आईएएस और दूसरी आईएफएस है तो उसका कारण आपसे पूछा जा सकता है. अगर आपने कुछ अनोखी प्राथमिकताएँ दी है, तो सवाल पूछे जाने की संभावनाएं ज्यादा होती है. जैसे किसी की प्रथम चॉइस अगर IRS या आईपीएस हो तो 'क्यूँ 'का आपके पास संतोषजनक उत्तर होना चाहिए.

९. राज्यों की प्राथमिकताओं पर भी सवाल हो सकते हैं. ईमानदार जवाब काफी है. हर किसी के अपने गृह राज्य या नजदीक के राज्य या पसंद के राज्य में जाने के अपने -अपने कारण होते है. उसे विश्वस्तपूर्ण रूप में बताना काफी है. हाँ, बोर्ड को ये नही लगना चाहिए की आप समस्याग्रस्त राज्यों से भागने की चेष्टा कर रहे हैं.

१०. बजट के बारे में मुख्य जानकारियां आपके पास होनी चाहिए.

११. समसामयिक मुद्दों  जैसे CAG, भ्रष्टाचार, बलात्कार, महिलाओं के विरुद्ध अपराध, जनांदोलन का बदलता स्वरुप जैसे मुद्दों पर आपके पास एक संतुलित और तार्किक राय होनी चाहिए. अति से बचे. हमेशा ध्यान रखे की विचारों में बुध्ध के मध्यम  मार्ग का पालन हमेशा श्रेयस्कर होता है. मूल्यों पर अटल रहे पर विचारों में लचीलापन बनाये रखे. आपके खुद के विचार समय के साथ कैसे बदलते हैं , इसका विश्लेषण करने पर आप इस बात की उपयोगिता समझ पाएंगे. अपने विचारों के साथ दूसरों (बोर्ड के सदस्यों ) के विचारों का भी आदर करे और हठधर्मिता से बचे.

१२. पाठ्येतर गतिविधियों में अगर आपकी सहभागिता रही है तो उसके बारे में पूरा जानकारी जुटा कर रखे.

१३. आपने फॉर्म में जो शौक फरमाए हैं(HOBBY) वो आपको शौक न दें, इसका ख्याल रखे. हॉबी से साक्षात्कार  में ढेर सारे सवाल आने की आशा रख सकते हैं. इसलिए, हॉबी में आपने जो- जो विषय दिए हैं, उसके बारे में आपके पास पूरी जानकारी होनी चाहिए. जैसे, अगर आपने किताबें पढना अपनी हॉबी में दिया है तो हाल में पढ़ी अच्छी किताबों के बारे में, आपके प्रिय लेखक एवं कवि के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए.  आपको साहित्यिक फेस्टिवल एवं पुस्तक मेलों के आयोजन के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए. हॉबी पर मैंने एक विस्तृत आलेख दिया है जिसे आप एक बार देख सकते हैं.

१४.बहुत सारे परिस्थिति वाले सवाल आपसे पूछे जा सकते हैं जैसे-
   --अगर आप किसी नक्सल प्रभावित जिले में पोस्टेड हो तो नक्सलवाद से निपटने के लिए क्या कदम उठाएंगे?
---आपको ऐसे जिले में पोस्टिंग मिली है जहाँ पेयजल की भारी समस्या है, आप उससे कैसे निपटेंगे?
---आपके जिले में भूकंप या चक्रवात या बाढ़ जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आने की चेतावनी मिली है. आप क्या-क्या कदम उठाएंगे?

इन सारे मुख्य विषयों पर पूछे जा सकने वालों सवालों की खुद से सूची बनाये और उनके जवाब तैयार करे. अपने साथियों के साथ पूरी गंभीरता से छद्म साक्षात्कार की तैयारी करे. जरुरत लगे तो कोचिंग संस्थाओं के छदम साक्षात्कार बोर्ड की सहायता भी ले सकते हैं. पत्रिकाओं से सफल प्रतिभागियों के साक्षात्कार पढ़े. उनसे आपको साक्षात्कार में पूछे जा सकने वाले प्रश्नों की विविधता का अंदाजा लगेगा. साक्षात्कार पर कुछ स्तरीय बुक भी ले सकते हैं. पत्रिकाओं में कम्पटीशन सक्सेस रिव्यु के साक्षात्कार वाले कॉलम और विश्लेषण से आपको काफी सहायता मिलेगी.


साक्षात्कार में नपे- तुले शब्दों में जवाब देना श्रेयस्कर है. जितना पूछा जाये, उतना ही जवाब दे. साक्षात्कार बोर्ड के सभी सदस्यों की और देखते हुए आई कांटेक्ट बनाये रखते हुए जवाब दे.

चेहरे पर स्वाभाविक सहज मुस्कान बनाये रखे. चेहरे पर चिंता या घबराहट को नहीं झलकने दें. काफी सहजता से साक्षात्कार के सहज प्रवाह में बहते चले.

जिस सवाल का जवाब न आता हो, ईमानदारी के साथ बोर्ड को बताये कि आपको उस सवाल का जवाब पता नहीं है. और आप उस बारे में जानकारी हासिल करेंगे.

अपनी तरफ से इन्ही शब्दों के साथ मैं आप लोगों की सफलता की दुआ करते हुए आप लोगों से विदा लेता हूँ. ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनाएँ.


 

गुरुवार, 10 मई 2012

कब तक कोख में मारी जाएँगी बेटियाँ

आमिर खान के टीवी सीरियल सत्यमेव जयते ने वाकई अपने पहले ही एपिसोड से जनमानस में हलचल मचाना शुरू कर दिया है. भ्रूण हत्या जैसे ज्वलंत मुद्दे को काफी संजीदगी और संवेदनशीलता के साथ समाज के सामने लाकर वो समाज को आईना दिखाने का काम कर रहे हैं. हलचल बता रही है कि समाज को भी अपने चेहरे पर इतना बड़ा दाग-धब्बा पसंद नहीं आ रहा है और इस प्रोग्राम के बाद प्रशासन और जनता में काफी जागरूकता भी आयी है. राजस्थान में स्टिंग ऑपरेशन के द्वारा भ्रूण हत्या में डॉक्टरों की भूमिका को उजागर करनेवाले पत्रकारों की कहानी देखकर लगा कि वाकई समाज को बदलने की जद्दोजहद में लगे लोगों को कम ठोकरें नहीं कहानी पड़ती. मगर संतोष इस बात का है कि देर से ही सही बदलाव आने की शुरुआत हो रही है.

कन्या भ्रूण हत्या में सबसे विवश होती है वह माँ जिसे उसकी ही बेटी को मारने में हामी भरने को मजबूर कर दिया जाता है. जरुरत है कि वो इतनी मजबूत बन सके कि अपने बेटी को मारने की साजिश में लगे घर, परिवार और समाज के सामने बुलंदी से अपनी बेटी की ढाल बन कर खड़ी हो सके. वर्ष २००४ की फरवरी में इसी मुद्दे पर एक कविता लिखी थी जिसमे एक कन्या भ्रूण अपनी माँ से संवाद करती है. आपलोगों के सामने पेश है वो कविता -

ओ माँ! तुम सुन रही हो ना!

ओ माँ!
मेरी आवाज सुनो
मैं तुम्हारी बगिया में
अन्खुवाता बिरवा हूँ
मत तोड़ने दो इसे किसी नादान को
मत रौंदने दो इसे किसी हैवान को.

ओ माँ!
पुरुष बेटे के जन्म पर
खुशियाँ मनाता है
तुम क्यों नही खुशियाँ मनाती
बेटियों के जन्म पर
क्या इतनी कमजोर हो तुम
की मेरे दुनिया में आने से
पुरुषों की इस दुनिया में
खुद को असुरक्षित महसूस करती हो?

ओ माँ!
भूलती क्यों हो यह बात
की गर्भ में तुम भी रही होगी एक दिन
पुरुषों के दवाब से झुककर
तुम्हारी माँ ने यदि गर्भ में ही
तुम्हारी हत्या होने दी होती,
तो क्या होता?
सृष्टि की आदिमाता ने यदि
लड़कियों की भ्रूण-हत्या होने दी होती
तो शायद मानव जाति कब की
लुप्त हो चुकी होती.

ओ माँ!
जबतक मैं सुदूर अनंत में थी
मैंने कुछ नही माँगा
मगर, अब जब मैं तुम्हारे गर्भ में हूँ
धरा पर जन्म लेना हक़ है मेरा
मेरे इस हक़ के लिए
तुम्हे लड़ना होगा उनसे
जो स्रष्टा नही हैं
मगर संहार में लगे हैं.

ओ माँ!
लड़की जनने की आशंका से
क्यूँ मुरझाई हो तुम?
क्या खुद पर विश्वास नही,
या मुझ पर विश्वास नहीं?
पुरुष बेटों पर गर्व करता है
तुम बेटियों पर गर्व करना सीखो माँ.

ओ माँ!
जिन्दगी पर सिर्फ बेटो का ही हक़ नही
बेटियों का भी हक़ है बराबर
जिन्दगी सिर्फ बेटों की ही बपौती नही
बेटियों की भी 'ममौती' है.

ओ माँ!
मैं दुनिया को देखना चाहती हूँ
मैं जिन्दगी को जीना चाहती हूँ
मैं उस समाज, उस मानसिकता
को बदलना चाहती हूँ
जो बेटियों की राह में
सिर्फ जिन्दगी-भर ही नहीं
वरन जिन्दगी के पहले भी,
जिन्दगी के बाद भी
नुकीले कांटे बिछाती रहती है.

ओ माँ!
हौसला रखो, विश्वास रखो
आशा रखो, उम्मीद रखो
और मुझे इस दुनिया में आने दो
मैं जन्मने से पहले नही मरना चाहती
तुम भी इस पाप में मूक सहमति
दे कर जीते जी न मरो.
अपनी आत्मा को, अपने अंश को
अपनी मुक्ति के इस मधुर गीत को
अपनी बेटी को न मरने दो.

ओ माँ!
तुम सुन रही हो ना?
04 Feb 2004