tag:blogger.com,1999:blog-40395551942509420972024-03-18T08:33:10.866+05:30IAS from Hindi Medium /हिंदी माध्यम से बने आईएएस यह ब्लॉग हिंदी माध्यम से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लगे प्रतिभागियों के लिए है | ब्लॉग का उद्देश्य है कि हिंदी माध्यम पर अच्छी पकड़ रखने वाले लोग इस परीक्षा के लिए दुविधा रहित होकर हिंदी माध्यम का चयन करे और अच्छे रैंक के साथ इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करे |KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.comBlogger57125tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-45491182904677056452023-12-24T16:24:00.000+05:302023-12-24T16:24:08.350+05:30सिविल सेवा मुख्य परीक्षा- भारतीय भाषा प्रश्न पत्र (हिंदी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br /><div dir="ltr"><span><span style="font-size: medium;">सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सबसे पहला पेपर भारतीय भाषा का है जिसमे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किसी भी भाषा को चुना जा सकता है | हिंदी भाषियों के लिए सबसे सुगम विकल्प हिन्दी है | कुछ लोग मैथिली भाषा भी अपनी सुविधानुसार चुन सकते हैं | यह पत्र UPSC की नोटिस के अनुसार दसवीं के स्तर का है मगर वास्तविकता में यह उससे थोडा सा भारी है | वैसे तो इस पत्र के अंक आपके रैंक को निर्धारित करने में कोई भूमिका नहीं निभाते, मगर अगर आप इस पत्र में पास करने हेतु अंक नहीं लाते हैं तो आपके सिविल सेवा में आने के सपने को एक साल का और इंतजार करना पद सकता है | इस पत्र में पास होने पर ही आपके अन्य पत्रों की जांच की जायेगी | इस पत्र की तैयारी के लिए मुख्य बातें मैं संक्षेप में आपके सामने रख रहा हूँ |<br /><br />वर्तमान में यह पत्र 300 अंकों का है जिसके लिए 3 घंटे का समय निर्धारित है। <span style="font-size: small;">अर्हक अंक UPSC 2023 की नोटिफिकेशन के अनुसार 25 % है। </span>आत्मविश्वस्त रहने के लिए इस पत्र में कम-से-कम 60 % अंक आ सके, ऐसी तैयारी रखें।<span style="font-size: x-large;"> </span><br style="font-size: medium;" /><br /></span></span></div><div dir="ltr"><span><span style="font-size: medium;">इस पत्र के वर्तमान पैटर्न में 600 शब्दों में निबंध लिखना होता है जिसकी तैयारी आपको अलग से करने की कोई आवश्यकता नहीं। इसके लिए 100 अंक हैं। यह निबंध पत्र की तैयारी के साथ स्वयमेव तैयार हो जायेगा। वर्ष 2022 में सामान्य हिंदी पत्र में पूछे निबंध इस प्रकार हैं -</span></span></div><div dir="ltr"><span><span style="font-size: medium;">नवीकरणीय ऊर्जा - संभावनाएं एवं चुनौतियां </span></span></div><div dir="ltr"><span><span style="font-size: medium;">संचार क्रांति का महत्त्व </span></span></div><div dir="ltr"><span><span style="font-size: medium;">खेलों का बढ़ता व्यवसायीकरण </span></span></div><div dir="ltr"><span><span style="font-size: medium;">खान-पान का स्वास्थ्य पर प्रभाव </span></span></div><div dir="ltr"><span><span style="font-size: medium;"><br /></span></span></div><div dir="ltr"><span><span style="font-size: medium;">फिर , 60 अंकों के गद्यांश आधारित प्रश्न हैं जिन्हें बनाने में ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए। सामान्यतः, यदि आप अच्छे पाठक हैं तो ये प्रश्न आपके लिए चुटकी बजाते हल होनेवाले हैं। और, प्रारंभिक परीक्षा में सी-सैट में भी आप गद्यांश आधारित प्रश्नों की तैयारी कर चुके होते हैं। </span></span></div><div dir="ltr"><span><span style="font-size: medium;"><br /></span></span></div><div dir="ltr"><span style="font-size: medium;"><span><span>अगला खंड है दिए गए गद्यांश का एक तिहाई शब्दों में संक्षेपण लिखने का। इसके लिए भी </span></span><span>60 अंकों का प्रावधान है। इसके लिए थोड़ा अभ्यास वांछनीय हैं। </span></span></div><div dir="ltr"><span style="font-size: medium;"><br /></span></div><div dir="ltr"><span style="font-size: medium;"><span>फिर 20 अंकों का अंग्रेजी से हिंदी और </span><span>20 अंकों का </span><span> </span><span>हिंदी से </span><span>अंग्रेजी अनुवाद है। यह खंड कुछ विद्यार्थियों को थोड़ा भारी लग सकता है पर चूँकि यह पत्र क्वालीफाइंग है, इसलिए किसी कमजोर खंड को लेकर आप फ़िलहाल तनावग्रस्त न हों। हालांकि, वर्तमान में संपर्क भाषा के तौर पर ठीक-ठाक अंग्रेजी जानना आपके आत्मविश्वास के लिए अच्छा है। </span></span></div><div dir="ltr"><span style="font-size: medium;"><br /></span></div><div dir="ltr"><span style="font-size: medium;">इसके बाद का 40 अंकों का खंड हिंदी व्याकरण का है। मुहावरों का वाक्य में प्रयोग, वाक्यों को शुद्ध करके लिखने जैसे सवाल, पर्यायवाची शब्द, श्रुति सम भिन्नार्थक शब्दों के वाक्य प्रयोग द्वारा अर्थान्तर स्पष्ट करने जैसे 10-10 अंको के चार सवाल आते हैं।</span></div><div dir="ltr"><span style="font-size: medium;"><br /></span></div><div dir="ltr"><span style="font-size: medium;">इस पत्र की तैयारी के लिए <b>डॉ वासुदेवनन्दन प्रसाद की आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना</b> या कोई भी अन्य समकक्ष हिंदी व्याकरण एवं रचना की पुस्तक ली जा सकती है। पुस्तक से सब कुछ तैयार करने की जगह निर्धारित पाठ्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करें। </span></div><div dir="ltr"><span style="font-size: medium;"><br /></span></div><div dir="ltr"><span style="font-size: medium;"><span>कुल मिलाकर हिंदी भाषी विद्यार्थियों के लिए यह एक सरल पत्र है। </span><span>मगर इसको हलके में लेने की भूल मत करें। अगर इस पत्र में पास मार्क नहीं, तो आपके सिविल सेवा का सपना टूट सकता है। </span></span></div><div dir="ltr"><span><b style="font-size: x-large;"><br /></b></span></div><div dir="ltr"><br /></div>
<br /></div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-14617765929557958632023-07-02T19:08:00.000+05:302023-07-02T19:08:04.711+05:30IAS @ हिंदी माध्यम -पुस्तक के रूप में <p><br /></p><p><br /></p><p>अपनी पहली पुस्तक को आप सबों को हाथों में सौंपने में मुझे अतीव आह्लाद का अनुभव हो रहा है। यह पुस्तक इस ब्लॉग पर आप सबों के साथ और प्यार से प्रेरित है। आशा है की पुस्तक को आप सबों का प्यार प्राप्त होगा। पुस्तक अमेज़न और प्रभात प्रकाशन के प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं के पास उपलब्ध है। अमेज़न पर पुस्तक का लिंक निम्नवत है -</p><p><a href="https://amzn.eu/d/6ilYWuO">https://amzn.eu/d/6ilYWuO</a> </p><p><br /></p><p>आपका, </p><p>केशवेंद्र कुमार </p><p><br /></p><p><br /></p>KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-30765871218165628662023-01-08T22:23:00.006+05:302023-01-08T22:23:46.685+05:30DISTANCE EDUCATION से भी आप बन सकते हैं आईएएस <p> <span style="font-size: medium;">दोस्तों, मेरे ब्लॉग पर एक सवाल बहुत बार लोगों ने पूछा है की अगर उन्होंने IGNOU से स्नातक किया है, क्या वे IAS की परीक्षा दे सकते हैं। जवाब है हाँ। मैंने खुद स्नातक और परास्नातक की डिग्री इग्नू से ली है। विगत 15 वर्षों में बहुत से ऐसे विद्यार्थियों ने सिविल सेवा परीक्षा पास की है जिन्होंने स्नातक की डिग्री </span><span style="font-size: large;">IGNOU या किसी अन्य प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त दूरस्थ शिक्षा कोर्स से की है। </span></p><p><a href="https://www.hindustantimes.com/delhi/distance-education-too-can-give-ias-officers/story-U7KebKWxK4gqSRyEvLq0wK.html" style="font-size: large;">Distance education too can give IAS officers</a></p><p><span style="font-size: medium;">UPSC की वर्ष 2022 की सिविल सेवा की नोटिस से शैक्षणिक योग्यता के सम्बन्ध में प्रावधान निम्नलिखित है- </span></p><div style="font-size: large;"><b>स्नातक डिग्री या समकक्ष योग्यता भारत के केंद्र या राज्य विधानमंडल द्वारा निगमित विश्वविद्यालय या संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 के खंड 3 के अधीन विश्वविद्यालय के समकक्ष मानी गयी किसी अन्य शिक्षा संस्थान द्वारा।</b> </div><div style="font-size: large;"><br /></div><div style="font-size: large;">जो विद्यार्थी स्नातक या समकक्ष परीक्षा दे चुके हैं और रिजल्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं वे भी प्राम्भिक परीक्षा दे सकते हैं लेकिन मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरने के समय परीक्षा उत्तीर्ण होने का प्रमाणपत्र देना होगा। </div><div style="font-size: large;"><br /></div><div style="font-size: large;">IGNOU भारत की संसद द्वारा स्थापित विश्विद्यालय है और इसकी स्नातक डिग्री के साथ आप गर्व से सिविल सेवा परीक्षा में बैठ सकते है। इग्नू की कई विषयों की किताबें सिविल सेवा की तैयारी के लिए सबसे बेहतरीन पुस्तकों में गिनी जाती है। </div><div style="font-size: large;"><br /></div><div style="font-size: large;">यहां तक की जो छात्र कॉलेज से स्नातक की डिग्री लेकर UPSC सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और कहीं से PG की पढाई अभी नहीं कर रहे हैं, उनके लिए भी तैयारी के साथ अपने वैकल्पिक विषय से PG कोर्स में एडमिशन IGNOU या किसी अन्य प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त दूरस्थ शिक्षा कोर्स में लेना वैकल्पिक विषय की तैयारी को मजबूत करने के साथ PG डिग्री हासिल करने के हिसाब से बेहतरीन रणनीति है। </div><div style="font-size: large;"><br /></div><div style="font-size: large;">तो, दूरस्थ शिक्षा के कारण आपके मन में कोई भी संशय हो तो उसे निकाल फेंके और नए विश्वास के साथ लग जाए सिविल सेवा की तैयारी में। </div><div style="font-size: large;"><br /></div>KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-66529818797244551142023-01-01T13:44:00.000+05:302023-01-01T13:44:10.768+05:30नववर्ष 2023 में सफर चलता रहे यूं ही <p><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">सफर चलता रहे यूं ही ।</span></p><p><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">दिल मचलता रहे यूं ही ।।</span></p><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">मुकम्मल होने की चाहत रहे।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">अधूरापन खलता रहे यूं ही ।।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">हुस्न तो नूर है इलाही का ।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">आशिकों को छलता रहे यूं ही ।।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">तूफानों में बीच समंदर खेवे नैया।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">न कोई किनारे हाथ मलता रहे यूं ही ।।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">सिकंदर को भी जहां से खाली हाथ जाना है ।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">चांद सितारों का अहं गलता रहे यूं ही ।।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">जलेगा राख होगा फिर भी उससे आएगी खुशबू।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">दिल तो दिल है, जले, जलता रहे यूं ही ।।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">तीर लोहे का हो या सरकंडे का ।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">तीर का मोल है, निशाने हलता रहे यूं ही ।।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">दोस्तों पे प्यार हो, दुश्मनों पे वार हो ।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">दुश्मन की छाती पे मूंग दलता रहे यूं ही।।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">दोस्ती जज्बा है वो जिसका कोई जोड़ नहीं।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">दोस्तों का बिछड़ना टलता रहे यूं ही ।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">लाख नाउम्मीदी हो, अंधेरे हो</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">सीने में आस पलता रहे यूं ही</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">डूबते हुए भी छठ में जिसे पूजते हैं</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">नई सुबह आने को,सूरज ढलता रहे यूं ही ।।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">दीप से दीप जले, हाशिए भी रौशन हो ।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">अच्छा काम फलता रहे यूं ही ।।</span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;" /><div><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;"><br /></span></div><div><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">नववर्ष 2023 की हार्दिक शुभमंगलकामनाएं। </span></div>KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-61776810434153329622022-12-24T11:29:00.003+05:302022-12-24T11:32:37.453+05:30UPSC CIVIL SERVICE INTERVIEW 2022<p> सिविल सेवा 2022 की मुख्य परीक्षा का परिणाम एवं साक्षात्कार की तिथि आ चुकी है | । 30.01.2023 से ही साक्षात्कार शुरू हो रहे हैं और इसी थोड़े समय में आपको अपने व्यक्तित्व में धार लगानी है। आपको साक्षात्कार बोर्ड के सामने अपने आपको सम्पूर्णता में सामने रखना है अपनी मानवीय खूबियों-खामियों के साथ। मेरी सलाह यही है की चिंता में अपना सर खुजाने की जगह उपरवाले का शुक्रिया अदा करते हुए आगे की तैयारियों में जुट जाये। </p><div>साक्षात्कार की तैयारी के समय सिविल सेवा परीक्षा की नोटिफिकेशन से साक्षात्कार के सम्बन्ध में दिए निर्देश को अपने दिशासूचक की तरह प्रयोग करें | ये निर्देश इस प्रकार हैं -<br /><br />अ)उम्मीदवार का साक्षात्कार एक बोर्ड द्वारा होगा जिसके सामने उम्मीदवार का बायोडाटा होगा | उससे सामान्य रूचि की बातों पर प्रश्न पूछे जायेंगे | साक्षात्कार का उद्देश्य यह जानना है की उम्मीदवार लोकसेवा के लिए व्यक्तित्व की दृष्टि से उपयुक्त है या नहीं | यह परीक्षा उम्मीदवार की मानसिक क्षमता को जांचने के अभिप्राय से की जाती है | मोटे तौर पर इस परीक्षा का प्रयोजन न केवल उसके बौध्दिक गुणों को वरन सामाजिक लक्षणों को और सामाजिक घटनाओं में उसकी रूचि का भी मूल्याङ्कन करना है | इसमें उम्मीदवार की मानसिक सतर्कता, आलोचनात्मक ग्रहण शक्ति, स्पष्ट और तर्क संगत प्रतिपादन की शक्ति, संतुलित निर्णय की शक्ति, रूचि की विविधता और गहराई, नेतृत्व और सामाजिक संगठन की योग्यता, बौधिक और नैतिक ईमानदारी की भी जांच की जा सकती है |</div><div><br />आ) साक्षात्कार की प्रणाली क्रॉस-एग्जामिनेशन की नहीं वरन स्वाभाविक वार्तालाप की प्रक्रिया द्वारा उम्मीदवार के मानसिक गुणों का पता लगाने का प्रयत्न किया जाता है | परन्तु, वह वार्तालाप एक विशेष दिशा में एवं एक विशेष प्रयोजन से होता है |<br /><br />इ) साक्षात्कार उम्मीदवार के सामान्य या विशेष ज्ञान की परीक्षा के लिए नहीं होता क्यूंकि उनकी जांच लिखित प्रश्न पत्रों में पहले ही हो जाती है | उम्मीदवारों से आशा की जाती है की वो ना केवल अपने शैक्षणिक विशेष विषयों में पारंगत हो बल्कि उन घटनाओं पर भी ध्यान दें जो उनके चारों और अपने राज्य या देश के भीतर और बाहर घट रही हैं, तथा आधुनिक विचारधारा और नई-नई खोजों में भी रूचि लें जो की किसी सुशिक्षित युवा में जिज्ञासा पैदा कर सकती है |"<br /><div><br /></div><br />साक्षात्कार की औपचारिकताओं से मैं इस लेख की शुरुआत करना चाहूँगा | ये चीजें महत्वपूर्ण है पर बहुत ज्यादा नहीं। साक्षात्कार बोर्ड के लोग आप सिविल सेवा के लिए कितने उपयुक्त है, इसे जांचने-परखने के लिए बैठे हैं। इसलिए आपके अन्दर क्या है, यह उनके लिए ज्यादा मायने रखता है। हालांकि, बाहरी व्यक्तित्व भी गरिमामय हो, इस बात का ध्यान रखना जरुरी है। <br /><br />1.<b>औपचारिकताए</b>-- साक्षात्कार के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यताओं के सारे सर्टिफिकेट करीने से रखें | जाति प्रमाणपत्र (अगर आप अनुसूचित जाति/ जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं ), अपने नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाणपत्र (अगर आप वर्तमान में नौकरी कर रहे हैं ) और साक्षात्कार फॉर्म में दिए अन्य निर्दिष्ट प्रमाण पत्र साथ में रखना ना भूलें | आपके साक्षात्कार से पहले आपके सर्टिफिकेट वेरीफाई किये जायेंगे |<br /><br />2.<b>वेश-भूषा</b> - आपका पहनावा औपचारिक एवं गरिमापूर्ण होना चाहिए | हाँ, इस बात का ध्यान रखे की आप मॉडलिंग के लिए नहीं जा रहे हैं | मैंने अपने साक्षात्कार के लिए डार्क ब्लू कलर की पैंट और उजले में महीन सोबर डिजाईन वाली शर्ट पहनी थी | टाई का प्रयोग आपकी इच्छा पर है, पर अगर आप इसके साथ आरामदेह है तो टाई का व्यवहार करे | बेल्ट और शू फॉर्मल होनी चाहिए | सबसे महत्त्वपूर्ण बात है की आप अपने साक्षात्कार के दिन के ड्रेस के साथ सहज और विश्वस्त होने चाहिए | साक्षात्कार के पहले ड्रेस को दो-तीन बार पहने | एक वैकल्पिक जोड़ा भी साथ में रखे |<br /><br />3.<b>अभिवादन </b>-<br />हिंदी माध्यम से जो छात्र साक्षात्कार देने जाते हैं, उनको इस बात की सबसे ज्यादा उलझन होती है की अभिवादन में हिंदी का व्यवहार करे या प्रचलित अंग्रेजी जुमलों का | मेरी अपनी राय है की जब आप पूरा साक्षात्कार हिंदी में देने जा रहे हैं तो उसकी शुरुआत अंग्रेजी के साथ करना इस बात को दर्शाता है की आप अपनी भाषा को कमतर मानते है | कमरे में प्रवेश के समय अनुमति भी हिंदी में ही मागे- "क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ श्रीमान ?"( वैसे बहुत बार इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है , साक्षात्कार बोर्ड गेट खुलते ही आपका नाम पुकारते हुए आपको अन्दर आकर बैठने को कह सकता है |) अन्दर जाकर आप अपने लिए निर्दिष्ट कुर्सी के पास जाकर खड़े होकर चेहरे पर मुस्कराहट के साथ भारतीय परम्परा में साक्षात्कार बोर्ड के अध्यक्ष/अध्यक्षा एवं अन्य सदस्यों की तरफ देखते हुए हाथ जोड़ कर नमस्कार करे | सामान्यतः चेयरमैन बीच में और चार अन्य सदस्य (दो उनकी दायीं तरफ और दो बायीं तरफ ) होते हैं | आप अभिवादन करते हुए एक बार चेयरमैन को, एक बार दायीं और के दो सदस्यों को और एक बार बायीं और के दो सदस्यों को देखते हुए नमस्कार करें | सारे सदस्यों को अलग- अलग नमस्कार करने की जरुरत नहीं है | हाँ अगर कोई महिला सदस्य हो तो आप उन्हें अलग से नमस्ते कर सकते हैं |<br /><br /><br />4.<b>बायो-डाटा</b> - आप सबों की तरह मुझे भी ये शंका थी कि आप के सर्टिफिकेट और बायोडाटा साक्षात्कार कक्ष में आपके साथ रखना जरुरी है या नहीं? आपके द्वारा भरे गए विवरण के आधार पर आपका बायोडाटा साक्षात्कारकर्ताओं के पास मौजूद होता है | अतः , आप अपने बायोडाटा और सर्टिफिकेट की फाइल एहतियात के तौर पर अपने साथ साक्षात्कार कक्ष में ले भी सकते हैं या कक्ष के बाहर यदि उसे रखने की व्यवस्था हो तो छोड़ भी सकते हैं | <br /><div><br /></div><div><br /> </div><div>तो, साक्षात्कार के दिन क्या पहनना है, किस तरह के कपड़े आपके व्यक्तित्व की सही झलक देंगे, प्रमाणपत्र, बायोडाटा जैसी आवश्यक औपचारिकताए 3-4 दिनों के अन्दर निपटा ले। इनके बाद आपको अपने साक्षात्कार के केंद्र बिंदु पर ध्यान देना है। <br /><br />सबसे पहले आपने प्राथमिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के फॉर्म को भरने में जो जानकारियां भरी हैं, उनकी एक कॉपी ले अपनी एक डायरी या नोट बुक में साक्षात्कार के संभावित मुद्दों एवं का चयन करे एवं संभावित प्रश्नों उनका करें।<br /><br />कुछ संभावित टॉपिक इस प्रकार हैं-<br /><br />१. <b>आपकी शैक्षिक पृष्ठभूमि</b> - आपने जिस विषय से स्नातक एवं उससे ऊपर का अध्ययन किया है उसकी एक स्तरीय जानकारी होना आपके लिए जरुरी है. वर्तमान में उस विषय से जुड़े मुद्दे जो ख़बरों में हो उसकी भी जानकारी आपके लिए अनिवार्य है। साक्षात्कार बोर्ड आपसे आपके पढ़े विषयों की गंभीर जानकारी अपेक्षित करता है खासकर जब वो आपका वैकल्पिक विषय भी हो। <br /><br />२. <b>आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि</b> - आपके माता- पिता , भाई- बहन के कार्यक्षेत्र से जुडी महत्तवपूर्ण बातें | <br /><br />३. <b>आपका गृह राज्य</b>- उसका इतिहास-भूगोल-राजनीति-कला-संस्कृति और वहां वर्तमान में चर्चा में रही ख़बरें जो राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में रही हो। <br /><br />४. <b>आपका गृह जिला</b>- वहां की खास बातें, वहां का प्रशासन, अगर आपको वहां का जिला कलक्टर या पुलिस कप्तान का कार्यभार दिया जाये तो क्या बदलाव लायेंगे.<br /><br />५. <b>आपका कर्म क्षेत्र एवं कर्म भूमि</b>- अगर आप किसी नौकरी में हों तो उस नौकरी के कार्य, महत्त्व, आंकड़े, संगठन और अन्य जरुरी बातों को भी तैयार कर ले | आप कही दुसरे राज्य में कार्य कर रहे हैं तो उस राज्य और जिले के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाना जरुरी है. जैसे पश्चिम बंगाल में काम कर रहे लोगों के लिए विवेकानंद एवं रामकृष्ण मिशन, नक्सलवाद, बंगाल का विकास, बंगलादेशी शरणार्थियों और आप्रवासियों की समस्या जैसे मुद्दे पर विस्तृत जानकारी जरुरी है. राजस्थान में यदि आप नौकरी कर रहे हैं राजपूताने का इतिहास, रेगिस्तान से जुडी जानकारियां, पर्यटन, वहां के किले, जल संरक्षण जैसे बिंदु आपको जानने चाहिए | <br /><br />६,<b>भारत </b>के इतिहास, भूगोल, वर्तमान, भविष्य, यहाँ की कला-संस्कृति-सभ्यता- धर्म-साहित्य- प्रशासन-राजनीति जैसे मुद्दों पर आपके पास समुचित जानकारी होनी चाहिए | <br /><br />७.<b>अंतर्राष्ट्रीय संबध</b> -खासकर भारत के विदेश संबंधों के बारे में आपकी स्पष्ट राय होनी चाहिए. अभी खासकर इस सम्बन्ध में कुछ अहम् मुद्दे निम्न हैं -<div>* G 20 की अध्यक्षता एवं महत्त्व, </div><div>*संयुक्त राष्ट्र संघ भारत की भूमिका,</div><div>* रूस-यूक्रेन युद्ध और रूस -नाटो के तनाव के तृतीय विश्व युद्ध में बदलने की सम्भावना </div><div>*क्या भारत की रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थता और रूस से पेट्रोलियम खरीदना भारत के विदश नीति हेतु ठीक है </div><div>* श्रीलंका का आर्थिक संकट और जन आंदोलन </div><div>*गलवान, डोकलाम, अरुणाचल तिब्बत पर चल रहे विवादों के बीच भारत चीन संबंध और भारत को चीन के साथ संतुलन हेतु सामरिक, आर्थिक एवं वैश्विक सम्बन्ध में क्या करना चाहिए </div><div>* पाकिस्तान के साथ भारतीय संबंधों की वर्तमान स्थिति </div><div>*अफगानिस्तान की वर्तमान तालिबान सरकार के साथ भारत के संबंध </div><div><br />८.आपने सेवाओं की जो प्राथमिकता दी है, उसके स्पष्ट और तर्कपूर्ण उत्तर आपके पास होने चाहिए. और आपके उत्तरों से ऐसा नही लगना चाहिए की आप किसे सर्विस को कम करके आंक रहे हैं .<br />उदाहरण के लिए यदि आपकी पहली प्राथमिकता आईएएस और दूसरी आईएफएस है तो उसका कारण आपसे पूछा जा सकता है. अगर आपने कुछ अनोखी प्राथमिकताएँ दी है, तो सवाल पूछे जाने की संभावनाएं ज्यादा होती है. जैसे किसी की प्रथम चॉइस अगर IRS या आईपीएस हो तो 'क्यूँ 'का आपके पास संतोषजनक उत्तर होना चाहिए.<br /><br />९. राज्यों की प्राथमिकताओं पर भी सवाल हो सकते हैं. ईमानदार जवाब काफी है. हर किसी के अपने गृह राज्य या नजदीक के राज्य या पसंद के राज्य में जाने के अपने -अपने कारण होते है. उसे विश्वस्तपूर्ण रूप में बताना काफी है. हाँ, बोर्ड को ये नही लगना चाहिए की आप समस्याग्रस्त राज्यों से भागने की चेष्टा कर रहे हैं.<br /><br />१०. <b>बजट</b> एवं एवं भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में मुख्य जानकारियां आपके पास होनी चाहिए.<br /><br />११. <b>समसामयिक मुद्दों </b> जैसे </div><div>*फुटबॉल को भारत में कैसे बढ़ावा दिया सकता है ताकि विश्व कप फुटबॉल जैसे मुकाबलों में भारत की टीम भी हिस्सा ले सके </div><div>*कोरोना से देश-दुनिया में आये बदलाव </div><div>*प्राथमिक स्वस्थ्य को सुदृढ़ किये आवश्यकता </div><div>*जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के प्रश्न का क्या समाधान </div><div>*क्या क्रिप्टो करेंसी को बैन किया जाना चाहिए </div><div>* TB के उन्मूलन की भारत की </div><div>* प्रशासनिक भ्रष्टाचार की रोकथाम </div><div>* महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते जघन्य अपराध और उन्हें रोकने की रणनीति </div><div> * जनांदोलन का बदलता स्वरुप </div><div><br /></div><div> इन <b>समसामयिक मुद्दों</b> पर आपके पास एक संतुलित और तार्किक राय होनी चाहिए. अति से बचे. हमेशा ध्यान रखे की विचारों में बुध्ध के मध्यम मार्ग का पालन हमेशा श्रेयस्कर होता है. मूल्यों पर अटल रहे पर विचारों में लचीलापन बनाये रखे. आपके खुद के विचार समय के साथ कैसे बदलते हैं , इसका विश्लेषण करने पर आप इस बात की उपयोगिता समझ पाएंगे. अपने विचारों के साथ दूसरों (बोर्ड के सदस्यों ) के विचारों का भी आदर करे और हठधर्मिता से बचे। किसी व्यक्ति, संस्था,देश, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, NGO के बारे में प्रश्न होने पर सकारात्मक-नकारात्मक पहलुओं के साथ संतुलित विचार रखें | </div><div><br />१२. पाठ्येतर गतिविधियों में अगर आपकी सहभागिता रही है तो उसके बारे में पूरा जानकारी जुटा कर रखे.<br /><br />१३. आपने फॉर्म में जो शौक फरमाए हैं<b>(HOBBY) </b>वो आपको शौक न दें, इसका ख्याल रखे. हॉबी से साक्षात्कार में ढेर सारे सवाल आने की आशा रख सकते हैं. इसलिए, हॉबी में आपने जो- जो विषय दिए हैं, उसके बारे में आपके पास पूरी जानकारी होनी चाहिए. जैसे, अगर आपने किताबें पढना अपनी हॉबी में दिया है तो हाल में पढ़ी अच्छी किताबों के बारे में, आपके प्रिय लेखक एवं कवि के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए. आपको साहित्यिक फेस्टिवल एवं पुस्तक मेलों के आयोजन के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए. हॉबी पर मैंने एक विस्तृत आलेख दिया है जिसे आप एक बार देख सकते हैं.<br /><br />१४.बहुत सारे <b>परिस्थिति वाले सवाल</b> आपसे पूछे जा सकते हैं जैसे-</div><div>---आपके जिले कोविड के केस तेजी से बढ़ रहे हैं, आप जिला पदाधिकारी के तौर पर क्या कदम उठायेंगे। </div><div>---आपके जिले में एक पुराना पल पुल क्षतिग्रस्त हो गया है और और वहां कई लोगों के फंसे होने की सूचना है, आप क्या कदम उठाएंगे | <br /> --अगर आप किसी नक्सल प्रभावित जिले में पोस्टेड हो तो नक्सलवाद से निपटने के लिए क्या कदम उठाएंगे?<br />---आपको ऐसे जिले में पोस्टिंग मिली है जहाँ पेयजल की भारी समस्या है, आप उससे कैसे निपटेंगे?<br />---आपके जिले में भूकंप या चक्रवात या बाढ़ जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आने की चेतावनी मिली है. आप क्या-क्या कदम उठाएंगे?<br /><br />इन सारे मुख्य विषयों पर पूछे जा सकने वालों सवालों की खुद से सूची बनाये और उनके जवाब तैयार करे। अपने साथियों के साथ पूरी गंभीरता से छद्म साक्षात्कार की तैयारी करे। जरुरत लगे तो कोचिंग संस्थाओं के छदम साक्षात्कार बोर्ड की सहायता भी ले सकते हैं। पत्रिकाओं से सफल प्रतिभागियों के साक्षात्कार पढ़े। उनसे आपको साक्षात्कार में पूछे जा सकने वाले प्रश्नों की विविधता का अंदाजा लगेगा। साक्षात्कार पर कुछ स्तरीय बुक भी ले सकते हैं। पत्रिकाओं में कम्पटीशन सक्सेस रिव्यु के साक्षात्कार वाले कॉलम और विश्लेषण से आपको काफी सहायता मिलेगी। इसके 2 -3 सालों के अंक साक्षात्कार एवं ग्रुप डिस्कशन के कॉलम अच्छे से पढ़ पढ़ लें। </div><div><br /></div><div><br /></div><div><b>साक्षात्कार कक्ष में में ध्यान देने योग्य कुछ अन्य बातें -</b></div><div><br /></div><div><br /><br /><br />-साक्षात्कार में नपे- तुले शब्दों में जवाब देना श्रेयस्कर है. जितना पूछा जाये, उतना ही जवाब दे। साक्षात्कार बोर्ड के सभी सदस्यों की और देखते हुए आई कांटेक्ट बनाये रखते हुए जवाब दे। <br /><br />-चेहरे पर स्वाभाविक सहज मुस्कान बनाये रखे। चेहरे पर चिंता या घबराहट को नहीं झलकने दें। काफी सहजता से साक्षात्कार के सहज प्रवाह में बहते चले। <br /><br />-जिस सवाल का जवाब न आता हो, ईमानदारी के साथ बोर्ड को बताये कि आपको उस सवाल का जवाब पता नहीं है। और आप उस बारे में जानकारी हासिल करेंगे। (सभी सवालों के जवाब तो गूगल को भी पता नहीं है। ) </div><div><br /></div><div>-यथार्थोन्मुख आदर्शवाद पर चलें, ऐसे जवाब न दें जिन्हें अमली जामा नहीं पहनाया जा सकता | </div><div><br /></div><div>-मानवतावाद, संविधान और नैतिक मूल्य मात्र से प्रेरित हो उनके दायरे में जवाब दें। </div><div><br /><br />अपनी तरफ से इन्ही शब्दों के साथ मैं आप लोगों की सफलता की दुआ करते हुए आप लोगों से विदा लेता हूँ. ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनाएँ.<br /><br /><br /> </div></div></div>KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-52309771013411566092022-04-12T20:19:00.005+05:302022-04-12T20:29:14.558+05:30शिशु मृत्यु दर में सतत विकास लक्ष्य की केरल की मैराथन दौड़ <p>किसी भी देश के लिए शिशु मृत्यु दर यानि प्रति एक हजार जीवित जन्मे शिशुओं में एक वर्ष के समय में होने वाली मृत्यु की संख्या उसके सामाजिक विकास को दर्शाने का एक अहम मापदंड है | भारत सरकार रजिस्ट्रार जनरल का कार्यालय इस आंकड़ें का का वार्षिक आकलन करता है | भारत के लिए वर्ष 2018 में शिशु मृत्यु दर 32 से घटकर 30 पर पहुंची है | बड़े राज्यों में बिहार अच्छा प्रदर्शन करते हुए 32 से घटकर 29 के आंकड़े पर पहुंचा है | यह पहली बार है की बिहार की शिशु मृत्यु दर भारत से बेहतर हुई है और यह सतत विकास लक्ष्य की समयबद्ध प्राप्ति के लिए पूरे देश को आशाजनक आश्वस्ति देता है | बिहार के बारे में यह बात भी काफी अच्छी है की शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर में बस दो अंकों का अंतर है | शहरी क्षेत्र के लिए जहाँ यह दर 27 है, वही ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह दर 29 है | </p><p>सैंपल रजिस्ट्रेशन बुलेटिन अक्टूबर 2021 में जारी हुई है और बड़े राज्यों में केरल ने शानदार उपलब्धि दर्ज करते हुए शिशु मृत्यु दर को 6 पर लाने का कारनामा कर दिखाया है | सतत विकास लक्ष्य के इस महत्तवपूर्ण पड़ाव को 11 वर्ष पहले हासिल करके केरल ने भारत के अन्य बड़े राज्यों के लिए एक मिसाल पेश की है | केरल की यह यात्रा एक मैराथॉन यात्रा रही है | एक समय वह भी था जब केरल की शिशु मृत्यु दर 13 के आंकड़े से नीचे आने का नाम ही नहीं ले रही थी | यह वह समय था जब लोग केरल में सवाल पूछ रहे थे की शिशु मृत्यु दर को एक अंक में लाने का केरल का सपना क्या सपना ही रह जायेगा | </p><p><br /></p><p>केरल की इस उपलब्धि के पीछे क्या-क्या आधारभूत कारण रहे हैं, इस पर इस आलेख में विस्तार से चर्चा करना चाहूंगा | </p><p><b><u>राज्य आधारित सतत विकास लक्ष्य </u></b></p><p>सतत विकास लक्ष्यों में केरल अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में काफी आरामदेह स्थिति में था | ऐसे में स्वास्थ्य की टीम ने मिलकर स्वास्थ्य सचिव राजीव सदानंदन के नेतृत्व में केरल के अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गज विशेषज्ञों के टीम वर्क द्वारा केरल केंद्रित चुनौतीपूर्ण सतत विकास लक्ष्यों का निर्धारण किया | इसने पूरी टीम को एक लक्ष्य दिया जिसको प्राप्त करना श्रमसाध्य था और साथ ही रोमांचक भी था | शिशु मृत्यु दर का लक्ष्य 2020 तक 8 एवं वर्ष 2030 तक 6 का लक्ष्य निर्धारित किया गया था | </p><p><br /></p><p><b><u>लक्ष्य का क्रियान्वयन </u></b></p><p>शिशु मृत्यु दर को तीव्र गति से कम करने के लिए स्वास्थ्य सचिव के स्तर पर सभी विशेषज्ञों एवं सम्बद्ध लोगों के साथ टास्क फाॅर्स का गठन किया गया था | प्रति माह की आवृति में होनेवाली इसकी बैठक ने द्रुत गति से शिशु मृत्यु दर में कमी में एक बड़ी भूमिका निभायी | स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य निदेशालय, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशालय, SHSRC, शिशु रोग विशेषज्ञों संगठन IAP , यूनिसेफ एवं अन्य सभी सम्बद्ध लोगों ने इस लक्ष्य के प्रति अपना पूरा सहयोग और समर्पण दिया | </p><p>राज्य में सभी शिशु मृत्यु की रिपोर्टिंग और जिला एवं राज्य स्तर पर गोपनीय शिशु मृत्यु लेखा को कार्यक्षम बनाया गया ताकि कोई भी शिशु मृत्यु रिपोर्टिंग से न छूटने पाए | इसके लिए जन्म पंजीयन के आंकड़े एवं आशा द्वारा भी आंकड़ों की पुष्टि की प्रकिया अपनाई गयी | गोपनीय शिशु मृत्यु लेखा का उद्देश्य था की इससे प्राप्त सीख को सरकारी एवं निजी अस्पतालों के डॉक्टरों, कर्मचारियों के प्रशिक्षण में उपयोग में लाया जाए | इसने शिशु मृत्यु दर के प्रति सभी स्तरों पर गंभीरता लायी | </p><p><br /></p><p>केरल के शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव, लोगों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता, टीकाकरण की उच्च दर, गुणवत्तापूर्ण गर्भावस्था जांच इन सब घटकों ने भी वहां के शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम् योगदान दिया है | साथ ही राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को रोगी केंद्रित करने और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अधिक सुविधा, अधिक डॉक्टर, स्टाफ नर्स के साथ फैमिली हेल्थ सेंटर में बदलने के निर्णय ने भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की सुविधाओं में बड़ा परिवर्तन लाने में योगदान दिया | </p><p>दो अन्य कार्यक्रम जिसने इस उपलब्धि को पाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई वो हैं हृदय की गंभीर आनुवंशिक बीमारी से ग्रसित (CHD) बच्चों के ईलाज हेतु हृदयम कार्यक्रम एवं समग्र नवजात शिशु स्वास्थ्य जाँच के कार्यक्रम शलभं | इन दोनों कार्यक्रमों ने पूरे देश और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा | इन दोनों नवाचारों ने शिशु मृत्यु दर को तेजी से घटाने में अहम् भूमिका निभायी | </p><p>केरल की यह उपलब्धि आशान्वित करती है की केरल के साथ पूरे देश में शिशु स्वास्थ्य में क्रन्तिकारी बदलाव संभव है, बस रणनीति सही होनी चाहिए | केरल स्वास्थ्य टीम के साथ मिशन डायरेक्टर , NHM के तौर पर इन तीन वर्षों के कार्यकाल की संतुष्टि आज भी मन को आनंद और आत्मसंतुष्टि देती है | सभी राज्य यदि शिशु मृत्यु दर में कमी की रणनीति बनाकर सुचारु क्रियान्वयन करे तो सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ देश के विकास में भी अहम् भूमिका निभा पाएंगे | </p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p> </p>KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-63608079909297604042021-08-15T14:11:00.007+05:302021-08-15T14:11:37.639+05:30आज़ादी के सही मायने <p> मेरे लिए आज़ादी का मतलब है की गरीब-से-गरीब व्यक्ति भी सरकार से सवाल कर सके, सरकार को जवाबदेह रख सके और उसे यह बता सके की लोकतंत्र में जनता संप्रभु है | </p><p>आज़ादी का मतलब है की जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं शिक्षा एवं स्वास्थ्य अमीर और गरीब के लिए एक जैसी गुणवत्ता में सुलभ हो | </p><p>आज़ादी जिसमे हर काम की गरिमा हो और समुचित पारिश्रमिक हो और जिसमें हर हाथ को काम उपलब्ध हो | </p><p>मेरे लिए आज़ादी का मतलब है की करोड़ों की हाँ के बीच भी सच की अकेली ना न डरे और अपने विचार पर कायम रहे | </p><p>आज़ादी ऐसी हो की सत्ता जनता की सोचे और जनता को सत्ता को भी उसकी गलती दिखाने में रत्ती-भर हिचक या डर न हो |</p><p>मेरे लिए आज़ादी का मतलब है की हर नागरिक शासन में भागीदार हो, सत्ता के सामने कोई न लाचार हो | </p><p>ऐसी आजादी जिसमें किसी भी व्यक्ति का अहं देश के गौरव से बड़ा होने की सोचे तक नहीं, जहाँ व्यक्तिवाद राष्ट्रवाद और और राष्ट्रवाद मानववाद पर हावी न हो | </p><p><br /></p><p><br /></p><p> </p>KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-41940815052793795132020-09-07T19:33:00.000+05:302020-09-07T19:33:29.275+05:30आईएएस बनने के लिए करें निबंध और सामान्य अध्ययन पत्र की साझा तैयारी <div><br /></div><div><br /></div><div>सिविल सेवा के वर्तमान तैयारी में एक सुझाव मैं सभी अभ्यर्थियों को देना चाहूँगा | निबंध के पत्र की महत्ता काफी बढ़ गयी है | और इस पत्र की तैयारी का कोई बंधा-बंधाया फार्मूला नहीं है | पत्र-पत्रिकाएं, अच्छी किताबें, आपके जीवन का अच्छा-बुरा सारा अनुभव, आपकी भाषा-सब मिलकर आपको निबंध के पत्र एवं साथ ही साक्षात्कार के लिए तैयार करती है | </div><div><br /></div><div>निबंध के पत्र की तैयारी में अभ्यास का काफी महत्त्व है | मेरा सुझाव है की सामान्य अध्ययन के चारों पत्रों में लगभग एक तिहाई से ज्यादा टॉपिक ऐसे हैं जिन्हें अगर आप निबंध के लिए तैयार कर ले तो एक पंथ दो काज होंगे | हाँ, वही प्रश्न निबंध की सामान्य अध्ययन में आने पर 1250 शब्दों की जगह 150 -250 शब्दों में सुन्दर, सटीक एवं प्रासंगिक उत्तर लिख पाने की कला आपमें होनी चाहिए | पिछले वर्ष सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र में आये एक प्रश्न को मैं यहाँ आपकी मार्गदर्शन के लिए निबंध एवं के उत्तर, दोनों के रूप में हूँ</div><div><b><br /></b></div><div><b><br /></b></div><div><b><br /></b></div><div><br /></div><div> </div><div><br /></div><div><b><i><u>निंबंध - क्या हम वैश्विक पहचान के लिए अपनी स्थानीय पहचान खोते जा रहे हैं? युक्तियुक्त विवेचन करें | (125 अंक - 1250 शब्द </u></i></b>)</div><div>या </div><div><b>क्या पाश्चात्य सभ्यता-संस्कृति भारतीय सभ्यता-संस्कृति पर हावी हो रही है ? अपने तर्कसंगत विचार रखे | </b></div><div><b><br /></b></div><div>बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फैसला रखना | </div><div>जहाँ कतरा समंदर से मिला, कतरा नहीं रहता | </div><div>-बशीर बद्र </div><div><br /></div><div>वैश्विक पहचान और स्थानीय पहचान को ऊपर के शेर में दिए गए उदहारण से बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है | वैश्विक पहचान का मतलब है एक विश्व मानव के रूप में हमारी पहचान | वहीं स्थानीय पहचान हमें हमारी जड़ों, हमारे निवास स्थान, समाज, क्षेत्र एवं देश के साथ जोड़ते हुए बनी हुयी पहचान है | स्थानीय पहचान को सूक्ष्म स्तर पर समाज या समुदाय के स्तर तक भी देखा जा सकता है | मगर जब हम वैश्विक पहचान के सन्दर्भ में तुलना करे तो स्थानीय पहचान से हमारी भारतीय पहचान अपेक्षित है | अगर हम पूरी मानव सभ्यता की बात करे तो वैश्विक पहचान भी जरुरी है | मगर वैश्विक पहचान में स्थानीय पहचान गुम नहीं होनी चाहिए | स्थानीय पहचान और वैश्विक पहचान उसी तरह आपस में जुड़े होने चाहिए जैसे मोतियों की माला में हर मोती अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाये रखते हुए माला की खूबसूरती भी बढाती है | </div><div><br /></div><div>भारत के संदर्भ में देखे तो वैश्वीकरण के आक्रमण ने हमारी स्थानीय पहचान को बहुत हद तक क्षति पहुँचाई है | विदेशी आक्रमणकारियों ने कई बार इसपर चढ़ाई की | कइयों ने इस देश की संपत्ति को लूटा और यहाँ से चले गए | मगर उनमे से बहुतेरे यहीं बस गए और यहाँ की पहचान में अपनी जीवनशैली की खुशबू मिलकर आत्मसात हो गए | महाकवि इकबाल ने इसे ही वाणी देते हुए कहाँ है की -</div><div><span face="" style="background-color: white; color: #333333; font-size: 20px; text-align: justify;">यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा</span><span class="reference" face="" id="cite_ref-7" style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-size: 15px; line-height: 0; position: relative; text-align: justify; top: -0.5em; unicode-bidi: isolate; vertical-align: baseline;"><a href="https://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%8F-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80_(%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%9C%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%81_%E0%A4%B8%E0%A5%87_%E0%A4%85%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%BE_%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%81_%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE_)_/_%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BE_%E0%A4%87%E0%A4%95%E0%A4%BC%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B2#cite_note-7" style="background: none transparent; box-sizing: border-box; color: #5a3696; font-size: 11px; text-decoration-line: none;">[7]</a></span><span face="" style="background-color: white; color: #333333; font-size: 20px; text-align: justify;"> सब मिट गए जहाँ से</span><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "helvetica neue", helvetica, arial, sans-serif; font-size: 20px; text-align: justify;" /><span face="" style="background-color: white; color: #333333; font-size: 20px; text-align: justify;">अब तक मगर है बाक़ी नाम-व-निशाँ हमारा</span><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "helvetica neue", helvetica, arial, sans-serif; font-size: 20px; text-align: justify;" /><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "helvetica neue", helvetica, arial, sans-serif; font-size: 20px; text-align: justify;" /><span face="" style="background-color: white; color: #333333; font-size: 20px; text-align: justify;">कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी</span><br style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "helvetica neue", helvetica, arial, sans-serif; font-size: 20px; text-align: justify;" /><span face="" style="background-color: white; color: #333333; font-size: 20px; text-align: justify;">सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा | </span></div><div>वैश्वीकरण और वैश्विक पहचान से स्थानीय पहचान के आक्रांत होने को शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, सभ्यता, कला, नृत्य के साथ जीवन के कई अंगों में देखा जा सकता है | वैश्वीकरण का सबसे बड़ा नुक्सान यह है की हमें हमेशा दूर के ढोल सुहावने लगते हैं | वैश्विक पहचान की चकाचौंध में हम अपनी स्थानीय पहचान की गरिमा को भूलने लगते हैं | </div><div><br /></div><div><b><u>शिक्षा में अंग्रेजी माध्यम के कान्वेंट स्कूलों का वर्चस्व</u></b> </div><div><br /></div><div>शिक्षा के क्षेत्र में देखे तो हम भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा को नकारने लगे हैं | आज गरीब-से-गरीब आदमी भी यह सोचता है की अगर बच्चे को कुछ बनाना है तो अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में उसे भेजना पड़ेगा | </div><div>इंटरनेशनल स्कूल के ब्रांड के आगे नालंदा, विक्रमशिला विश्वविद्यालय और गुरुदेव रवींद्रनाथ के भारतीय पहचान में रचे-बसे शांतिनिकेतन जैसे शिक्षा के महती केंद्रों की स्थानीय पहचान लुप्त हो रही है | अपने बच्चों को विश्व नागरिक बनाने की चाह में हम उनकी भारतीय पहचान को विलुप्त कर रहे हैं | उच्च शिक्षा के लिए भी उच्च वर्ग के परिवारों में अपने बच्चों को विदेश में ऑक्सफ़ोर्ड, कैंब्रिज, MIT जैसे वैश्विक पहचान वाले संस्थाओं में भेजने की होड़ लगी रहती है | शोध के क्षेत्र में भी जगदीश चंद्र बोस, सर सी वी रमण,होमी जहांगीर भाभा, विक्रम साराभाई की स्वदेशी शोध की राह को भूल हमें लगता है उच्च स्तर की शोध और खोज भारत में रहकर नहीं सकता | ऐसी शिक्षा से वो शायद आधुनिक कहला सके, मगर इस आधुनिकता को पाने के लिए बहुधा स्थानीय पहचान के नेपथ्य में जाने की कीमत चुकानी पड़ती है | </div><div><br /></div><div><b>अपनी मातृभाषा एवं साहित्य में भारतीय वांग्मय और लेखन के प्रति उपेक्षा</b> </div><div>वैश्विक पहचान की एक और बड़ी बुराई यह देखने को मिल रही है की हमारे बच्चों को शेक्सपियर और वर्ड्सवर्थ तो मालूम होते हैं मगर उनसे अगर प्रेमचंद, महादेवी वर्मा , तकषि शिवशंकर पिल्लई , फकीरचंद सेनापति, विभूतिभूषण बंदोपाध्याय, काजी नजरुल इस्लाम, सुब्रह्मण्यम भारती, विद्यापति, कबीर के बारे में पूछे पता नहीं होता | अपनी मातृभाषा और उसके साहित्य को पाश्चात्य साहित्य से हीन समझने की मनोग्रंथि वैश्विक पहचान के आगे घुटने टेकने जैसी है | शिक्षित तबके का तो यह आलम है की वो अपनी मातृभाषा को छोड़ दैनंदिन व्यवहार में भी अंग्रेजों के कान काटने लगा है | उन्हें अपनी बोली और जुबान में बोलना पिछड़ेपन की निशानी लगता है | यह सैकड़ों भाषाओं और स्थानीय पहचान के लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर रहा है | </div><div><br /></div><div><b>स्वास्थ्य के क्षेत्र में एलोपैथी का वर्चस्व </b></div><div>स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारतीयों ने योग पर भी तब ज्यादा ध्यान देना शुरू किया जब योग वैश्विक पहचान का हिस्सा बन गया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मानाने की शुरुआत हुई | भारतीय चिकित्सा प्रद्धतियों आयुर्वेद, सिद्ध एवं भारत का प्राचीन काल से उपयोगित यूनानी, तिब्बी जैसी पब्लिक हेल्थ में कारगर चिकित्सा प्रद्धति की घनघोर उपेक्षा की गयी और उनके विकास के लिए अभी भी पर्याप्त प्रयास नहीं हो पा रहे हैं | कोरोना संकट के समय में जब प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने की बात आती है, तब जाकर लोग फिर आयुर्वेद एवं सिद्धा की और मुड़ते हैं | भारत के देशज आयुर्वेदा और सिद्धा में प्रकृति के अनमोल जड़ी-बूटियों और हजारों वर्षों के अनुभव का सार छुपा है और इस स्थानीय पहचान का आदर करने और इसका और विकास करने की जरुरत है | </div><div><br /></div><div><b>कला, संगीत, नाटक एवं सिनेमा के क्षेत्र में</b> </div><div>सौभाग्यवश इस क्षेत्र में भारत की मिली-जुली संस्कृति-सभ्यता की समृद्ध विरासत के कारण हमारी स्थानीय पहचान ने अपनी विशिष्टता कायम रखी वैश्विक योगदान भी दिया | भारत के शास्त्रीय नृत्य यथा भरतनाट्यम, कथकली, कुचिपुड़ी, मोहिनीअट्टम, कथक ने अपनी वैश्विक पहचान बनायी | भारत के शास्त्रीय संगीत एवं संगीतकारों ने भी पुरे विश्व में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया | पंडित रविशंकर, बिरजू महाराज, सोनल मानसिंह जैसे बहुमुखी प्रतिभा धनी कलाकारों ने पूरे विश्व में अपना नाम कमाया | सिनेमा में भी बॉलीवुड एवं भारतीय सिनेमा ने विश्व के कई हिस्सों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है | नाटक में भी पृथ्वी थिएटर, जन नाट्य मंच जैसे संस्थाओं भारतीय पहचान को मजबूत बनाया | सत्यजीत रे, अडूर गोपालकृष्णन, हबीब तनवीर जैसे लोगों ने सिनेमा और थिएटर की विधा की भारतीय पहचान को विश्व स्तर पर नाम दिलाया | </div><div><br /></div><div><b>धर्म-दर्शन-अध्यात्म के क्षेत्र में</b> </div><div><br /></div><div>इस क्षेत्र में भी भारतीय नवजागरण के नायकों की वजह से भारतीय पहचान ने वैश्विक पहचान को प्रभावित किया | धार्मिक पर्यटन दृष्टि हर धर्म के कई पवित्र स्थल मौजूद है | हिन्दू, बुद्ध, जैन, सिख धर्म की यह जन्मभूमि है | पारसी धर्म को भी इसने आश्रय देकर जिलाये रखा | मुस्लिम और ईसाई धर्म भी यहाँ अपनी स्थापना शुरूआती दौर में ही आये और भारतीय प्रभाओं के साथ मौजूद हैं | बुद्ध, कबीर, विवेकानंद, कृष्णमूर्ति, अरविन्द जैसे महान लोगों भारतीय धर्म और आध्यात्म का पुरे विश्व में परचम लहराया | गीता और उपनिषदों के उपदेश की भी विश्व में धूम रही | जयदेव, विद्यापति चैतन्य से प्रेरित स्वामी प्रभुपाद का इस्कॉन पूरे विश्व में कृष्णा मधुरा भक्ति की पताका फहरा रहा है | आध्यात्मिक शांति के लिए पूरी दुनिया बनारस, पांडिचेरी, बोधगया, सारनाथ जैसे अनगिन पवित्र स्थलों के चक्कर लगाती है | चाणक्य नीति से लेकर पंचतंत्र, कथासरित्सागर से लेकर कथाएं, रामायण, महाभारत ने वैश्विक मानस पर भारतीय धर्म और दर्शन गहरी छाप छोरी है | </div><div><br /></div><div><b>फैशन एवं रहन - सहन</b></div><div>इस क्षेत्र में हमारी स्थानीय पहचान कुछ हद तक वैश्विक पहचान से प्रभावित हुई और कुछ हद तक इसने वैश्विक पहचान को प्रभावित भी किया है | साड़ी, बिंदी, चूड़ी और हमारे आभूषणों ने पुरे विश्व में अपना छवि बनायी | वहीं सूट, पैंट, शर्ट ने हमारे धोती-कुर्ते के पहनावे पर बहुत प्रभाव डाला है | आज उच्च वर्ग पहनावे के मामले में विदेशी पहचान को पूरी तरह आत्मसात कर रहा है | मगर ग्रामीण भारत और महिलाओं ने पहनावे मे स्थानीय पहचान को तरजीह दी है | विदेशी ब्रांडो के प्रति हमारा मोह और विश्वास ज्यादा ही गहरा है | </div><div><br /></div><div> </div><div><br /></div><div><br /></div><div><b>खेल-कूद के क्षेत्र में </b></div><div>खेल-कूद भी एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ भारतीय पहचान वैश्विक आगे दब जाती है | हॉकी के स्वर्णिम दिनों को छोड़ दें तो क्रिकेट की दीवानगी ने अन्य भारतीय खेलों हाशिये पर धकेल दिया | ओलम्पिक में भारत का प्रदर्शन जनसंख्या के अनुपात में शर्मनाक है | खेल में राजनीति एवं देश में खेल संस्कृति का अभाव भी इसका एक कारन है | हालाँकि, तीरंदाजी, निशानेबाजी, शतरंज, बैडमिंटन जैसे खेलों में हमारा प्रदर्शन सुधरा है मगर अभी भी खेलों में भारतीय पहचान को विश्व पटल पर सम्मान दिलाने को बहुत कुछ करना बाकी है | </div><div><br /></div><div><b>औद्योगिक पहचान और स्थानीय बनाम वैश्विक ब्रांड</b> </div><div>भारत जिस एक चीज में पिछड़ा है, वह है हमारा औद्योगिक विकास | आज स्टील से लेकर मोटरकार, बाइक, दवाएं, जैसी कई उत्पादों में हम विश्व में अग्रणी हैं | हीरो हौंडा, टीवीएस बाइक उत्पादन में विश्व में अग्रणी है | भारत दुनिया भर को सस्ती दवाएं देकर वर्ल्ड फार्मेसी कहलाता है | आयुर्वेदा की पूरे मांग बढ़ रही है | क्षेत्र में हम पूरी दुनिया को अपनी देते हैं | लेकिन कई ऐसे उत्पाद है जिसमे क्षमता होते हुए हम विदेशों पर निर्भर हैं | हमारा युवा छाछ, लस्सी, फलों के जूस जैसे हजारों स्वस्थ पेय छोड़ कोकाकोला, पेप्सी जैसे विदेशी कोल्ड ड्रिंक का दीवाना है | हमारे देशी नमकीन और भुजिया को छोड़ Lays चिप्स जैसे विदेशी उत्पादों का दीवाना है | हमारे देश की करोड़ों जनता पहले फ़िनलैंड नोकिआ, साउथ कोरिया की सैमसंग, अमेरिका के एप्पल और चीन के वीवो जैसे मोबाइल खरीदने को बाध्य है चूँकि हम मोबाइल के निर्माण के भारतीय ब्रांडों को नहीं बढ़ा पाए | ऐसे कई उदहारण दिए जा सकते हैं | यह एक क्षेत्र है जहाँ हमें लोकल के लिए वोकल होना पड़ेगा | भारतीय उत्पादों को हमें विदेशी उत्पादों तरजीह देनी होगी | जिन वस्तुओं का अभी भारत में उत्पादन नहीं रहा हैं, उनके उत्पादन की क्षमता को लाने के लिए हमें प्रयास करना होगा | </div><div><br /></div><div><b>रीति-रिवाज एवं पर्व-त्यौहार </b></div><div>हमारी स्थानीय पहचान में हमारी रीतियों जैसे जन्म से लेकर शादी से लेकर श्राद्ध तक होने वाले परिपाटियों में न के बराबर बदलाव आया है | हमारे पर्व त्यौहार जैसे होली, दीवाली, ईद, छठ, दुर्गा पूजा, नवरोज (पारसी), बुद्ध पूर्णिमा यथावत है | हाँ, वैश्विक पहचान से हमने क्रिसमस, ईसाई नववर्ष, मदर्स डे, फादर्स डे जैसे पर्व और दिनों को मानना सीखा है जिसमे कुछ अच्छे हैं और कुछ सांकेतिक होने के कारन अनावश्यक हैं | </div><div><br /></div><div><b>खान-पान </b>-</div><div>भारत में खान-पान की विविधता ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है | विश्व से पिज़्ज़ा, फास्टफूड जैसी कई प्रभाव भी हमने लिए हैं | मगर हमारे मसाले, मिठाइयाँ, नमकीन, अचार, पापड़, शाकाहारी एवं मांसाहारी व्यंजनों ने पूरे विश्व को अपना दीवाना बनाया है और विश्व के कोने-कोने में आज भारतीय रेस्टोरेंट मौजूद है | </div><div><br /></div><div><br /></div><div>वैश्विक पहचान के संदर्भ में जब हम स्थानीय पहचान की बात करते हैं तो देशीय पहचान या भारतीय पहचान होती है | देखा जाए तो भारतीय पहचान अपने आप में कई स्थानीय पहचानों को समेटे है | सैकड़ों भाषाएं, बोलिया, वेशभूषा, आभूषण, गीत-संगीत, लोकनृत्य, रीति-रिवाज, धर्म, पर्व-त्यौहार, खान-पान, रहन-सहन को आपस में समेटे भारतीय पहचान अपने आप में विविधता में एकता का एक जीवन्त अनूठा उदहारण है | भारत वर्ष में आपको सैकड़ों जीवन शैली और स्थानीय पहचान मिल जायेगी जो समग्र रूप से भारत की स्थानीय पहचान को निर्मित करती है | इन स्थानीय पहचान और प्रभाव को बचाये रखना भी भारत की विशिष्ट पहचान को बचाये रखने और इसे वैश्विक पहचान में अपनी विशिष्टता बनाये रखने में सहायक होंगे | </div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div>गाँधी जी के शब्दों में थोड़ा फेर बदल कर कहे तो हम ये नहीं चाहते की हमारी स्थानीय पहचान संकीर्ण हो और उस घर की तरह हो जिसके दरवाजे और खिड़कियां बंद हो | घर की दरवाजे और खिड़कियां खुले रहने चाहिए वैश्विक पहचान की ताज़ी हवा को आने की जगह हो, कुछ प्रभावित करने और कुछ हमारी पहचान की सुवास से प्रभावित होने की जगह हो | मगर ऐसा भी न हो की वैश्विक पहचान की जब आंधी चले तो हम अपनी स्थानीय पहचान के घर के सभी खिड़की- दरवाजे खुले रखे, क्यूंकि इससे घर के तूफ़ान में उड़ने का खतरा है | वैश्विक पहचान के फूलों के बगिया में हमारी स्थानीय पहचान के फूल को अपनी विशिष्ट पहचान, फूल और खुशबू बचाये रखनी है | इसी में भारत और विश्व दोनों का भला है | </div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><b>सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र १ म २०१९ </b><div><b>प्रश्न संख्या २० - क्या हम वैश्विक पहचान के लिए अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं ? चर्चा कीजिये (१५ अंक, २५० शब्द )</b></div><div><br /></div></div><div>उत्तर २० </div><div><div>बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फैसला रखना | </div><div>जहाँ कतरा समंदर से मिला, कतरा नहीं रहता | </div><div>-बशीर बद्र </div><div><br /></div><div>अगर हम पूरी मानव सभ्यता की बात करे तो वैश्विक पहचान भी जरुरी है | मगर वैश्विक पहचान में स्थानीय पहचान गुम नहीं होनी चाहिए | भारत के संदर्भ में देखे तो वैश्वीकरण के आक्रमण ने हमारी स्थानीय पहचान को बहुत हद तक क्षति पहुँचाई है | </div></div><div><br /></div><div>*शिक्षा के क्षेत्र में देखे तो हम भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा को नकारने लगे हैं | आज गरीब-से-गरीब आदमी भी यह सोचता है की अगर बच्चे को कुछ बनाना है तो अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में उसे भेजना पड़ेगा | अमीर लोग अपने बच्चों को भारत की जगह विदेशों में उच्च शिक्षा एवं शोध के लिए भेजना पसंद करते है | </div><div><br /></div><div>*स्थानीय पहचान को एक और बड़ा खतरा भाषा और साहित्य के क्षेत्र में है | हमारे बच्चों को शेक्सपियर और वर्ड्सवर्थ तो मालूम होते हैं मगर भारतीय लेखकों के बारे में मालूम नहीं होता | शिक्षित तबके का तो यह आलम है की वो अपनी मातृभाषा को छोड़ दैनंदिन व्यवहार में भी अंग्रेजों के कान काटने लगा है | </div><div><br /></div><div>*स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारतीयों ने योग पर भी तब ज्यादा ध्यान देना शुरू किया जब योग वैश्विक पहचान का हिस्सा बन गया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मानाने की शुरुआत हुई | भारतीय चिकित्सा प्रद्धतियों आयुर्वेद, सिद्ध एवं भारत का प्राचीन काल से उपयोगित यूनानी, तिब्बी जैसी पब्लिक हेल्थ में कारगर चिकित्सा प्रद्धति की घनघोर उपेक्षा की गयी | </div><div><div><br /></div><div>*कला, संगीत, नाटक एवं सिनेमा के क्षेत्र में भारत की मिली-जुली संस्कृति-सभ्यता की समृद्ध विरासत के कारण हमारी स्थानीय पहचान ने अपनी विशिष्टता कायम रखी वैश्विक योगदान भी दिया | भारत के शास्त्रीय नृत्य यथा भरतनाट्यम, कथकली, कुचिपुड़ी, मोहिनीअट्टम, कथक ने अपनी वैश्विक पहचान बनायी | पंडित रविशंकर, बिरजू महाराज, सोनल मानसिंह जैसे बहुमुखी प्रतिभा धनी कलाकारों ने पूरे विश्व में अपना नाम कमाया | सिनेमा में भी बॉलीवुड एवं भारतीय सिनेमा ने विश्व के कई हिस्सों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है | सत्यजीत रे, अडूर गोपालकृष्णन, हबीब तनवीर जैसे लोगों ने सिनेमा और थिएटर की विधा की भारतीय पहचान को विश्व स्तर पर नाम दिलाया | </div><div><br /></div><div>*धर्म-दर्शन-अध्यात्म के क्षेत्र में भारतीय नवजागरण के नायकों की वजह से भारतीय पहचान ने वैश्विक पहचान को प्रभावित किया | हिन्दू, बुद्ध, जैन, सिख धर्म की यह जन्मभूमि है | पारसी धर्म, मुस्लिम और ईसाई धर्म भी भारतीय प्रभाओं के साथ मौजूद हैं | बुद्ध, कबीर, विवेकानंद, कृष्णमूर्ति, अरविन्द जैसे महान लोगों भारतीय धर्म और आध्यात्म का पुरे विश्व में परचम लहराया | वेद, उपनिषद, गीता. बुद्धोपदेश, चाणक्य नीति से लेकर पंचतंत्र, कथासरित्सागर से लेकर कथाएं, रामायण, महाभारत ने वैश्विक मानस पर भारतीय धर्म और दर्शन गहरी छाप छोरी है | </div><div><br /></div><div><b>*</b>फैशन एवं रहन - सहन के क्षेत्र में हमारी स्थानीय पहचान कुछ हद तक वैश्विक पहचान से प्रभावित हुई और कुछ प्रभाव भी डाला | साड़ी, बिंदी, चूड़ी और हमारे आभूषणों ने पुरे विश्व में अपना छवि बनायी | वहीं सूट, पैंट, शर्ट ने हमारे धोती-कुर्ते के पहनावे पर बहुत प्रभाव डाला है | भारतीय खान-पान और मसलों विश्व में अपनी छाप छोड़ी है | </div><div><br /></div><div>* हमारी रीति-रिवाजों जैसे जन्म से लेकर शादी से लेकर श्राद्ध तक होने वाले परिपाटियों में न के बराबर बदलाव आया है | हमारे पर्व त्यौहार जैसे होली, दीवाली, ईद, छठ, दुर्गा पूजा, नवरोज (पारसी), बुद्ध पूर्णिमा यथावत है | हाँ, वैश्विक पहचान से हमने क्रिसमस, ईसाई नववर्ष, मदर्स डे, फादर्स डे जैसे पर्व और दिनों को मनाना सीखा है | </div><div><br /></div><div>*खेल-कूद भी एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ भारतीय पहचान वैश्विक आगे दब जाती है | हॉकी के स्वर्णिम दिनों को छोड़ दें तो क्रिकेट की दीवानगी ने अन्य भारतीय खेलों हाशिये पर धकेल दिया | ओलम्पिक में भारत का प्रदर्शन जनसंख्या के अनुपात में शर्मनाक है | खेल में राजनीति एवं देश में खेल संस्कृति का अभाव भी इसका एक कारण है | हाल के वर्षों में तीरंदाजी, निशानेबाजी, शतरंज, बैडमिंटन जैसे खेलों में हमारा प्रदर्शन सुधरा है | </div><div><br /></div><div><br /></div><div>*भारत जिस एक चीज में पिछड़ा है, वह है हमारा औद्योगिक विकास | आज स्टील से लेकर मोटरकार, बाइक, दवाएं, जैसी कई उत्पादों में हम विश्व में अग्रणी हैं | हीरो हौंडा, टीवीएस बाइक उत्पादन में विश्व में अग्रणी है | भारत दुनिया भर को सस्ती दवाएं देकर वर्ल्ड फार्मेसी कहलाता है | हमारे देश की करोड़ों जनता विदेशी में उत्पादित मोबाइल खरीदने को बाध्य है चूँकि हम मोबाइल के निर्माण के भारतीय ब्रांडों को नहीं बढ़ा पाए | ऐसे क्षेत्रों में हमें लोकल के लिए वोकल होना पड़ेगा और मेक इन इंडिया को यथार्थ करना होगा | </div><div><br /></div><div><br /></div><div>गाँधी जी के शब्दों में थोड़ा फेर बदल कर कहे तो हम ये नहीं चाहते की हमारी स्थानीय पहचान संकीर्ण हो और उस घर की तरह हो जिसके दरवाजे और खिड़कियां बंद हो की बाहर की हवा ही न आ सके | मगर ऐसा भी न हो की वैश्विक पहचान की जब आंधी चले तो हमारा घर तूफ़ान से उड़ जाए | वैश्विक पहचान के फूलों के बगिया में हमारी स्थानीय पहचान के फूल को अपनी विशिष्ट पहचान, फूल और खुशबू बचाये रखनी है | इसी में भारत और विश्व दोनों का भला है | </div><div><br /></div><div><br /></div></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div>KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-2520374947544708852020-09-05T11:05:00.004+05:302020-09-05T13:45:50.934+05:30सतगुर की महिमा अनँत <p> कबीरदास के दोहों में सच्चे गुरु की महिमा बड़े ही रोचक ढंग से और लोकजीवन से उदाहरण देते हुए कही गयी है| सच्चा गुरु मनुष्य को देवता के समान बनाने के प्रयास में लगा रहता है, अनंत ज्ञान को शिष्य को देने का प्रयास करता है | गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिल सकता | जब गोविन्द कृपा करते हैं तो गुरु की प्राप्ति होती है | अयोग्य गुरु अयोग्य शिष्य एक दूसरे का उसी प्रकार नुकसान करते हैं जैसे अँधा मनुष्य दूसरे अंधे मनुष्य को रास्ता बतलाने के समय करता है | गुरु शिष्य के संशय का नाश करता है | गुरु के पारस स्पर्श से शिष्य लोहे से सोने में बदल जाता है| </p><p>भारतीय परंपरा में गुरु का जो आदर है, वह पाश्चात्य परंपरा के लिए आश्चर्य की वस्तु है | यहाँ पर गुरु का दर्जा भगवान के बराबर माना गया है | गुरु-गोविन्द दोनों के सामने आने पर शिष्य का यह कर्त्तव्य है की वह पहले गुरु की वंदना करे जिसने उसे गोविन्द का ज्ञान दिया है | कृष्ण, बुद्ध, महावीर और गुरु नानक, इनके व्यक्तित्व का अहम् हिस्सा गुरु के रूप में लोगों के पथप्रदर्शन का है | गुरु बिना ज्ञान न होई, यह कहावत लोकमन में यूँ ही नहीं बैठी है | </p><p>प्राचीन काल की गुरुकुल प्रद्धति में गुरु ही शिष्य के अभिभावक और उसके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु उत्तरदायी होते थे | शिष्य शिक्षा के पूर्ण होने पर अपनी क्षमता के अनुसार गुरुदक्षिणा देकर गुरु के प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन करते थे | द्रोणाचार्य और एकलव्य की कथा तो हम सब ने सुनी है जहाँ गुरु पक्षपात के कारण एकलव्य को जिसने गुरु को अपने मन में स्थान देकर धनुर्विद्या सीखी थी, उसका अंगूठा गुरुदक्षिणा के तौर पर मांग बैठते है | और एकलव्य बेहिचक अपनी शस्त्र-विद्या के बलिदान समान अपना अंगूठा काटकर गुरु के चरणों में रख देता है | </p><p>वर्तमान समय में देखे तो गुरु-शिष्य की भारतीय अवधारणा में पाश्चात्य प्रभावों की घुसपैठ हुई है | पहले के जैसे गुरु भी कम है, और शिष्य तो और भी कम हैं | गुरु कई ऐसे हैं जिनके ज्ञान की गगरी अधजल है और छलकती जा रही है | ना तो उनमें बाल मनोविज्ञान की परख है, ना ही विद्यार्थियों के प्रति समानुभूति और प्रेम | नतीजा है की शिक्षा बोझिल होती जा रही है और रचनात्मकता का ह्रास हो रहा है | </p><p><br /></p><p>सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ प्राइवेट शिक्षा संस्थाओं में भी शिक्षकों की गुणवत्ता, ज्ञान और छात्रों को नए जमाने की तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए आकर्षक तरीके से पढ़ाने की क्षमता में गिरावट दीख पड़ती है | सरकारी व्यवस्था में आंगनवाड़ी से पूर्व -प्राथमिक शिक्षा तक का सफर काफी धीमा रहा है और अब जाकर वर्तमान शिक्षा नीति में उसकी रूपरेखा सामने आयी है | प्राइवेट शिक्षा संस्थाओं में शिक्षा के व्यवसायीकरण ने भी शिक्षक और छात्रों के रिश्ते में दरार डाली है | </p><p>एक सशक्त और सकारात्मक शिक्षा व्यवस्था के लिए पूर्ण रूपेण प्रशिक्षित एवं संकल्पित शिक्षक अनिवार्य है | शिक्षक की आत्मनिष्ठा शिष्य को संवारने के हिसाब से महत्त्वपूर्ण है | नई शिक्षा नीति का भी मानना है कि शिक्षा में सकारात्मक बदलाव लाने धुरी शिक्षक ही है | समाज में शिक्षक का सम्मान एवं स्थान सर्वोच्च आदर का होना चाहिए | इसे सुनिश्चित करने के लिए यह जरुरी है की शिक्षण को कैरियर मात्र नहीं वरना समाजसेवा के तौर पर देखा जाए | शिक्षकों की नियुक्ति, प्रशिक्षण, सतत गुणवत्ता वर्धन, एवं सेवा शर्तें इस प्रकार की होनी चाहिए ताकि बेहतरीन प्रतिभाओं को शिक्षण क्षेत्र में आकर्षित किया जा सके | नयी शिक्षा नीति में 30 छात्रों पर एक शिक्षक(पिछड़े क्षेत्रों में 25 पर एक शिक्षक ) का लक्ष्य रखा गया है जो स्वागतयोग्य है | शिक्षकों के लिए साल में 50 घंटे का सतत व्यावसायिक विकास का ऑनलाइन कार्यक्रम भी शिक्षकों के ज्ञान और क्षमता को अद्यतन रखने के उद्देश्य में काफी कारगर रहेगा | </p><p>शिक्षक दिवस जिनकी याद में मनाया जाता है, उन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन भी अपनेआप में एक सीख है | एक सामान्य परिवार से आते हुए अपने ज्ञान के बूते उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया | मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज, मैसूर विश्वविद्यालय, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में दर्शन शास्त्र का अध्यापन, बनारस विश्वविद्यालय के उप कुलपति के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन और भारतीय दर्शन, सभ्यता-संस्कृति के ऊपर लिखी उनकी किताबें ज्ञान को बांटने की उनकी लगन को दर्शाती है | </p><p> शिक्षक दिवस के अवसर पर आज मैं अपने सभी शिक्षकों विशेषकर अपने गुरु श्री नागेंन्द्र सिंह और उनके बाल मनोविज्ञान की गहरी समझ के साथ बच्चों को पढाने की उनकी तकनीक आप लोगों के सम्मुख रखना चाहूॅंगा | खेल-खेल में बच्चों को अंकगणित, भाषा एवं विज्ञान सिखाने की उनकी कला सभी प्राथमिक शिक्षकों के लिए अनुकरणीय है | बच्चों को प्यार के साथ और जिज्ञासु बनाते हुए पढ़ाने की शैली उनमें क्या खूब थी | </p><p><br /></p><p>उदाहरण के लिए गिनती सीखने के लिए माटी की गोलियां बनवाना, उनको आग में पक्का करना और फिर उनसे गिनती सीखना | क्या मजाल की बच्चा पढ़ने में फिर आना-कानी करें | वैसे ही घन और घनाभ के बारे में पढ़ाते हुए लकड़ी के बक्सों से उदाहरण देते हुए पढ़ाना | मानों चित्र जैसे बच्चे की स्मृति में बस जाए | भाषा पठन श्रुतलेख का नित्य अभ्यास, कविता का सस्वर पाठ और याद करना, शब्दों से वाक्य निर्माण में कल्पना की ऊंची उड़ान को अवसर देना उनकी खूबी थी | भाषा को पढ़ना प्रेमचंद्र की कहानियों और जयशंकर प्रसाद के नाटक, दिनकर की कविताओं से हो तो फिर भाषा पर मजबूत पकड़ सुनिश्चित है | साथ में गीता के एक श्लोक को नित्य याद करना और अर्थ का मनन करना, महापुरुषों की जीवनियों को पढ़ना-लिखना-गुनना, गुरूवार को सुंदरकांड पाठ, ऐसी कितनी उनकी तकनीकें थी जिनकी खूबी अपने बच्चों के लिए ऐसे अवसरों के अभाव में ही नजर आती है | </p><p>ऐसे ही अपने बलभद्र उच्च विद्यालय, बभनगामा के भूगोल के मौलवी साहब की भी याद आती है | कक्षा में आने के बाद अध्याय का नाम पूछने के बाद किताब बंद कर रख देते थे | फिर जो वो भूगोल की जटिलता को सरस चित्रात्मकता के साथ पढ़ाते थे, तो समां बंध जाता था | उनके द्वारा पढ़ाया गया बफर स्टेट का पाठ जब-जब भारत-चीन के संबंधों और सीमा विवाद की चर्चा होती है, आँखों के आगे मूर्तिवत हो जाता है | दो बड़े देशों की सीमा यथासंभव आपस में नहीं मिलनी चाहिए और उनके बीच छोटे-छोटे बफर स्टेट होने चाहिए | और उसके बाद उनके द्वारा दिया गया भारत और चीन के बीच के बफर स्टेट्स का विवरण आज तक यादों में चित्र की तरह जड़ा है | रीगा मध्य विद्यालय के अपने शिक्षकों भुवनेश्वर सर, चन्द्रिका सर, जीतेन्द्र सर, रामरेखा सर और अन्य सभी गुरुजनों का, बलभद्र उच्च विद्यालय बभनगामा के अपने गुरुजनों का, एम पी उच्च विद्यालय डुमरा विशेषकर इंदु मैडम, प्रभावती मैडम, मिलिंद सर, पाठक सर, मंडल सर, पीटी अध्यापक और अन्य गुरुजन , भोलानंद विद्यालय बैरकपुर से झरना मैडम,देवाशीष सर, मुख़र्जी सर और अन्य गुरुजन इन सभी आदर्श शिक्षकों के प्रति इस शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ एवं सभी शिक्षकों का समाज उनके महती योगदान हेतु अभिनन्दन करता हूँ | </p><p>बराकर में सरकारी विद्यालय में शिक्षक रहे अपने नानाजी स्वर्गीय श्री उमेश चंद्र ठाकुर को भी इस अवसर पर मैं श्रद्धा पूर्वक याद करता हैं | पुस्तक प्रेम उनका ऐसा था की घर पर लगभग १० अलमीरा में साहित्य, धर्म, अध्यात्म की किताबें भरी रहती थी | निराला की अनामिका, राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा का पहला सजिल्द संस्करण, स्वामी प्रभुपाद की Bhagvad Gita As Is के अमेरिकी संस्करण की पहले संस्करण की किताब, कल्याण के सैकड़ों अंक, वेद-पुराण-उपनिषद की अनगिन किताबें-यह प्रचुर पुस्तक प्रेम जो एक शिक्षक में होना ही चाहिए, वह उनसे विरासत में मिला है | गीता या धर्म की जब वो व्याख्या करते थे तो क्या ज्ञानी और क्या आम जान, मंत्रमुग्ध से उनकी वाणी को घंटों सुनते न अघाते थे | </p><p><br /></p><p>कोरोना संकट के बाद आये इस दौर में छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाना एक नयी चुनौती के रूप में हमारे शिक्षकों के सामने है | वैसे भी जिन विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम की व्यवस्था थी, वो इस समय ज्यादा अच्छे से तकनीक प्रयोग कर पा रहे हैं | लेकिन इस समस्या ने शिक्षकों को अपने तकनीकी ज्ञान को अद्यतन रखने की आवश्यकता भी सामने लायी है | वर्तमान समय में ऑनलाइन क्लास रोचक बनाना और अच्छे कंटेंट दे पाना एक बड़ी चुनौती और अवसर के रूप में हमारे शिक्षक समुदाय के सामने है | अभी की सीख उन्हें शिक्षा को और विद्यार्थी केंद्रित, तकनीकी युक्त और इंटरनेट पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए रोचक बनाने में मदद करेगी | जब शिक्षक खुद नया ज्ञान सीख रहे हों, तो वाकई वो छात्रों समानुभूति भी रख पाएंगे और उन्हें प्रेरित भी कर पाएंगे | शिक्षक का कार्य छात्रों को जिज्ञासु, नैतिक मूल्य युक्त और मानवीय गुणों से ओतप्रोत बनाने का है | इतना कर पाए तो बाकी की राह शिष्य बड़ी कृतज्ञतापूर्वक तय कर लेंगे और जीवन में हमेशा अपने शिक्षक को आदर और प्रेम के साथ याद रखेंगे | कोरोना काल में पूर्वछात्रों द्वारा अपने शिक्षकों की यथासंभव मदद करने की ख़बरें इस समय भी गुरु-शिष्य संबंधों के प्रेम भाव की एक अलग की बानगी सामने लाती हैं | </p><p>--केशवेंद्र कुमार---</p><p><br /></p>KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-53849339022934070402020-08-06T17:33:00.008+05:302020-08-06T17:39:14.177+05:30Address by Chief Guest Shree Keshvendra Kumar IAS at Clairvoyance 2018<iframe allowfullscreen="" frameborder="0" height="270" src="https://www.youtube.com/embed/K-bhqKcfJBk" width="480"></iframe>KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-65590942012178100392020-08-06T00:45:00.003+05:302020-08-06T01:34:03.900+05:30यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का भाषिक लोकतंत्रीकरण<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br /></div><div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">सिविल सेवा परीक्षा 2019 का परीक्षाफल आ चुका है और इसमें सफल सभी अभ्यर्थियों को मेरी हार्दिक बधाई | जो सफल नहीं हो सके हैं, इस बार की प्राथमिक परीक्षा दे रहे हैं, उन्हें अपनी कमियों से सीख लेते हुए आत्मविश्लेषण कर इस वर्ष 4 अक्टूबर को होनेवाली प्राथमिक परीक्षा के लिए पूरे जोश-खरोश से तैयारी में जुटने हेतु शुभकामनाएं | वैसे अभ्यर्थी, जिनकी पास अब प्रयास बाकी नहीं है या आयुसीमा पार कर चुके हैं, उनसे मैं कहना चाहूंगा की आप हार नहीं माने और अपनी रुचि के अनुरूप अन्य करियर ऑप्शन पर अपनी ऊर्जा लगाएं | जीवन हर परीक्षा से बड़ा और महत्तवपूर्ण है | हो सकता है की आप जीवन में कुछ और बड़ा काम करने हेतु आएं हो |<br />
<br />
सिविल सेवा में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के छात्रों की घटती संख्या चिंता का विषय है | जहाँ एक और नयी शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा देने की बात की जा रही है, वहीं दूसरी और CSAT के आगमन के बाद अंग्रेजी माध्यम और इंजीनियरिंग से सिविल सेवा में आनेवाले छात्रों का वर्चस्व बढ़ा है जो सिविल सेवा के लोकतान्त्रिक स्वरुप और विविधता के लिए सही नहीं है |<br />
<br />
संविधान की 22 भाषाओं में एक या दो भाषा का सिविल सेवा में वर्चस्व यह दिखाता है की हम अभी भी सभी भारतीय भाषाओं को सिविल सेवा परीक्षा हेतु बराबरी दिलाने के लक्ष्य से कोसों दूर है | हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु माध्यम में कुछ वर्ष काफी छात्रों ने सिविल सेवा की तैयारी कर सफलता प्राप्त की और यह आशा बंध रही थी की सिविल सेवा परीक्षा भाषिक लोकतांत्रीकरण की और जा रही है | लेकिन फिर हाल के वर्षों में सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम समेत अन्य भारतीय भाषाओं का नगण्य प्रदर्शन यह दर्शाता है की अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व जिसे भारतीय भाषाएं चुनौती देने की दिशा में बढ़ रही थी, पुनः पहले की भांति होता जा रहा है | मैथिली, कोंकणी, बोडो, डोगरी, मणिपुरी, संथाली, सिंधी, नेपाली, ओड़िआ, असामीज, जैसी भाषाओं से यदि सिविल सेवा में रिजल्ट चाहिए तो इन भाषाओं को बोलने वाले राज्यों में राज्य सरकाओं द्वारा प्रतिभाशाली बच्चों के लिए फ्री कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए | उपरोक्त वर्णित भाषाओं के अतिरिक्त हिंदी, तमिल , उर्दू, तेलुगु, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, काश्मीरी, पंजाबी, मलयालम, मराठी, संस्कृत भाषाओं के माध्यम से भी सिविल सेवा में रिजल्ट लाने और अभी आ रहे नगण्य रिजल्ट की संख्या में वृद्धि के लिए NGO एवं इन भाषाओं के संगठनों को भी इस दिशा में फ्री कोचिंग हेतु कदम उठाने की जरुरत है |<br />
<br />
UPSC को आत्ममंथन करते हुए सिविल सेवा परीक्षा में आये बदलावों पर विचार करने की जरुरत है | यह परीक्षा ऐसी होनी चाहिए की किसी भी भाषा के माध्यम से आने वाली प्रतिभा को बढ़ावा दे सके और तकनीकी या मानविकी किसी भी शैक्षिक पृष्ठभूमि से आये छात्र के लिए परीक्षा का स्तर समान हो | दो वैकल्पिक विषय को हटा सामान्य अध्ययन के अंक बढ़ाने की नीति ने इस परीक्षा का क्या भला किया है और क्या बुरा, इसपर भी विकार करने का समय आ गया है |<br />
<br />
UPSC से यह भी अनुरोध है की सिविल सेवा परीक्षा परिणामों के बाद जल्द ही किस माध्यम से कितने छात्र उत्तीर्ण हुए है और किस शैक्षणिक पृष्ठभूमि से कितने छात्रों का चयन हुआ है , इसके तथ्यों को सामने ला दे ताकि एक सटीक विश्लेषण किया जा सके | जिन भाषाओं को माध्यम के रूप में लेते हुए बहुत ही काम छात्र भाग ले रहे हैं या सफल हो रहे हैं, उनके सन्दर्भ में प्रोत्साहन हेतु कदम उठाने हेतु UPSC द्वारा केंद्र एवं सम्बद्ध राज्य सरकार को सलाह दिया जाना चाहिए | रिक्तियों की घटती संख्या भी चिंता का विषय है और यह देखने की जरुरत है की सभी सर्विस वर्तमान समय की जरुरत को देखते हुए पदों की संख्या का निर्धारण कर सभी रिक्तियों को UPSC को रिपोर्ट करें |<br />
<br />
हिंदी में जो प्रश्न पत्र बनाये जा रहे हैं, उनकी भाषा पर हर बार बहस होती है | कहने की जरुरत नहीं है की हिंदी के प्रश्न को समझने के लिए हिंदी के विद्वानों को भी अंग्रेजी सवाल को पढ़ना पड़ जाता | इस परीक्षा में यदि सवाल अंग्रेजी से यांत्रिक रूप से अनुदित किये जाने की जगह सरल हिंदी में लिखे जाए तो इससे भी विद्यार्थियों का भला होगा |<br />
<br />
अभ्यर्थियों को मैं यह सलाह भी देना चाहूंगा की CSAT में 33 % अंक लाने की बाध्यता इतना बड़ा पहाड़ भी नहीं है जिसके वजह से वो हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं को माध्यम के रूप में चुनने की जगह मजबूरी में अंग्रेजी माध्यम का चुनाव करें | माध्यम तो बस एक साधन है, अगर आपमें प्रतिभा है, लगन है और समाज, देश और मानवता के लिए कुछ कर दिखाने का जूनून है , तो सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी | हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए मैं अपने ब्लॉग पर और समय निकाल कर कुछ अन्य महत्तवपूर्ण विषयों पर आपको सलाह देने की लिए नियमित रूप से हाजिर होता रहूँगा |<br />
शुभकामनाओं के साथ,<br />
आपका,<br />
केशवेंद्र कुमार<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-84324784217155465722018-10-14T02:30:00.000+05:302018-10-14T02:59:10.274+05:30 आपदा प्रबंधन -बदलते आयाम <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आपदा प्रबंधन एक प्रशासक एवं एक नागरिक के रूप में भी हम में से हर एक के लिए एक प्रमुख क्षेत्र है | वर्तमान में केरल में आयी प्रलय सामान बाढ़ एवं भू-स्खलन ने भी हमें मानों चेतावनी दी है कि विकास को प्रकृति को साथ लेकर ही चलना होगा | हमें इस बात को समझना होगा की टिकाऊ विकास प्रकृति के साथ लड़कर नहीं बल्कि उसको साथ लेकर ही संभव हो सकता है |<br />
<div>
<br /></div>
<div>
केरल की इस आपदा ने एक नया आयाम भी जोड़ा है आपदा प्रबंधन में | राज्य सरकार के साथ जनता, स्वयंसेवी संगठन, विद्यार्थी, अन्य राज्य, विदेशों में बसे भारतीय समुदाय, सब ने मिलकर जन भागीदारी के साथ बचाव, राहत और पुनर्वास का एक नया मॉडल सामने रखा |<br />
<div>
<br /></div>
<div>
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लगें छात्रों के लिए हमारे देश में इस समय आपदा प्रबंधन के विविध पहलुओं को इस आलेख में मैं आपके सामने संक्षेप में रख रहा हूँ |</div>
</div>
<div>
<br /></div>
<div>
भारत में वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के द्वारा आपदा प्रबंधन को संस्थागत ढांचा दिया गया | इस अधिनियम के अंतर्गत केंद्र, राज्य एवं जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को रूप दिया गया है जिसकी अध्यक्षता क्रमशः प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं जिला कलक्टर को सौंपी गयी है | इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2016, 1 जून को भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना को मंजूरी दी जो की सतत विकास लक्ष्यों एवं आपदा प्रबंधन में <span style="background-color: white; color: #444444; font-family: "verdana" , "geneva" , sans-serif; font-size: 14px;">सेंडाई फ्रेंमवर्क (सामाजिक व्यवस्था) को ध्यान में रखकर बनायीं गयी है |</span></div>
<div>
<br /></div>
<div>
आपदा प्रबंधन में सबसे महत्त्वपूर्ण चरण है तैयारी का | आपदाओं को पूरी तरह से रोकना असंभव है | अगर आप तैयार हैं तो जान-माल की क्षति कम-से-कम होगी | इस सिलसिले में जिले, राज्य और देश में आपदा प्रबंधन प्लान बनाना एक प्रमुख प्रक्रिया है जहाँ आप हर तरह की आपदा की सम्भावना को मापते हैं और उससे निपटने की रणनीति बनाते हैं | इसके प्रमुख घटक हैं-</div>
<div>
* जिले के स्तर पर सभी प्रमुख विभागों में आपदा की स्थिति में काम में आने वाले सभी उपकरण एवं सामग्री को हर समय तैयार हालत में रखना</div>
<div>
* आपदा शेल्टर होम की पहचान एवं उसे हमेशा तैयार रखना </div>
<div>
*राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, फायर एवं रेस्क्यू, स्वास्थय विभाग जैसे बचाव एवं राहत कार्य में प्रमुख भूमिका निभाने वाले विभागों की नियमित ट्रेनिंग एवं अभ्यास करवाना </div>
<div>
*जिले में अतीत में हुई आपदाओं को ध्यान में रखते हुए आपदा संभाव्यता मैपिंग करना और संवेदनशील क्षेत्रों में आवश्यक एहतियात बरतना , इस कार्य में जिले, राज्य या राज्य से बाहर के वैज्ञानिक संस्थाओं की मदद लेना </div>
<div>
*जिले में NGO एवं अन्य नागरिक संगठनों की क्षमता का आकलन और उन्हें भी इस कार्य में भागीदार बनाना </div>
<div>
*आस-पास के जिलों के साथ सहयोग एवं साझीदारी </div>
<div>
*सुदृढ़ संचार व्यवस्था एवं आपदा की स्थिति में वैकल्पिक संचार व्यवस्था का प्रबंध </div>
<div>
<br /></div>
<div>
इन सब बातों का ध्यान रख कर बनाये जिले आपदा प्रबंधन प्लान को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में विस्तृत चर्चा कर अंगीकृत किया जाता है | इस प्लान को हर छः महीने/ साल में अपडेट किया जाना इसके प्रभावी बने रहने के लिए अत्यावश्यक है | </div>
<div>
<br /></div>
<div>
<br /></div>
<div>
आपदा के समय प्रबंधन के तीन मुख्य चरण होते हैं- बचाव, राहत एवं पुनर्वास | पहला चरण बचाव का है जिसमे आपदा से प्रभावित लोगों और जानवरों को सुरक्षित स्थान पर पहुचाने का काम किया जाता है | इसके बाद का चरण राहत का है जहाँ आपदा प्रभावित क्षेत्रों एवं आपदा शेल्टर होम में लोगों को जरुरत की चीजें मुहैया करने का काम किया जाता है | इस चरण में लोगों के लिए खाना-पानी, कपडे, दवाये और अन्य जरुरत की चीजें जुटा कर उन तक पहुचाई जाती है | सबसे अंत का चरण है पुनर्वास जिसमे आपदा से प्रभावित लोगों को फिर से पहले की अवस्था में लाने की कोशिश की जाती है | यह चरण लम्बी प्रक्रिया है | </div>
<div>
<br /></div>
<div>
केरल की आपदा का उदहारण ले तो यहाँ बचाव के कार्य में जिला प्रशासन के साथ कंधे-से -कन्धा मिलाकर NDRF, आर्मी, नेवी, एयर फ़ोर्स, पारा मिलिट्री फ़ोर्स, NGO एवं आम लोगों ने बचाव कार्यों में हिस्सा लिया | केरल में मछुआरों ने जलमग्न क्षेत्रों में फंसे लोगों की जान बचाने में सराहनीय कार्य किया | स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग ने इस बात को सुनिश्चित किया की आपदा के बाद बिमारियों से कम-से-कम लोग प्रभावित हो और हर राहत कैंप में लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो | केरल के समाज ने इस विपदा का बड़ी ही गरिमा के साथ सामना किया | यह इस समाज की अन्तर्निहित मजबूती को दर्शाता है | </div>
<div>
<br /></div>
<div>
शुरूआती बचाव कार्य के बाद के राहत कार्य के चरण में केंद्र एवं अन्य राज्य सरकारों ने एवं नागरिकों, संगठनों ने अपनी तरफ से राहत कार्य में आवश्यक सामग्री पहुचाने में हरसंभव मदद की | कपडे, दवाएं , खाने- पीने की वस्तुएं, अन्य जरुरत सामग्री हर तरफ से पहुची | मीडिया, सोशल मीडिया एवं तकनीक ने जरुरत की चीजें सही जगह पहुचने में बड़ी मदद की |</div>
<div>
<br /></div>
<div>
इसके बाद का पुनर्वास का चरण खासकर बड़ी आपदा के बाद एक लम्बा समय लेता है | केरल की आपदा में भी आधारभूत संरचना, घर, कृषि, रोजगार, पर्यटन - इन सबको पूर्वावस्था में आने में एक लम्बा समय लगेगा | मगर इनके लिए सही दिशा में शुरुआत की जा चुकी है | इस तरह की आपदा यह भी सिखाती है की आपदा की सम्भावना वाले क्षेत्रों में कोई भी काम या आधारभूत संरचना आपदा को ध्यान में रखकर ही बनायीं जानी चाहिए |</div>
<div>
<br /></div>
<div>
भारत में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बीते वर्षों में काफी प्रगति हुई है | मगर, आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता विकसित करने, जान-माल का नुकसान कम-से-कम करने और समाज और प्रशासन की आपदा को रोकने एवं उससे निपटने की क्षमता विकसित करने के क्षेत्र में अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है | आपदा प्रबंध के बारे में सूत्र वाक्य के तौर पर कह सकते है कि- तैयारी ही बचाव है |<br />
<br />
((*कुछ उपयोगी लिनक्स -<br />
https://ndma.gov.in/images/guidelines/NPDM-HINDI.pdf<br />
<br />
https://ndma.gov.in/hi/<br />
<br />
शुभकामनाओं के साथ,<br />
केशवेन्द्र कुमार, आईएएस<br />
<br />
<br />
<br /></div>
</div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-10912097456185181212017-12-08T21:29:00.001+05:302018-10-17T03:19:06.821+05:30सिविल सेवा साक्षात्कार 2017- हिंदी माध्यम से सफलता की बुलंदी छुएं / UPSC CIVIL SERVICE INTERVIEW 2017<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सिविल सेवा 2017 की मुख्य परीक्षा संपन्न हो चुकी है | जिन प्रतिभागियों की परीक्षा अच्छी गई है, वे तो पूरी दम-ख़म से साक्षात्कार की तैयारी में लगे हैं, मगर जिनकी परीक्षा उतनी अच्छी नहीं गयी है, उनसे मैं यही कहना चाहूँगा की फिर से एक ईमानदार कोशिश करे- स्वविश्लेषण कर अपनी तैयारी की कमजोरियों को दूर करे और याद रखे कि- कोशिश करने वालों की हार नहीं होती | अभी से अगले साल की प्राथमिक परीक्षा के साथ-साथ साक्षात्कार की तैयारियों में जुट जाए |<br />
<br />
मुख्य परीक्षा में अपनी सफलता के प्रति आश्वस्त प्रतिभागियों के पास समय वाकई कम है. जल्दी ही साक्षात्कार शुरू हो रहे हैं और इसी थोड़े समय में आपको अपने व्यक्तित्व में धार लगानी है. आपको साक्षात्कार बोर्ड के सामने अपने आपको सम्पूर्णता में सामने रखना है अपनी मानवीय खूबियों-खामियों के साथ. मेरी सलाह यही है की चिंता में अपना सर खुजाने की जगह उपरवाले का शुक्रिया अदा करते हुए आगे की तैयारियों में जुट जाये |<br />
<br />
साथियों, साक्षात्कार की तैयारी के समय सिविल सेवा परीक्षा की नोटिफिकेशन से साक्षात्कार के सम्बन्ध में दिए निर्देश को अपने दिशासूचक की तरह प्रयोग करें | ये निर्देश इस प्रकार हैं -<br />
<br />
अ)उम्मीदवार का साक्षात्कार एक बोर्ड द्वारा होगा जिसके सामने उम्मीदवार का बायोडाटा होगा | उससे सामान्य रूचि की बातों पर प्रश्न पूछे जायेंगे | साक्षात्कार का उद्देश्य यह जानना है की उम्मीदवार लोकसेवा के लिए व्यक्तित्व की दृष्टि से उपयुक्त है या नहीं | यह परीक्षा उम्मीदवार की मानसिक क्षमता को जांचने के अभिप्राय से की जाती है | मोटे तौर पर इस परीक्षा का प्रयोजन न केवल उसके बौध्दिक गुणों को वरन सामाजिक लक्षणों को और सामाजिक घटनाओं में उसकी रूचि का भी मूल्याङ्कन करना है | इसमें उम्मीदवार की मानसिक सतर्कता, आलोचनात्मक ग्रहण शक्ति, स्पष्ट और तर्क संगत प्रतिपादन की शक्ति, संतुलित निर्णय की शक्ति, रूचि की विविधता और गहराई, नेतृत्व और सामाजिक संगठन की योग्यता, बौधिक और नैतिक ईमानदारी की भी जांच की जा सकती है |<br />
आ) साक्षात्कार की प्रणाली क्रॉस-एग्जामिनेशन की नहीं वरन स्वाभाविक वार्तालाप की प्रक्रिया द्वारा उम्मीदवार के मानसिक गुणों का पता लगाने का प्रयत्न किया जाता है | परन्तु, वह वार्तालाप एक विशेष दिशा में एवं एक विशेष प्रयोजन से होता है |<br />
<br />
इ) साक्षात्कार उम्मीदवार के सामान्य या विशेष ज्ञान की परीक्षा के लिए नहीं होता क्यूंकि उनकी जांच लिखित प्रश्न पत्रों में पहले ही हो जाती है | उम्मीदवारों से आशा की जाती है की वो ना केवल अपने शैक्षणिक विशेष विषयों में पारंगत हो बल्कि उन घटनाओं पर भी ध्यान दें जो उनके चारों और अपने राज्य या देश के भीतर और बाहर घट रही हैं, तथा आधुनिक विचारधारा और नई-नई खोजों में भी रूचि लें जो की किसी सुशिक्षित युवा में जिज्ञासा पैदा कर सकती है |"<br />
<div>
<br /></div>
<br />
साक्षात्कार की औपचारिकताओं से मैं इस लेख की शुरुआत करना चाहूँगा |. ये चीजें महत्वपूर्ण है पर बहुत ज्यादा नहीं. साक्षात्कार बोर्ड के लोग आप सिविल सेवा के लिए कितने उपयुक्त है, इसे जांचने-परखने के लिए बैठे हैं. इसलिए आपके अन्दर क्या है, यह उनके लिए ज्यादा मायने रखता है. हालांकि, बाहरी व्यक्तित्व भी गरिमामय हो, इस बात का ध्यान रखना जरुरी है.<br />
<br />
1.औपचारिकताए-- साक्षात्कार के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यताओं के सारे सर्टिफिकेट करीने से रखें | जाति प्रमाणपत्र (अगर आप अनुसूचित जाति/ जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं ), अपने नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाणपत्र (अगर आप वर्तमान में नौकरी कर रहे हैं ) और साक्षात्कार फॉर्म में दिए अन्य निर्दिष्ट प्रमाण पत्र साथ में रखना ना भूलें | आपके साक्षात्कार से पहले आपके सर्टिफिकेट वेरीफाई किये जायेंगे |<br />
<br />
2.वेश-भूषा - आपका पहनावा औपचारिक एवं गरिमापूर्ण होना चाहिए | हाँ, इस बात का ध्यान रखे की आप मॉडलिंग के लिए नहीं जा रहे हैं | मैंने अपने साक्षात्कार के लिए डार्क ब्लू कलर की पैंट और उजले में महीन सोबर डिजाईन वाली शर्ट पहनी थी | टाई का प्रयोग आपकी इच्छा पर है, पर अगर आप इसके साथ आरामदेह है तो टाई का व्यवहार करे | बेल्ट और शू फॉर्मल होनी चाहिए | सबसे महत्त्वपूर्ण बात है की आप अपने साक्षात्कार के दिन के ड्रेस के साथ सहज और विश्वस्त होने चाहिए | साक्षात्कार के पहले ड्रेस को दो-तीन बार पहने | एक वैकल्पिक जोड़ा भी साथ में रखे |<br />
<br />
3.अभिवादन -<br />
हिंदी माध्यम से जो छात्र साक्षात्कार देने जाते हैं, उनको इस बात की सबसे ज्यादा उलझन होती है की अभिवादन में हिंदी का व्यवहार करे या प्रचलित अंग्रेजी जुमलों का | मेरी अपनी राय है की जब आप पूरा साक्षात्कार हिंदी में देने जा रहे हैं तो उसकी शुरुआत अंग्रेजी के साथ करना इस बात को दर्शाता है की आप अपनी भाषा को कमतर मानते है | कमरे में प्रवेश के समय अनुमति भी हिंदी में ही मागे- "क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ श्रीमान ?"( वैसे बहुत बार इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है , साक्षात्कार बोर्ड गेट खुलते ही आपका नाम पुकारते हुए आपको अन्दर आकर बैठने को कह सकता है |) अन्दर जाकर आप अपने लिए निर्दिष्ट कुर्सी के पास जाकर खड़े होकर चेहरे पर मुस्कराहट के साथ भारतीय परम्परा में साक्षात्कार बोर्ड के अध्यक्ष/अध्यक्षा एवं अन्य सदस्यों की तरफ देखते हुए हाथ जोड़ कर नमस्कार करे | सामान्यतः चेयरमैन बीच में और चार अन्य सदस्य (दो उनकी दायीं तरफ और दो बायीं तरफ ) होते हैं | आप अभिवादन करते हुए एक बार चेयरमैन को, एक बार दायीं और के दो सदस्यों को और एक बार बायीं और के दो सदस्यों को देखते हुए नमस्कार करें | सारे सदस्यों को अलग- अलग नमस्कार करने की जरुरत नहीं है | हाँ अगर कोई महिला सदस्य हो तो आप उन्हें अलग से नमस्ते कर सकते हैं |<br />
<br />
<br />
4.बायो-डाटा - आप सबों की तरह मुझे भी ये शंका थी कि आप के सर्टिफिकेट और बायोडाटा साक्षात्कार कक्ष में आपके साथ रखना जरुरी है या नहीं? आपके द्वारा भरे गए विवरण के आधार पर आपका बायोडाटा साक्षात्कारकर्ताओं के पास मौजूद होता है | अतः , आप अपने बायोडाटा और सर्टिफिकेट की फाइल अपने साथ ले तो जरुर जाए पर उसे साक्षात्कार कक्ष के बाहर में चौकीदार के सुपुर्द कर खाली हाथ अन्दर प्रवेश करें |<br />
<br />
<br />
तो, साक्षात्कार के दिन क्या पहनना है, किस तरह के कपड़े आपके व्यक्तित्व की सही झलक देंगे, प्रमाणपत्र, बायोडाटा जैसी आवश्यक औपचारिकताए ३-४ दिनों के अन्दर निपटा ले. इनके बाद आपको अपने साक्षात्कार के केंद्र बिंदु पर ध्यान देना है |<br />
<br />
5. साक्षात्कार की तैयारी<br />
सबसे पहले आपने प्राथमिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के फॉर्म को भरने में जो जानकारियां भरी हैं, उनकी एक कॉपी ले अपनी एक डायरी या नोट बुक में साक्षात्कार के संभावित टॉपिक का चयन करे.<br />
<br />
कुछ संभावित टॉपिक इस प्रकार हैं-<br />
<br />
क). आपकी शैक्षिक पृष्ठभूमि एवम आपका सिविल सेवा में वैकल्पिक विषय - आपने जिस विषय से स्नातक एवं उससे ऊपर का अध्ययन किया है उसकी एक स्तरीय जानकारी होना आपके लिए जरुरी है | वर्तमान में उस विषय से जुड़े मुद्दे जो ख़बरों में हो उसकी भी जानकारी आपके लिए अनिवार्य है | आपके वैकल्पिक विषय पर भी आपकी अच्छी पकड़ होनी चाहिए और उस विषय से संबंधित कोई मुद्दा अगर चर्चा में हो तो आपको उसके बारे में पूरी तरह तैयार रहना चाहिए |<br />
<br />
ख). आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि- आप अपने घर और अपने घर के लोगों खासकर अपने माता-पिता के कार्यक्षेत्र, अपने भाइयों-बहनों के बारे में कोई विशिष्ट बात हो तो उसकी पूरी जानकारी रखे |<br />
<br />
ग). आपका गृह राज्य- उसका इतिहास-भूगोल-राजनीति-कला-संस्कृति और वहां वर्तमान में चर्चा में रही ख़बरें जो राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में रही हो | बहुत बार आप के साक्षात्कार का एक बड़ा हिस्सा आपके राज्य से जुड़े सवालों के ऊपर हो सकता है | आपके राज्य में किसी विभाग में आपको काम करना का मौका मिले तो आपकी क्या प्राथमिकताएँ होंगी, ऐसे सवाल भी पूछे जा सकते हैं | शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, राज्य में चल रही विभिन्न केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाएं के बारे में विस्तार से पूछा जा सकता है |<br />
<br />
घ). आपका गृह जिला- वहां की खास बातें, वहां का प्रशासन, अगर आपको वहां का जिला कलक्टर या पुलिस कप्तान का कार्यभार दिया जाये तो क्या बदलाव लायेंगे|<br />
<br />
ङ). अगर आप कोई नौकरी कर रहे हो तो उस नौकरी के बारे में विस्तृत जानकारी चाहिए | कभी-कभी टेढ़े सवाल जैसे क्या आप अपनी अभी की नौकरी को पसंद नहीं करते , आप इसे क्यों छोड़ना चाहते है -जैसे सवाल पूछे जा सकते हैं जिसके सकारात्मक जवाब आपके पास होने चाहिए |<br />
<br />
च).अगर आप कही दुसरे राज्य में कार्य कर रहे हैं या वहां से आपने पढाई की है तो उस राज्य और जिले के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाना जरुरी है. कभी-कभी आपके गृह राज्य और दुसरे राज्य की तुलना करें जैसे सवाल पूछे जाने पर बहुत ही निष्पक्ष, तार्किक और संतुलित उत्तर दें |<br />
<br />
छ),भारत के इतिहास, भूगोल, वर्तमान, भविष्य, यहाँ की कला-संस्कृति-सभ्यता- धर्म-साहित्य- प्रशासन-राजनीति जैसे मुद्दों पर आपके पास समुचित जानकारी होनी चाहिए |<br />
<br />
ज).अंतर्राष्ट्रीय संबध -खासकर भारत के विदेश संबंधों के बारे में आपकी स्पष्ट राय होनी चाहिए. अभी खासकर बांग्लादेश, म्यांमार ,श्रीलंका, पाकिस्तान, ईरान, उत्तर कोरिया, इजराइल , चीन, अमेरिका, रूस ब्रिटेन जैसे देशों से भारत के संबंध के बारे में समुचित जानकारी जुटाए | चीन और भारत के रिश्तों में डोकलाम विवाद को देखते हुए भारत-चीन सम्बन्ध पर सम्यक रूप से जानकारी रखे | हिन्द महासागर और चीन सागर क्षेत्र में बनते नए शक्ति समीकरणों पर भी आपकी पकड़ होनी चाहिए | वर्तमान सरकार की विदेश नीति और भारतीय मूल के लोगों एवं प्रवासी भारतियों के प्रति नीतिगत बदलावों के बारे में भी पूरी जानकारी रखे | रोहिंग्या मुद्दे के मद्देनजर भारत की शरणार्थियों के प्रति नीति का भी ज्ञान रखे |<br />
<br />
झ).आपने सेवाओं की जो प्राथमिकता दी है, उसके स्पष्ट और तर्कपूर्ण उत्तर आपके पास होने चाहिए. और आपके उत्तरों से ऐसा नही लगना चाहिए की आप किसे सर्विस को कम करके आंक रहे हैं .<br />
उदाहरण के लिए यदि आपकी पहली प्राथमिकता आईएएस और दूसरी आईएफएस है तो उसका कारण आपसे पूछा जा सकता है. अगर आपने कुछ अनोखी प्राथमिकताएँ दी है, तो सवाल पूछे जाने की संभावनाएं ज्यादा होती है. जैसे किसी की प्रथम चॉइस अगर IRS या आईपीएस हो तो 'क्यूँ 'का आपके पास संतोषजनक उत्तर होना चाहिए.<br />
<br />
ञ). राज्यों की प्राथमिकताओं पर भी सवाल हो सकते हैं. ईमानदार जवाब काफी है. हर किसी के अपने गृह राज्य या नजदीक के राज्य या पसंद के राज्य में जाने के अपने -अपने कारण होते है. उसे विश्वस्तपूर्ण रूप में बताना काफी है. हाँ, बोर्ड को ये नही लगना चाहिए की आप समस्याग्रस्त राज्यों से भागने की चेष्टा कर रहे हैं.<br />
<br />
ट). बजट के बारे में मुख्य जानकारियां आपके पास होनी चाहिए.<br />
<br />
ठ). समसामयिक मुद्दों जैसे<br />
- बच्चों के विरुद्ध बढती हिंसा एवं यौन अपराध- विद्यालयों में असुरक्षित होते बच्चे<br />
-वैश्विक स्तर पर फैलते आतंकवाद - ISIS के फैलते साम्राज्य-<br />
-जलवायु परिवर्तन- दिल्ली में फैले वायु प्रदूषण की समस्या और संभावित समाधान<br />
-भ्रष्टाचार-विमुद्रीकरण एवं GST से क्या बदलाव आएगा<br />
- महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते अपराध एवं यौन हिंसा - क्या उपाय चाहिए इनपर रोक लगाने के लिए<br />
- विधायिका-न्यायपालिका-कार्यपालिका में शक्ति संतुलन<br />
-ओखी चक्रवात के सन्दर्भ में आपदा प्रबंधन एवं पूर्वानुमान<br />
जैसे मुद्दों पर आपके पास एक संतुलित और तार्किक राय होनी चाहिए. अति से बचे. हमेशा ध्यान रखे की विचारों में बुद्ध के मध्यम मार्ग का पालन हमेशा श्रेयस्कर होता है. मूल्यों पर अटल रहे पर विचारों में लचीलापन बनाये रखे. आपके खुद के विचार समय के साथ कैसे बदलते हैं , इसका विश्लेषण करने पर आप इस बात की उपयोगिता समझ पाएंगे. अपने विचारों के साथ दूसरों (बोर्ड के सदस्यों ) के विचारों का भी आदर करे और हठधर्मिता से बचे. नित्य समाचारपत्र, सिविल सेवा की दो-तीन स्तरीय पत्रिकाएँ यथा प्रतियोगिता दर्पण , कम्पटीशन सक्सेस रिव्यु, बीबीसी हिंदी, टीवी पर कुछ अच्छी गुणवत्ता के डिबेट को देखते रहे |<br />
<br />
ड). पाठ्येतर गतिविधियों में अगर आपकी सहभागिता रही है तो उसके बारे में पूरा जानकारी जुटा कर रखे.<br />
<br />
ढ). आप सिविल सेवा में क्यूँ आना चाहते हैं , आपको इसमें आने के लिए किससे प्रेरणा मिली -यह काफी प्रचलित सवाल है और इस सवाल का ईमानदार और सटीक उत्तर बोर्ड को आपका मुरीद बना सकता है | घिसे-पिटे उत्तरों से बचे, अपने अनुभव और अपनी विचारों को संजोकर उत्तर दे |<br />
<br />
ण). आपने फॉर्म में जो शौक फरमाए हैं(HOBBY) वो आपको शोक/शॉक न दें, इसका ख्याल रखे. हॉबी से साक्षात्कार में ढेर सारे सवाल आने की आशा रख सकते हैं. इसलिए, हॉबी में आपने जो- जो विषय दिए हैं, उसके बारे में आपके पास पूरी जानकारी होनी चाहिए. जैसे, अगर आपने किताबें पढना अपनी हॉबी में दिया है तो हाल में पढ़ी अच्छी किताबों के बारे में, आपके प्रिय लेखक एवं कवि के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए. आपको साहित्यिक फेस्टिवल एवं पुस्तक मेलों के आयोजन के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए.<br />
<br />
साक्षात्कार में हॉबी एक ऐसा क्षेत्र है जो कभी-कभी आपके सफलता या विफलता का फैसला कर सकता है | मैं अपने वर्ष 2008 में हुए साक्षात्कार का उदाहरण आप लोगों के सामने रखना चाहूँगा | मैंने अपने फॉर्म में सात हॉबी दी थी - डायरी लिखना, कविता लिखना, ध्यान, औरों को प्रेरित करना, समाज सेवा , प्रकृति का आनंद लेना , वाद-विवाद-संवाद में सहभागिता | मेरे साक्षात्कार की शुरुआत हॉबी से हुई और आखिरी प्रश्न भी हॉबी पर ही था | लगभग पचीस मिनट चले साक्षात्कार का एक तिहाई हिस्सा मेरे हॉबी पर केन्द्रित रहा | और, इस साक्षात्कार ने मुझे 300 में 210 अंक दिलाये जो की पहले प्रयत्न के हिसाब से बड़ी उपलब्धि थी |<br />
<br />
<br />
श्रीमती परवीन तल्हा की बोर्ड में चले मेरे इंटरव्यू का पहला सवाल था की आप डायरी में क्या लिखते है ? मैंने नपा-तुला संतुलित जवाब दिया | फिर सवाल आया की किसी एक प्रसिद्ध डायरी का नाम बताये | मैंने हिंदी में एक- दो लेखक के नाम लिए पर उन्होंने मुझे टोकते हुए कहा की विश्व भर में प्रसिद्ध डायरी .. एकाएक मुझे एन्न फ्रैंक की डायरी का ख्याल आया और मैंने जवाब दिया | शायद इसी जवाब की वो अपेक्षा कर रही थी, सो उनके चेहरे पर संतोष की मुस्कान आ गयी | फिर इस डायरी से जुड़े कुछ प्रश्न उन्होंने पूछे-किसने लिखा, कब लिखा, कहाँ लिखा, विषय क्या है ? मैंने इस डायरी को बड़े लगाव से वर्ष 2006 में पढ़ा था और अपनी डायरी में नोट भी लिए थे , सो मैंने इन सारे सवालों के संतुष्टिप्रद जवाब दिए |<br />
<br />
<br />
इसके बाद मैडम मेरी अगली हॉबी की और मुड़ी और मुझसे कहा की आप कविता लिखते है ..अपनी किसी कविता की चार पंक्तियाँ सुनाये |<br />
मैंने दृढ़ता से कहा कि मैं अपनी एक छोटी से कविता पूरी सुनाना चाहूँगा क्यूंकि चार पंक्तियों में मेरी कविता पूरी तरह से आप लोगों के सामने नहीं आ पायेगी | मैडम ने मुस्कराहट के साथ अनुमति दी | फिर मैंने अपनी हिंदी कविता -'मज़बूरी का नाम महात्मा गाँधी' सुनाई | कविता का आनंद आप लोग भी ले-<br />
<br />
<br />
मज़बूरी का नाम महात्मा गाँधी<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
पता नही कब से मज़बूरी का<br />
<br />
नाम महात्मा गाँधी है,<br />
<br />
हर मुश्किल में हर बेबस की<br />
<br />
ढाल महात्मा गाँधी है |<br />
<br />
<br />
<br />
अक्सर इस जुमले को सुनते-<br />
<br />
सुनते मन में आता है -<br />
<br />
गाँधी जी का मज़बूरी से<br />
<br />
ऐसा भी क्या नाता है?<br />
<br />
<br />
<br />
ऑफिस की दीवारों पर<br />
<br />
गाँधी की फोटो टंगी-टंगी,<br />
<br />
बाबुओं का घूस मांगना<br />
<br />
देखा करती घडी- घडी |<br />
<br />
<br />
<br />
चौराहों- मैदानों में<br />
<br />
बापू की प्रतिमा खड़ी- खड़ी,<br />
<br />
नेताओं के झूठे वादे<br />
<br />
सुनती विवश हो घडी-घडी |<br />
<br />
<br />
<br />
गाँधी का चरखा, गाँधी की<br />
<br />
खादी आज अतीत हुई,<br />
<br />
गाँधी के घर में ही देखो<br />
<br />
गोडसे की जीत हुई |<br />
<br />
<br />
<br />
गाँधी जी की हिन्दुस्तानी<br />
<br />
पड़ी आज भी कोने में,<br />
<br />
गाँधी के प्यारे गांवों में<br />
<br />
कमी न आयी रोने में.<br />
<br />
<br />
<br />
नोटों पर छप, छुपकर गाँधी<br />
<br />
सब कुछ देखा करते हैं<br />
<br />
हर कुकर्म का, अपराधों का<br />
<br />
मन में लेखा करते हैं.<br />
<br />
<br />
<br />
गाँधी भारत का बापू था,<br />
<br />
इंडिया में उसका काम नही,<br />
<br />
मज़बूरी के सिवा यहाँ होठों पर<br />
<br />
गाँधी नाम नही.<br />
<br />
<br />
<br />
इतना कुछ गुन-कह-सुन मैंने<br />
<br />
बात गांठ यह बंधी है-<br />
<br />
गाँधी होने की मज़बूरी का ही<br />
<br />
नाम महात्मा गाँधी है.<br />
<br />
<br />
जब मैं कविता सुना रहा था, तब कमरे में पूर्ण शांति थी और सारे बोर्ड मेम्बर बड़ी गंभीरता से इसे सुन रहे थे | जब मैंने कविता ख़त्म की तब मैडम ने मेरी कविता से सन्दर्भ लेते हुए सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार पर सवाल पूछा | सवाल था की आप व्यवस्था के यथार्थ को जानते है, फिर भी आप इस व्यवस्था का हिस्सा क्यूँ बनना चाहते हैं ? मैंने मुस्कान के साथ जवाब दिया- इस व्यवस्था को बदलने के लिए | फिर अगला सवाल था-कैसे?<br />
मैंने विस्तार में उस सवाल का जवाब दिया |<br />
<br />
<br />
इसके बाद कुछ प्रश्न बीरभूम जिला (पश्चिम बंगाल ) के बारे में थे जहाँ मैं रेलवे में बुकिंग क्लर्क की नौकरी कर रहा था | अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर सवाल आये (राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध वैकल्पिक विषय ), भारत का स्वतंत्रता संग्राम और भारत के विकास के मुद्दों पर सवाल पूछे गए | सबसे अंत में फिर हॉबी पर सवाल आया | एक बोर्ड मेम्बर ने पुछा की समाजसेवा आपकी हॉबी में कैसे शामिल है ?<br />
दरअसल मैं बीरभूम जिले में तितली नाम के एक समाजसेवी संगठन से जुदा था जो बाल मजदूर और सेक्स वर्कर के बच्चों की शिक्षा और कल्याण के लिए काम करती है | मैंने उन्हें इस संगठन से अपने जुडाव के बारे में बताया और वे इससे काफी प्रभावित भी हुए | फिर एक बोर्ड मेम्बर ने पुछा की आप समाजसेवा की हॉबी को प्रशासन में आने के बाद कैसे जारी रखेंगे? मैंने जवाब दिया की अगर एक प्रशासक सारे सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का प्रभावी एवं इमानदार निष्पादन सुनिश्चित कर सके तो वह सबसे बड़ी समाजसेवा होगी | इंटरव्यू बोर्ड के सारे सदस्य संतुष्ट और सहमत दिखे |<br />
<br />
मेरा सुझाव है की आप ने अपने फॉर्म में जो हॉबी या पाठ्येतर गतिविधियाँ दी है, उनके बारे में गंभीर हो कर तैयारी करें | आप अपनी हॉबी के बारे में, उस हॉबी से जुड़े अन्य प्रधान व्यक्तियों के बारें में, आपको उस हॉबी से क्या मिलता है जैसे सारे संभावित सवाल और उनके उत्तर तैयार करें | इस बात का ख्याल रखे की जब आप अपनी हॉबी के बारे में बात कर रहें हो तो आपके चेहरे पर ख़ुशी और चमक हो |<br />
<br />
<br />
<br />
त).बहुत सारे परिस्थिति वाले सवाल आपसे पूछे जा सकते हैं जैसे-<br />
--अगर आप किसी नक्सल प्रभावित जिले में पोस्टेड हो तो नक्सलवाद से निपटने के लिए क्या कदम उठाएंगे?<br />
---आपको ऐसे जिले में पोस्टिंग मिली है जहाँ पेयजल की भारी समस्या है, आप उससे कैसे निपटेंगे?<br />
---आपके जिले में भूकंप या चक्रवात या बाढ़ जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आने की चेतावनी मिली है. आप क्या-क्या कदम उठाएंगे?<br />
<br />
थ). साक्षात्कार में कैसा हो आपका सेंस ऑफ़ ह्यूमर -<br />
अपने साक्षात्कार से एक लोट-पोट करने वाला अनुभव भी सम्मुख रखना चाहूँगा | साक्षात्कार में आपको बिल्कुल गंभीर या नीरस बनने की जरुरत नही है | हास्य-विनोद भी आपके व्यक्तित्व का एक अहम् हिस्सा है |<br />
एक बोर्ड मेम्बर ने मुझसे पुछा की क्या आपने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना का नाम सुना है ? मैंने जवाब दिया - जी हाँ , सुना है , और फिर चुप हो गया | मेम्बर आशा कर रहे थे की मैं जवाब में अपने सारे ज्ञान की गंगा एक बार में ही बहा दूंगा , पर इस एक शब्द के जवाब से वो थोड़े हतप्रभ हो गए | फिर उन्होंने इससे जुड़े दो-तीन छोटे सवाल जैसे कब शुरू हुआ, किसने शुरू किया, क्या योजना है पूछा जिसका मैंने नपा -तुला जवाब दिया | अंत में आया एक सवाल- इस योजना की वर्तमान में क्या स्थिति/प्रगति है ? मुझे इस सवाल का जवाब अच्छे से नहीं पता था | हम लोगों ने बहुत बार सड़क या पुल बनते हुए बोर्ड लगा देखा होगा- कार्य प्रगति पर है/ Work in Progress. मैंने सदस्य महोदय को वही जवाब दिया-"सर, कार्य तेजी से प्रगति पर है| " बोर्ड में ठहाका गूँज उठा | कुछ लोग खुल कर तो कुछ हंसी दबाने में लगे थे | वाकई इस जवाब की किसी ने आशा नहीं की होगी , पर यह जवाब मेरे अनुमान में मेरे लिए सकारात्मक ही रहा |<br />
<br />
<br />
साथियों, इन सारे मुख्य विषयों पर पूछे जा सकने वालों सवालों की खुद से सूची बनाये और उनके जवाब तैयार करे. अपने साथियों, परिवार के सदस्यों, शिक्षकों के साथ पूरी गंभीरता से छद्म साक्षात्कार की तैयारी करे. जरुरत लगे तो कोचिंग संस्थाओं के छदम साक्षात्कार बोर्ड की सहायता भी ले सकते हैं. पत्रिकाओं से सफल प्रतिभागियों के साक्षात्कार पढ़े. उनसे आपको साक्षात्कार में पूछे जा सकने वाले प्रश्नों की विविधता का अंदाजा लगेगा. साक्षात्कार पर कुछ स्तरीय बुक भी ले सकते हैं. पत्रिकाओं में कम्पटीशन सक्सेस रिव्यु के साक्षात्कार वाले कॉलम और विश्लेषण से आपको काफी सहायता मिलेगी.<br />
<br />
<br />
साक्षात्कार में नपे- तुले शब्दों में जवाब देना श्रेयस्कर है. जितना पूछा जाये, उतना ही जवाब दे. साक्षात्कार बोर्ड के सभी सदस्यों की और देखते हुए आई कांटेक्ट बनाये रखते हुए जवाब दे.<br />
<br />
चेहरे पर स्वाभाविक सहज मुस्कान बनाये रखे. चेहरे पर चिंता या घबराहट को नहीं झलकने दें. काफी सहजता से साक्षात्कार के सहज प्रवाह में बहते चले.<br />
<br />
जिस सवाल का जवाब न आता हो, ईमानदारी के साथ बोर्ड को बताये कि आपको उस सवाल का जवाब पता नहीं है. और आप उस बारे में जानकारी हासिल करेंगे.<br />
<br />
<br />
आशा करता हूँ कि इस आलेख से सिविल सेवा के साक्षात्कार में हिंदी माध्यम से भाग लेने वाले छात्र लाभान्वित होंगे | शुभकामनाओं के साथ,<br />
<br />
केशवेन्द्र कुमार, आईएएस<br />
<br />
आईएएस 2008 केरल कैडर<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br /></div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-15603942606517708822017-07-09T12:13:00.002+05:302017-07-09T12:13:44.552+05:30 सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के लिए समाज शास्त्र की पुस्तक सूची <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
साथियों, समाजशास्त्र हिंदी माध्यम से सिविल सेवा की तैयारी करने वालों के लिए एक लोकप्रिय वैकल्पिक विषय रहा है | यह विषय उन छात्रों के लिए हैं जो समाज और सामाजिक मुद्दों से गहरा ताल्लुक रखते हैं, समसामयिक सामाजिक मुद्दों में गहरी रूचि रखते हैं, समाज की जटिलताओं को समझकर सामाजिक समस्याओं के समाधान सुझाना चाहते है | यह वैकल्पिक विषय मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन पत्र एवं निबंध पत्र के लिए भी काफी उपयोगी है |<br />
<br />
इग्नू की BA एवं MA की समाजशास्त्र की पुस्तकें इस विषय की तैयारी के लिए एक अच्छा आधार प्रदान करती है | इस विषय की हिंदी माध्यम में उपलब्ध कुछ स्तरीय पुस्तकों की सूची मैं यहाँ पर दे रहा हूँ | यह सूची बस सांकेतिक है और कोई और अच्छी पुस्तक सामने आने पर वो इसमें जोड़ दी जायेगी | एक और बात याद रखे की आपको तैयारी सिविल सेवा के पाठ्यक्रम की करनी है, किताबों की नहीं | एक ही विषय पर कोई किताब आपको पढने में सरल लग सकती है और किसी को जटिल | विषय के बारे में आधारभूत जानकारी के बाद उस विषय की किसी भी किताब को देखकर आप इस बात का निश्चय कर सकते हैं की वह किताब आपकी तैयारी के लिए आवश्यक है या नहीं |<br />
<br />
प्रश्न पत्र १<br />
इग्नू की BA एवं MA की समाजशास्त्र की पुस्तकें<br />
समाजशास्त्र एक परिचय- सत्यपाल रूहेला- डायमंड पब्लिकेशन-<br />
(१,२,३६,७,,८,९,)<br />
समाजशास्त्र परिचय -संपादक- राम गणेश यादव एवं जे पी मिश्र - ओरिएंट ब्लैक स्वान पब्लिकेशन<br />
(१,२,५,८,९,१०)<br />
सामाजिक विचारक- एस एल दोषी, पी सी जैन- रावत पब्लिकेशन- जयपुर, दिल्ली<br />
(मार्क्स, दुर्खीम, वेबर विस्तार से ) पत्र १ ४ क, ख, ग<br />
उच्चतर समाजशास्त्रीय सिद्धांत- शम्भूलाल दोषी मधुसूदन त्रिवेदी- रावत प्रकाशन- जयपुर एवं नयी दिल्ली<br />
(प्रश्न पत्र १- 1, २, ३, ४ आंशिक रूप से )<br />
समाजशास्त्र- अवधारणाएँ एवं सिद्धांत - जे पी सिंह- प्रेन्टिस हॉल ऑफ़ इंडिया, नयी दिल्ली<br />
(१,२, ५, १० )<br />
सामाजिक विचारधारा एवं सामाजिक विचारक- डॉ गणेश पाण्डेय एवं अरुणा पाण्डेय<br />
<br />
<br />
<br />
प्रश्न पत्र २<br />
इग्नू की BA एवं MA की समाजशास्त्र की पुस्तकें<br />
<br />
भारतीय समाज एवं विचार धाराएं - डी आर जाटव -नेशनल पब्लिशिंग हाउस- जयपुर, नई दिल्ली<br />
(प्राचीन, मध्यकालीन, आधुनिक भारत का समाज चिंतन, राजनितिक आंदोलनों में सामाजिक प्रवृतियाँ, समाज चिंतन के समकालीन संप्रदाय,)<br />
<br />
भारतीय समाज संरचना एवं परिवर्तन - सत्यपाल रूहेला- उत्तर प्रदेश हिंदी ग्रन्थ अकादमी<br />
(जनसँख्या, धर्म, जाति प्रथा, जनजातियाँ, सामाजिक वर्ग, विवाह-परिवार- साम्पत्तिक अधिकार, शिक्षा, ग्रामीण और नगर संस्था, शासक और शासित )<br />
<br />
भारतीय सामाजिक संरचना एवं परिवर्तन के एल शर्मा- रावत पब्लिकेशन- जयपुर एवं नयी दिल्ली<br />
(भारतीय समाज, उद्भव, सामाजिक आन्दोलन, जनजाति, ग्रामीण एवं नगरीय समुदाय , परिवार, जाति, नारी, जनसँख्या, सामाजिक परिवर्तन )<br />
<br />
हाशिये की वैचारिकी- संपादक- उमाशंकर चौधुरी- अनामिका प्रकाशन- दिल्ली<br />
(जाति, दलित, जनजाति प्रश्न )<br />
<br />
शुभकामनाओं के साथ,<br />
केशवेन्द्र कुमार आईएएस </div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-23563407557318462832017-05-10T23:24:00.000+05:302017-05-10T23:24:01.858+05:30 सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के लिए दर्शन शास्त्र की पुस्तक सूची <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
दर्शनशास्त्र हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए काफी लोकप्रिय वैकल्पिक विषय रहा है | निबंध पत्र के लिए इसकी प्रासंगिकता और उपयोगिता को देखते हुए इसका वैकल्पिक विषय के रूप में महत्त्व और भी बढ़ गया है | वैसे छात्र जिन्हें दर्शन में और साहित्यिक- सामाजिक समस्याओं के गहन अनुशीलन, चिंतन और समाधान खोजने में आनंद आता है और जिनकी भाषा पर अच्छी पकड़ है, वे निस्संकोच इस विषय का चयन कर सकते हैं| दर्शनशास्त्र के साथ सिविल सेवा की तैयारी के लिए पुस्तक सूचि निम्नलिखित है-<br />
<br />
प्रश्न पत्र १ एवं २<br />
प्राचीन भारतीय धर्म एवं दर्शन- डॉ शिवस्वरूप सहाय- मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन<br />
भारतीय दर्शन- संपादक- डॉ नन्द किशोर देवराज - उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ<br />
भारतीय दर्शन( दो भागों में )- डॉ राधाकृष्णन -(अनुवादक- नंदकिशोर गोभिल)- राजपाल एंड संस प्रकाशन<br />
नीतिशास्त्र के प्रमुख सिद्धांत-डॉ डी आर जाटव- मालिक एंड कंपनी- दिल्ली<br />
पाश्चात्य दर्शन- याकूब मसीह<br />
समकालीन पाश्चात्य दर्शन- बी के लाल<br />
भारतीय संस्कृति- नरेन्द्र मोहन -प्रभात प्रकाशन- नयी दिल्ली<br />
<br />
इग्नू की बी ए एवं एम ए दर्शनशास्त्र की पुस्तकें<br />
<br />
<br />
विस्तृत अध्ययन हेतु- (पुस्तकालय की मदद से )<br />
दर्शन दिग्दर्शन - राहुल सांकृत्यायन- किताबघर प्रकाशन<br />
भारतीय दर्शनशास्त्र का इतिहास - जयदेव वेदालंकार - न्यू भारतीय बुक कारपोरेशन- नयी दिल्ली<br />
(मध्यकालीन आचार्यों का दर्शन - आचार्य शंकर, रामानुज, आचार्य मध्व, बल्लभ और चैतन्य दर्शन )<br />
भारतीय दर्शन का इतिहास (५ खंडो में )- डॉ सुरेन्द्रनाथ गुप्ता- राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी द्वारा अनुदित एवं प्रकाशित<br />
भारतीय दर्शन की मूलगामी समस्याएँ- नारायण शास्त्री द्रविड़- विश्वविद्यालय प्रकाशन, सागर<br />
<br />
वैकल्पिक विषय की तैयारी करते हुए यह बात ध्यान में रखे की आपके सिलेबस तैयार करना है और पूरी समझ के साथ, रट्टा मरकर नहीं | साथ-ही-साथ इस बात का भी ध्यान रखे की ज्ञान अनंत और अथाह है | ज्ञान प्राप्ति के लिए हम जीवन भर पढ़ सकते हैं और पढ़ते रहेंगे | अपना सारा ध्यान अभी चिड़िया की आंख अर्थात सिविल सेवा में अच्छे रैंक के साथ सफलता पाने पर लगाये | किताबों पर नहीं टॉपिक पर अपना ध्यान केन्द्रित करें | जब आप सारे टॉपिक कुछ चुनिन्दा स्तरीय पुस्तकों से तैयार कर लेते हैं तो फिर अन्य स्तरीय पुस्तकों से दुहराते हुए कोई नयी बात मिलने पर उसे नोट कर ले |<br />
शुभकामनाओं के साथ,<br />
केशवेन्द्र कुमार, IAS<br />
<br />
<br /></div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-88409694895219313732017-05-09T21:33:00.003+05:302020-08-06T16:15:23.732+05:30FAQ- सिविल सेवा की तैयारी में लगे साथियों द्वारा बार- बार पूछे जानेवाले सवालों के जवाब <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b><u>प्राथमिक एवं मुख्य परीक्षा से संबंधित -</u></b><br />
<b><u><br /></u></b>
<br />
<b>१.सिविल सेवा की तैयारी के लिए</b> <b>हिंदी में कौन सा समाचार पत्र पढ़े ?</b> <b>क्या हिन्दू समाचारपत्र पढना अनिवार्य है ? </b><br />
<br />
नहीं, सिविल सेवा की अंग्रेजी माध्यम से तैयारी करनेवाले अधिकांश छात्र हिन्दू समाचारपत्र का अध्ययन करते है | यह एक अच्छा समाचारपत्र है जो समसामयिकी एवं निबंध के लिए उपयोगी है | अगर आपकी अंग्रेजी अच्छी है और आप हिन्दू पेपर पढने में कोई दिक्कत नहीं महसूस करते हैं तो इसे पढना अच्छा है | अगर आपको भाषा की दिक्कत आ रही है तो आप किसी भी अच्छे हिंदी समाचारपत्र जैसे हिंदुस्तान, प्रभात खबर, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, जनसत्ता जो की आपके राज्य में उपलब्ध है, को पढ़ सकते हैं | इतना ध्यान रखे की आपको पेपर सिविल सेवा की तैयारी के लिए पढना है| अपना ध्यान देश-विदेश की प्रमुख घटनाओं, सम्पादकीय एवं आलेखों और साक्षात्कार की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण अपने प्रदेश की घटनाओं पर केन्द्रित करें |<br />
<br />
<b>२. समसामयिकी - करंट अफेयर कितने दिनों का पढ़े ?</b><br />
<br />
सामान्यतः प्रारंभिक परीक्षा के सवा वर्ष (उदहारण के लिए मई में यदि प्रारंभिक परीक्षा हो तो पिछले वर्ष की जनवरी तक) पहले तक की समसामयिकी पर ध्यान केन्द्रित करना काफी है |<br />
<br />
<b>३. मैं १० वीं/ १२ वीं कक्षा में हूँ ,सिविल सेवा की तैयारी कैसे करूँ ?</b><br />
<br />
--अपना ध्यान १० वीं / १२ वीं की परीक्षा अच्छे तरह से उत्तीर्ण करने पर लगाये | अपनी लेखन शैली पर ध्यान दे | अच्छी किताबें पढने की आदत डालें | समाचारपत्र के साथ कुछ पत्रिकाएँ जैसे कम्पटीशन सक्सेस रिव्यु , योजना, कुरुक्षेत्र, विज्ञान प्रगति पढना अभी काफी है | स्नातक के द्वितीय या तृतीय वर्ष से गंभीरता से सिविल सेवा की तैयारी आरम्भ करना काफी है |<br />
<br />
<b>4. सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषय में क्या पढ़े और क्या छोड़े?</b><br />
<br />
--सामान्य अध्ययन एवं वैकल्पिक विषय की तैयारी करते हुए यह बात ध्यान में रखे की आपके सिलेबस तैयार करना है और पूरी समझ के साथ, रट्टा मरकर नहीं | साथ-ही-साथ इस बात का भी ध्यान रखे की ज्ञान अनंत और अथाह है | ज्ञान प्राप्ति के लिए हम जीवन भर पढ़ सकते हैं और पढ़ते रहेंगे | अपना सारा ध्यान अभी चिड़िया की आंख अर्थात सिविल सेवा में अच्छे रैंक के साथ सफलता पाने पर लगाये | किताबों पर नहीं टॉपिक पर अपना ध्यान केन्द्रित करें | जब आप सारे टॉपिक कुछ चुनिन्दा स्तरीय पुस्तकों से तैयार कर लेते हैं तो फिर अन्य स्तरीय पुस्तकों से दुहराते हुए कोई नयी बात मिलने पर उसे नोट कर ले |<br />
<br />
<b>5. नोट्स बनाये या नहीं ?</b><br />
<b><br /></b>
-यह आपके पास उपलब्ध समय पर निर्भर करता है | संक्षिप्त एवं सटीक नोट्स बनाये जो आपको दुहराने में मदद करेगा | किसी भी विषय पर एक अच्छी किताब को मुख्य किताब के तौर पर प्रयोग करे और उस विषय पर उस किताब के अलावा कुछ भी अच्छी सामग्री मिले तो नोट्स ले ले |<br />
<br />
<b>६. समसामयिकी के लिए क्या हो रणनीति ?</b><br />
<br />
हिंदी के दो अच्छे समाचार पत्र संक्षेप में पढ़े, सटीक नोट लें | निबंध के लिए कुछ अच्छा मिले तो उसे अलग रख ले | दो सिविल सेवा की पत्रिकाओं (प्रतियोगिता दर्पण/ सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल/ सिविल सर्विसेज टाइम्स/कम्पटीशन सक्सेस रिव्यु इत्यादि) को पढने से लगभग काफी अंश कवर हो जाएगा | योजना एवं कुरुक्षेत्र पढ़े | बीबीसी हिंदी की वेबसाइट देखे और संक्षिप्त नोट्स ले लें | सप्ताह में एक या दो दिन इन्टरनेट से भी प्रमुख राष्ट्रीय/ अंतर राष्ट्रीय महत्त्व की संस्थाओं के वेबसाइट से नोट्स बना ले |<br />
<br />
<b>७. कैसे चुने वैकल्पिक विषय-</b><br />
<br />
---आपने जिस विषय से स्नातक या परास्नातक किया है, उसके पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र UPSC की वेबसाइट पर देखे, अगर संतुष्ट हैं तो उसे ही अपने वैकल्पिक विषय के रूप में रखे |<br />
--अगर नहीं, तो फिर उपलब्ध वैकल्पिक विषयों में से अपनी रुचि के चार-पांच विषयों को छांटे | उनका पाठ्यक्रम एवं पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र UPSC की वेबसाइट पर देखे | उसमे जो आपके अच्छा लगे और सामान्य अध्ययन एवं निबंध के पत्र में भी लाभदायी लगे, उसे वैकल्पिक विषय के रूप में रखे |<br />
--किसी भी विषय को चुनने पर आपके लिए उसके फायदे-नुकसान इस परीक्षा की तैयारी के सम्बन्ध में होंगे | तराजू के दोनों पलड़ों को देखते हुए, संतुलन बनाते हुए दृढ निर्णय ले | एक बार विषय चुनने के बाद उसे बदलना बेवकूफी होगी, इस बात का ध्यान रख अपना समय लेते हुए सही निर्णय ले | प्रशासन में आपके सही निर्णय लेने की क्षमता एक महत्त्वपूर्ण अंग है और सही वैकल्पिक विषय का चयन आपके निर्णय क्षमता का परीक्षण भी है |<br />
<br />
<b>८ क्या निबंध पत्र अंग्रेजी में लिखना है ?</b><br />
<br />
अगर आप सिविल सेवा की परीक्षा हिंदी माध्यम में दे रहे हैं तो आप हिंदी माध्यम में निबंध लिखेंगे |<br />
<br />
<b>९. क्या नौकरी करते हुए आईएएस/आईपीएस/सिविल सेवा की तैयारी हो सकती है ?</b><br />
<br />
बिलकुल, बहुत से लोगों ने नौकरी के साथ इस परीक्षा की तैयारी की है और मैं खुद उनमे से एक हूँ | हाँ, आपको समय का प्रबंधन अच्छे से करना होगा और नौकरी और तैयारी में सम्यक संतुलन साधना होगा | छः से आठ घंटे तक आप तैयारी के लिए निकल सके तो यह संभव है |<br />
<br />
<b>१०. क्या सिर्फ सिविल सेवा की तैयारी करें या उसके साथ किसी और नौकरी की तैयारी करें?</b><br />
<br />
-अगर आपकी आर्थिक पृष्ठभूमि अच्छी है तो आप अपनी उच्चतर शिक्षा को जारी रखते हुए सिविल सेवा की तैयारी करें |<br />
-अगर नहीं तो फिर बैंक/एसएससी/रेलवे/शिक्षक/लेक्चरर/ एवं ऐसी किसी भी अच्छी नौकरी की परीक्षा पर भी ध्यान दे जिसमे आने के बाद भी आप सिविल सेवा की तैयारी कर सके | पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद आप नेट/ JRF परीक्षा का भी विकल्प रख सकते हैं |<br />
<br />
<div style="text-align: justify;">
<b>११. आईएस/आईपीएस/ सिविल सेवा के लिए क्या शैक्षणिक योग्यता चाहिए ?</b></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से स्नातक में पास होना काफी है | स्नातक के अंक या डिवीज़न बाधा नहीं है, स्नातक उत्तीर्ण होना चाहिए |</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">१२. <b>सामान्य अध्ययन की पुस्तक सूची कहाँ से मिलेगी</b> ?</div><div style="text-align: justify;">मैंने अपनी तैयारी के लिए सामान्य अध्ययन के लिए जिन पुस्तकों की सहायता ली थी, उसके बारे में मैंने विस्तार से अपने ब्लॉग पर लिखा है | यह आलेख कई लोगों यहाँ तक की कोचिंग संस्थाओं द्वारा भी काफी उद्धृत किया गया है और मेरे एवं ब्लॉग के सन्दर्भ के साथ या उसके बिना भी सोशल मीडिया में काफी शेयर भी किया गया है | इस सन्दर्भ में सिविल सेवा में हुए बदलावों के मद्देनजर कुछ परिवर्तन अपेक्षित है जिसे मैं कोरोना संकट के बाद नयी पुस्तकों एवं पत्रिकाओं की समीक्षा कर करूँगा | अभी भी यह सूची सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम को समग्रता से कवर करती है | आलेख का लिंक निम्न है -</div><div style="text-align: justify;"><br /></div>
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<b><u>साक्षात्कार से संबंधित</u></b><br />
<br />
<b>१. साक्षात्कार किस भाषा में दे सकते हैं ?</b><br />
<br />
जिस भाषा में आपने सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा दी है, आप उस भाषा में साक्षात्कार दे सकते है | हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से सिविल सेवा मुख्य परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी उसी भाषा का चयन साक्षात्कार के लिए कर सकते हैं |<br />
<br />
<b>२. क्या हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले छात्रों का साक्षात्कार हिंदी में होता है ?</b><br />
<b><br /></b>
--जी हाँ | हाँ, बोर्ड में ऐसे एक या दो मेम्बर हो सकते हैं जिन्हें हिंदी नहीं आती हो, इसलिए अगर आप अंग्रेजी बोल और समझ लेते हैं तो और भी अच्छा है | कोई सदस्य जान बूझकर अंग्रेजी में सवाल कर सकते हैं, आप उसका जवाब हिंदी में बिंदास देने के लिए स्वतंत्र है |<br />
<br />
<br />
<b>३. क्या साक्षात्कार में अंग्रेजी की प्रचलित शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं ?</b><br />
<b><br /></b>
--ऐसे अंग्रेजी के शब्द जो हिंदी की बोलचाल में प्रचलित हैं और जिनका हिंदी में उत्तम विकल्प मौजूद नहीं है, उनके लिए अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग उचित है | उदहारण के लिए SAARC सम्मलेन के लिए आप हिंदी में दक्षेस सम्मेलन शब्द या सार्क सम्मलेन शब्द किसी का भी उपयोग कर सकते हैं क्योंकि दोनों ही हिंदी की शब्दावली में सामान रूप से प्रचलित है |</div><div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br /></div><div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br /></div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-13495405562410240322017-05-04T11:04:00.000+05:302017-05-06T16:06:06.843+05:30 सिविल सेवा परीक्षा के लिए वैकल्पिक विषय(ऑप्शनल पेपर ) का चयन कैसे करे <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
हिंदी माध्यम से सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए वैकल्पिक विषय का चयन एक बड़ी दुविधा के तौर पर होता है | मन में ढेरों सवाल होते हैं- किस विषय से ज्यादा अंक आयेंगे, किस विषय से टॉपर बनते हैं, स्नातक तक पढ़े विषय को वैकल्पिक विषय के तौर पर ले या नहीं इत्यादि |<br />
<br />
सिविल सेवा परीक्षा के लिए वर्तमान में एक वैकल्पिक विषय का चयन करना होता है | इस विकल्पिक विषय के 250 अंक के दो प्रश्न पात्र होते हैं | और इस तरह सिविल सेवा की परीक्षा में वैकल्पिक विषय के कुल ५०० अंक है|<br />
<br />
उपलब्ध विषयों की सूची -<br />
इतिहास <br />
भूगोल<br />
समाजशास्त्र<br />
लोक प्रशासन<br />
नृविज्ञान<br />
राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध<br />
मनोविज्ञान<br />
दर्शन शास्त्र<br />
अर्थशास्त्र<br />
विधि<br />
प्रबंधन<br />
कृषि विज्ञान<br />
पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विज्ञान<br />
हिंदी भाषा एवं साहित्य/ संस्कृत भाषा एवं साहित्य/मैथिलि भाषा एवं साहित्य/उर्दू भाषा एवं साहित्य एवं अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं का साहित्य<br />
<br />
वनस्पति विज्ञान<br />
रसायन विज्ञान<br />
सिविल इंजीनियरिंग<br />
वाणिज्य तथा लेखा विधि<br />
विद्युत इंजीनियरिंग<br />
भू विज्ञान<br />
गणित<br />
यांत्रिक इंजीनियरिंग<br />
चिकित्सा विज्ञान<br />
भौतिकी<br />
सांख्यिकी<br />
प्राणी विज्ञान<br />
<br />
<br />
कैसे चयन करे वैकल्पिक विषय का-<br />
<br />
इन सारे उपलब्ध विषयों को देखते हुए अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि और विषयों में रूचि को ध्यान में रखते हुए इन सारे विषयों में से चयन को २-३ विषयों पर केन्द्रित करें |<br />
*सामान्यतः ऊपर के किसी विषय को आपने स्नातक या परास्नातक स्तर पर हिंदी माध्यम में पढ़ा है और आप उस विषय में रूचि रखते हैं तो उस विषय का चयन सर्वोत्तम है | <br />
*अगर आपने ऊपर के विषयों में किसी को स्नातक या परास्नातक स्तर विषय पर पढ़ा है पर उसमे आपकी रूचि नहीं है तो फिर आप ऊपर के लिस्ट से अपनी रूचि की २-३ विषयों की शोर्ट लिस्ट तैयार करे | इन चयनित विषय के सारे टॉपिक देखे, इनके सिविल सेवा के सिलेबस और क्वेश्चन बैंक को देखे | यह अनुमान लगाये की इस विषय को आप ३-६ महीने में अच्छे से तैयार कर सकते हैं या नहीं |<br />
*अगर आप अपने स्नातक या परास्नातक के विषय को वैकल्पिक विषय के तौर पर नहीं ले रहे हैं तो इस बात का भी ध्यान रखे की वैकल्पिक विषय से आपको सामान्य अध्ययन, निबंध पत्र एवं साक्षात्कार में कितनी मदद मिल रही है |<br />
*सामान्य अध्ययन में काफी सहायता पहुचने वाले विषय हैं-<br />
इतिहास, लोक प्रशासन, राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, समाज शास्त्र, नृविज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र,विधि<br />
*निबंध एवं साक्षात्कार में सहायक वैकल्पिक विषय-<br />
इतिहास, लोक प्रशासन, राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, समाज शास्त्र, नृविज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र,विधि, दर्शन शास्त्र, मनोविज्ञान, प्रबंधन, हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओ का साहित्य<br />
<br />
इस बात का ध्यान रखें की विषय में आपकी रूचि या उस विषय का आपके द्वारा पहले पढ़ा होने काफी महत्तवपूर्ण घटक हैं | इसके बाद ही सामान्य अध्ययन, निबंध या साक्षात्कार में उस वैकल्पिक विषय से होने वाले लाभ के बारे में सोचे | शार्ट लिस्ट किये हुए २-३ विषयों से आपके परीक्षा में मिलने वाले लाभ-हानि की गणना कर अपने लिए उपयुक्त वैकल्पिक विषय का चयन करें | चयन आपका खुद का होना चाहिए, किसी दवाब में आकर नहीं | चयन के लिए पर्याप्त समय ले और एक अच्छा निर्णय ले |<br />
<br />
<br />
शुभकामनाओं के साथ,<br />
केशवेन्द्र कुमार<br />
<br />
<br /></div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-23041657873884781072017-05-01T19:12:00.001+05:302017-05-01T19:12:05.039+05:30सिविल सेवा परीक्षा हेतु लोक प्रशासन के लिए पुस्तक सूची<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
प्रथम प्रश्न पत्र -<br />
१. लोक प्रशासन- संकल्पनाएँ एवं सिद्धांत- रुम्की बासु- जवाहर पब्लिशर्स<br />
लोक प्रशासन- अवस्थी एवं महेश्वरी<br />
२. लोक प्रशासन के नए आयाम- मोहित भट्टाचार्य - जवाहर पब्लिशर्स<br />
३. प्रशासनिक विचारक - नरेन्द्र थोरी - आर बी एस ए पब्लिशर, जयपुर<br />
<br />
<br />
<br />
द्वितीय प्रश्न पत्र<br />
१.भारतीय प्रशासन- श्रीराम महेश्वरी- ओरिएंट लोंग्मेन प्रकाशन<br />
या<br />
भारतीय लोक प्रशासन- डॉ सुरेन्द्र कटारिया - नेशनल पब्लिशिंग हाउस<br />
२. लोक प्रशासन के बदलते आयाम- संपादक- एस एन मिश्र - भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, दिल्ली<br />
<br />
इग्नू की बी ए एवं एम ए की लोक प्रशासन की पुस्तकें </div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-30129574881371976572016-12-11T21:11:00.004+05:302022-12-21T17:43:15.878+05:30आईएएस की तैयारी कहाँ से शुरू करे-कैसे शुरू करे - शुरू से शुरू करें, दृढ संकल्पित होकर शुरू करें <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span face=""arial" , sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b>साथियों, आपमें से बहुत लोगों के सवाल होते हैं की आईएएस की तैयारी कैसे करे, क्या पढ़े, कब तैयारी शुरू करें, वैकल्पिक विषय कैसे चुने इत्यादि । इस पोस्ट में मैं अपने अनुभव के आधार पर इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करूँगा । </b></span><br />
<span face=""arial" , sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b><br /></b></span>
<span face=""arial" , sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b>1. अगर आप आठवीं-बारहवीं कक्षा में हैं-</b></span><br />
<span face=""arial" , sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b>*अगर आपकी रूचि सिविल सेवा की तैयारी की और है तो आप अपने सामान्य अध्ययन और लेखन शैली पर ध्यान दें । आखिर आईएएस की तैयारी में 6-12 कक्षा की विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित की प्रमुख भूमिका है । </b></span><br />
<span face=""arial" , sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b>*हिंदी/अंग्रेजी के एक समाचार पत्र नियमित रूप से पढ़े, अच्छे टीवी न्यूज़ चैनल के कुछ अच्छे प्रोग्राम नियमित देखे और रचनात्मक विचार शक्ति का विकास करे । अपने व्यक्तित्व को ज्ञान से निखरे/सँवारे । </b></span><br />
<span face="arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b> * प्रतियोगिता दर्पण/ सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल, कुरुक्षेत्र, योजना पत्रिका पढना शुरू कर सकते हैं जिससे GS एवं निबंध पत्र की तैयारी में मिलेगी </b></span><br />
<span face="arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b>*फिर UPSC नोटिफिकेशन पढ़े, जिससे इस परीक्षा के पाठ्यक्रम, वैकल्पिक विषयों की सूची , योग्यता और परीक्षा के सारे महत्त्वपूर्ण निर्देश पता चलेगें । </b></span><br />
<span face="arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b><br /></b></span>
<span face="arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b>इस स्तर पर इतना करना काफी है । साथ में अपना नियमित अध्ययन, अगर आप मेडिकल /इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो उसे जारी रखे </b></span><br />
<span face="arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b><br /></b></span>
<span face="arial, sans-serif" style="color: #222222;"><span style="background-color: white; font-size: 12.8px;"><b>2 . अगर आप परास्नातक कर चुके है या कर रहे हैं या स्नातक कर चुके हैं या अंतिम वर्ष में आ चुके हैं ----</b></span></span><br />
आपको गंभीरता से इस परीक्षा की तयारी करनी है ।<b> </b><br />
<span face="arial, sans-serif" style="background-color: white; color: #222222; font-size: 12.8px;"><b><br /></b></span>
<b style="color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">*UPSC के नोटिफिकेशन को पढ़े । पिछले सालों के UPSC के प्रश्नपत्र देखे और फिर NCERT की किताबों को पढना शुरू करो | </b><b style="color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">योजना, कुरुक्षेत्र एवं आहा, जिन्दगी इन तीन पत्रिकाओं से आपको निबंध एवं GS के लिए मदद मिलेगी | फिर ncert की साइंस एवं सोशल साइंस छठीं से बारहवीं की पढ़े | अगर आप उसी विषय को वैकल्पिक विषय के तौर पर ले रहे हैं जो आपका स्नातक या परास्नातक का विषय रहा है तो आप साथ-साथ वैकल्पिक विषय पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं |</b><br />
<b style="color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;"><br /></b>
<b style="color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">*अगर आप वैकल्पिक विषय का चयन नहीं कर पा रहे हैं तो भी आप GS एवं निबंध की तैयारी के साथ अपनी शुरुआत कर सकते है । साथ में अपने वैकल्पिक विषय के अंतिम चयन पर फैसला ले । </b><br />
<b style="color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;"><br /></b>
<b style="color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">3 . क्या आपकी पृष्ठभूमि/ आपकी पढाई/ आपका माध्यम महत्तवपूर्ण है???</b><br />
<b style="color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 12.8px;">आप गांव से आते है या शहर से, आप अंग्रेजी माध्यम में पढ़े हैं या हिंदी एवं भारतीय भाषाओं में, आप प्रसिद्ध कॉलेज में गए हैं या पत्राचार से स्नातक किया है, आप गरीब हैं या अमीर हैं- UPSC को इनमे किसी बात से फर्क नहीं पड़ता । आप में अपने देश-समाज-विश्व की सेवा का जूनून होना चाहिए, आपके पास ज्ञान और आत्मविश्वास की दौलत होनी चाहिए, आपमें सकारात्मकता सोच और प्रश्नों को सुलझाने की दृष्टि होनी चाहिए और होना चाहिए कड़ा परिश्रम करने की क्षमता । बस इतना काफी है । </b><br />
<b><br /></b>
<b>4 . किस माध्यम में तैयारी करे ??</b><br />
<b>आपको वैकल्पिक विषय एवं निबंध पत्र में अपने को सहज रूप में जो माध्यम सही लगे, लिए सही है । UPSC की परीक्षा में आप हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में दे सकते हैं और बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं । हिंदी माध्यम से सभी वैकल्पिक विषयों में किताबे उपलब्ध है । </b><br />
<b><br /></b>
<span face="arial, sans-serif" style="color: #222222;"><span style="background-color: white; font-size: 12.8px;"><b>5 . नोट कैसे बनाये --</b></span></span><br />
<b>सिलेबस के हिसाब से जिस टॉपिक को आप पुस्तक से पूरी तरह से नही तैयार कर पा रहे हैं, उसके लिए सटीक, संक्षिप्त नोट बनाये । </b><br />
<b><br /></b>
<span face="arial, sans-serif" style="color: #222222;"><span style="background-color: white; font-size: 12.8px;"><b>6 . नौकरी के साथ IAS / IPS की तैयारी </b></span></span><br />
<span face="arial, sans-serif" style="color: #222222;"><span style="background-color: white; font-size: 12.8px;"><b>सामान्य अध्ययन के लिए समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं को ऑफिस में अगर काम करने के बाद खाली समय मिले तो उसमे तैयार करे ।अगर ऑफिस में लाइब्रेरी हो तो उसका उपयोग करे । वैकल्पिक विषय के लिए लगभग दो-तीन घंटे डेली एवं सामान्य अध्ययन से काम तीन घंटे का समय निकलने की कोशिश करे । सटीक तैयारी करे - क्या पढ़े, क्या छोड़े, इसमें संतुलन रखे । </b></span></span><br />
<span face="arial, sans-serif" style="color: #222222;"><span style="background-color: white; font-size: 12.8px;"><b><br /></b></span></span>
<span face="arial, sans-serif" style="color: #222222;"><span style="background-color: white; font-size: 12.8px;"><b>आशा है इस आलेख से इस परीक्षा के नवागंतुकों को मदद मिलेगी । शुभकामनाओं के साथ,</b></span></span><br />
<span face="arial, sans-serif" style="color: #222222;"><span style="background-color: white; font-size: 12.8px;"><b><br /></b></span></span>
<span face="arial, sans-serif" style="color: #222222;"><span style="background-color: white; font-size: 12.8px;"><b>केशवेंद्र कुमार आईएएस </b></span></span><br />
<br /></div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com26tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-19199353360910262522016-06-15T12:59:00.000+05:302016-12-11T21:58:22.252+05:30UPSC CIVIL SERVICE EXAMINATION 2016 NOTIFICATION<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
UPSC CIVIL SERVICE EXAMINATION 2016 NOTIFICATION(HINDI)<br />
<a href="http://www.upsc.gov.in/hi/examinations/Civil%20Services%20(Preliminary)%20Examination,%202016">http://www.upsc.gov.in/hi/examinations/Civil%20Services%20(Preliminary)%20Examination,%202016</a><br />
<br />
UPSC CIVIL SERVICE EXAMINATION 2016 Notification (English)<br />
<a href="http://www.upsc.gov.in/examinations/Civil%20Services%20%28Preliminary%29%20Examination%2C%202016">http://www.upsc.gov.in/examinations/Civil%20Services%20%28Preliminary%29%20Examination%2C%202016</a><br />
<br />
साथियों, अपने ईमेल और ब्लॉग पर मुझे आप कई साथियों के मेल मिलते हैं जिसमे सिविल सेवा के बारे में, इसके पाठ्यक्रम, इसमें बैठने के लिए योग्यता, उम्र, कौन से विषय उपलब्ध हैं जैसे प्रश्न होते हैं. सिविल सेवा के बारे में सारी शुरूआती जानकारियों के लिए आपके सबसे काम की प्रमाणिक चीज यूपीएससी की वेबसाइट पर उपलब्ध इसकी नोटिस है जिसमे उस वर्ष परीक्षा के प्रारूप, सिलेबस और योग्यता जैसी सारी जानकारी उपलब्ध होती है. आप लोगों की सुविधा के लिए मैं इसका लिंक इस ब्लॉग के सबसे ऊपर में दे रहा हूँ.<br />
<br />
वैसे आप <a href="http://www.upsc.gov.in/">http://www.upsc.gov.in/</a> में जाकर एग्जामिनेशन के लिंक में जाकर भी नोटिफिकेशन में Current/Archival लिंक से सिविल सर्विस एग्जाम 2016 की नोटिस पीडीऍफ़ में देख सकते हैं.<br />
<br />
आशा करता हूँ की ये लिंक इस परीक्षा की शुरुआत कर रहे दोस्तों के लिए लाभप्रद होगा. विशेषकर ग्यारहवीं -बारहवीं कक्षा के छात्रों, और डिग्री कोर्स कर रहे छात्रों के लिए जो सिविल सेवा की तयारी करना चाहते हैं, या इसके बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं, उनके लिए यह लिंक काफी मददगार होगा.<br />
<br />
शुभकामनाओं के साथ,<br />
<br />
केशवेन्द्र कुमार, आईएस<br />
जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, वायनाड जिला<br />
केरल</div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com18tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-79299565039888324082015-10-24T18:12:00.000+05:302015-10-24T18:12:18.737+05:30CIVIL SERVICES MAINS EXAM General Studies- IV: Ethics, Integrity, and Aptitude, part 5<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b>4. EFFICIENCY</b><br />
<b><br /></b>
<b>Efficiency is a very important criterion for civil servant. Ultimate aim of Civil service is to deliver Public goods and services in a timely and efficient manner. Public supports officers who delivers, who provide solution of difficult problems, who creates an atmosphere of peace and development. For efficiency in administration, we require team building, proper planning and co-ordination, focussed attitude,innovation, getting to the root of problem and to provide solution for it. </b><br />
<br />
<br />
<i><u>Friends, I am sharing with you summary of report prepared by DOPT and UNDP on Civil Service Competency Dictionary with my observation. You can read this report on link given below-</u></i><br />
<a href="http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf">http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf</a><br />
<b><br /></b>
<b><br /></b>
<b>4.1 Result Orientation</b><br />
<b>High Drive for achieving targets and competing against a standard of excellence.</b><br />
<br />
• Works towards meeting timelines and expresses a desire to do better<br />
• Is mindful of waste, inefficiency and red-tapism while discharging duties<br />
• Consistently ensures on-time delivery of quality work<br />
• Monitors efficiency of work practices and modifies them to provide better service<br />
• Works to achieve tasks better, faster, and more efficiently; and looks to improve quality,<br />
community satisfaction, and morale, without setting any specific goal<br />
• Motivates, encourages others to set higher benchmarks and strive for superior performance<br />
• Continually looks to adapt leading practices from other Departments/organisations to<br />
improve performance<br />
• Recognises and rewards innovation, setting higher benchmarks to create a culture of high<br />
achievement<br />
• Encourages and rewards continuous review and improvement of work processes<br />
• Inspires individuals to consistently exceed performance targets<br />
<br />
<b>4.2 Conceptual Thinking</b><br />
<b>Understanding a situation or environment by putting the pieces together and identifying</b><br />
<b>patterns that may not be obviously related. Connecting the dots while resisting stereotyping</b><br />
<br />
• Able to derive conscious rationale or its absence from recurring situations or events<br />
• Creates own hypothesis to current situation or problem<br />
• Makes complex ideas or situations clear, simple, and understandable<br />
• Breaks-down a complex issue into a useful model or illustration<br />
• Assembles ideas, issues, and observations into a clear and useful explanation<br />
• Willing to experiment without being constrained by bias, stereotypes and traditional views<br />
• Proposes alternative, radical hypotheses and tests them/keeps them in play<br />
• Redefines the understanding of stakeholder and community needs<br />
<br />
<b>4.3 Initiative and Drive</b><br />
<b>Contributing more than what is expected in the job, refusing to give up when faced with</b><br />
<b>challenges, and finding or creating new opportunities</b><br />
<br />
• Anticipates situations up to a year in advance, in order to plan action and build in<br />
contingencies<br />
• Creates an environment where individuals are willing and able to take initiative without<br />
fearing consequences of failure<br />
<br />
<b>4.4 Seeking Information</b><br />
<b>An underlying curiosity to know more about things, people, or issues. This includes ‘digging’</b><br />
<b>for exact information and keeping up-to-date with relevant knowledge</b><br />
<br />
• Studies best practices of other states, sectors, regions organisations etc<br />
• Conducts field visits (if needed) to gain a comprehensive understanding of situation<br />
• Identifies individuals or develops trusted sources to conduct regular information gathering<br />
• Validates the veracity of informal information through other means and resources<br />
<br />
<b>4.5 Planning and Coordination</b><br />
<b>Ability to plan, organise and monitor work with effective utilisation of resources such as time,</b><br />
<b>money, and people</b><br />
<br />
• Demonstrates good time management skills to meet short- and medium-term objectives<br />
• Plans own work schedule and monitors progress against it optimally<br />
• Uses available resources optimally to meet work objective<br />
• Identifies and tries to solve bottlenecks in own area of work<br />
• Monitors progress periodically and revises work plans as required<br />
• Keeps oneself up-to-date and makes necessary adjustments to timelines, work plan, and<br />
resource allocation as necessary<br />
<br />
<b>4.6 Desire for Knowledge</b><br />
<b>Keeps up-to-date with relevant knowledge and technology, shares latest developments with</b><br />
<b>others, and advocates the application of acquired knowledge.</b><br />
<br />
• Keeps own policy and procedure binders (circulars, memorandums, OMs), working papers,<br />
and ensures that files are up-to-date<br />
• Proactively reads relevant literature to enhance knowledge of relevant practices such as policy documents, external reports, or professional and Government journals<br />
• Encourages and facilitates the acquisition of knowledge in others<br />
• Suggests strategies to develop Departments’/Civil Services’ overall knowledge base<br />
<br />
<br />
<b>4.7 Innovative Thinking</b><br />
<b>Open to change, approaches issues differently, offers alternate/out of the box solutions and</b><br />
<b>strives for efficiency by working smartly.</b><br />
<br />
• Seeks improvement in public service delivery through multiple methods such as technology,<br />
efficient work practices etc<br />
• Proactively engages with stakeholders for continuous improvement in service delivery<br />
• Identifies bottlenecks and warning signs and initiates preventive action<br />
• Prepared to meet the challenges of difficult change and encourages others in doing the<br />
same<br />
• Challenges the status quo and looks for unconventional solutions<br />
• Encourages ideas, improvements and measured risk-taking to improve services<br />
• Identifies & implements changes to transform flexibility, responsiveness, and quality of<br />
service<br />
• Creates a culture of innovation, flexibility and responsiveness, mobilising the Department<br />
to respond swiftly to changing priorities<br />
<br />
<b>4.8 Problem Solving</b><br />
<b>Understanding a situation by breaking it into smaller parts, organising information</b><br />
<b>systematically, and setting priorities.</b><br />
<br />
• Able to diagnose multiple cause and effect relationships in a problem (ability to see several<br />
potential causes of an event or several events)<br />
• Develops potential solutions and identifies risks involved<br />
• Ability to see the holistic picture<br />
• Creates solutions that address not only immediate issues (quick fixes) but also takes steps<br />
for medium to long-term impact of the solutions<br />
<br />
<b>4.9 Developing Others</b><br />
<b>Genuinely believes in others’ capabilities to develop and takes personal responsibility for</b><br />
<b>their development. Creates a positive environment for learning and provides developmental</b><br />
<b>opportunities for individuals and teams.</b><br />
<br />
• Encourages team members to develop learning and career plans and follows up to guide<br />
their development and measure progress<br />
• Takes risks on others to enable them to grow, by delegating responsibility and decisionmaking<br />
• Provides mentoring support and direction to attain the team members’ learning needs for<br />
the long-term development<br />
• Builds capacity-development strategies to support career development for all employees<br />
<br />
<b>4.10 Self Awareness and Self Control</b><br />
<b>Identifies one’s own emotional triggers and controls one’s emotional responses. Maintains</b><br />
<b>a sense of professionalism and emotional restraint when provoked, faced with hostility</b><br />
<b>or working under increased stress. It includes resilience and stamina despite prolonged</b><br />
<b>adversities.</b><br />
<br />
• Remains calm in stressful situations and listens to others’ point of view<br />
• Has an honest understanding of own weaknesses and strengths<br />
• Uses stress management techniques to deal with stress and control responses<br />
• Responds constructively and professionally to extreme challenges, provocation and/or<br />
professional disappointments<br />
• Continues providing effective leadership in situations of stress or adversity<br />
• Able to maintain focus and stamina for self and others in prolonged adversity<br />
• Nurtures a culture to identify and dissolve stressors by better planning and analysing the<br />
past instances<br />
<br />
<b>4.11 Communication Skills</b><br />
<b>Articulates information to others in language that is clear, concise, and easy to understand.</b><br />
<b>It also includes the ability to listen and understand unspoken feelings and concerns of</b><br />
<b>others.</b><br />
<br />
• Conveys information, opinions and arguments fluently and confidently in a manner that<br />
clearly explains the benefits of one’s proposition on different people in the society<br />
• Adapts communication style to suit the situation<br />
• Communicates complex issues clearly and credibly, to widely varied audiences<br />
• Uses different forums, media vehicles, tailors messages accordingly to achieve optimum<br />
results<br />
<br />
<b>4.12 Team-Working</b><br />
<b>Working together as a unit for the common goal. Building teams through mutual trust,</b><br />
<b>respect and cooperation</b><br />
<br />
• Willingly complies with the team decisions, is a good team player, does his or her share of<br />
the work<br />
• Willingly gives support to co-workers and works collaboratively rather than competitively<br />
• Shares all relevant information with the team members, provides ideas, inputs and<br />
suggestions<br />
• Solicits ideas and opinions to help form specific decisions or plans<br />
• Displays willingness to learn from others, including subordinates and peers<br />
• Genuinely values others’ expertise<br />
• Incorporates others’ suggestions into planning and decision making<br />
*Encourage others<br />
• Works towards building positive team environment and addresses descriptive behaviour<br />
such as threats, insults, stereotyping or exaggerations<br />
<br />
I hope that this blog post will help you in General Studies 4th paper and I hope that many of you will achieve success to provide efficient, effective, accountable, responsive and transparent governance as per vision of DoPT(GOI).<br />
<br />
I sincerely acknowledge DOPT and UNDP for this Report. I hope that our Civil Service Aspirants will get full benefit of this report.<br />
<i><u>You can read full report on link given below-</u></i><br />
<a href="http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf">http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf</a><br />
<br />
Best of luck,<br />
Keshvendra Kuamar, IAS<br />
District Collector, Wayand, Kerala<br />
<div>
<br /></div>
</div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-30728760064026002502015-10-24T18:11:00.001+05:302015-10-24T18:11:57.779+05:30CIVIL SERVICES MAINS EXAM General Studies- IV: Ethics, Integrity, and Aptitude, part 4<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b>EQUITY</b><br />
<b>For a Civil Servant, equity is a very important concept. It is a constitution value. Summary of</b> Chapter on Equity from '<b>Civil Services Competency Dictionary'( GoI-UNDP Project: Strengthening Human Resource and Management of Civil Service)</b> is being produced here for the benefit of our civil service aspirants.<br />
<i><u><br /></u></i>
<i><u>Friends, I am sharing with you summary of this report with my observation. You can read this report on link given below-</u></i><br />
<a href="http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf">http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf</a><br />
<br />
<b>3.1 Consultation and Consensus Building</b><br />
<b>Ability to identify the stakeholders and influencers, seek their views and concerns through</b><br />
<b>formal and informal channels. Build consensus through dialogue, persuasion, reconciliation</b><br />
<b>of diverse views/interests and trusting relationships.</b><br />
<b><br /></b>
<b>*</b>Confidently presents views in a clear, concise and constructive manner<br />
*Develops links with the experts and relevant information sources, proposes good solutions<br />
to benefit the public<br />
*Proactively Looks for Opportunities to Promote Convergence<br />
*Helps to Align Diverse Interests to a Common Goal<br />
*Promotes consensus building and Convergence<br />
<br />
<b>3.2 Decision Making</b><br />
<b>Makes timely decisions that take into account relevant facts, tasks, goals, constraints, risks</b><br />
<b>and conflicting points of view.</b><br />
<br />
• Makes timely decisions, based on applicable rules or guidelines<br />
• Clearly explains (verbally and in writing) the rationale behind each decision<br />
• Maintains clear communication and transparency on the reasons for the decision taken<br />
• Identifies relevant and credible information sources and collects new data, when necessary,<br />
from internal and external sources<br />
• Recognises scope of own authority for decision making and escalates to the appropriate<br />
level if necessary<br />
• Empowers team members to make decisions<br />
• Demonstrates accountability and rises above bias when making decisions<br />
• Demonstrates decisiveness when under pressure or faced with complex or sensitive<br />
situation aligning with policy trend in that field.<br />
• Analyses the impact of past decisions made and incorporates lessons learnt in future<br />
decision making process<br />
*Makes Decisions in Complex Situations<br />
• Foresees impact of decisions on the society by conducting social cost-benefit analysis<br />
• Foresees the unintended impact(s) of decisions and takes actions to overcome them<br />
• Interprets political and national pressures to develop strategies that positively impact the<br />
public good, especially for the benefit of the marginalised and disadvantaged<br />
• Gives unbiased advice to Ministers based on the basis of robust analysis, and not on the<br />
basis of what will be welcomed<br />
• <b>Makes decisions for the good of the society (even if it leads to loss of personal popularity)</b><br />
<b>and defends them at the highest level when required</b><br />
<br />
<b>3.3 Empathy</b><br />
<b>Empathy is about being able to accurately hear out and understand the thoughts, feelings</b><br />
<b>and concerns of others, even when these are not made explicit.</b><br />
<br />
• Demonstrates active listening skills (such as asking probing questions, not interrupting)<br />
• Displays openness to diversity of opinion and adapts behaviour to be helpful and<br />
considerate<br />
• Is sensitive to underlying problems, and why people act or behave the way they do<br />
• Demonstrates empathy by correctly understanding reactions or emotions of others<br />
• Creates a culture of mutual trust and respect<br />
• Encourages others to read deeper into others’ emotions by providing practical tips<br />
• Creates the systems promoting empathy<br />
<br />
<b>3.4 Delegation</b><br />
<b>Delegates responsibility with the appropriate level of autonomy so that others are free to</b><br />
<b>innovate and take the lead.</b><br />
<br />
*Provides Personal Guidance and Direction<br />
• Expresses confidence in the ability of the team members to get the work done<br />
• Delegates full authority and responsibility to team members to provide solutions for the<br />
Government and community on agreed policies<br />
• Creates a culture of trust and empowerment amongst team members<br />
<br />
I sincerely acknowledge DOPT and UNDP for this Report. I hope that our Civil Service Aspirants will get full benefit of this report.<br />
<i><u>You can read full report on link given below-</u></i><br />
<a href="http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf">http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf</a><br />
<br />
Best of luck,<br />
Keshvendra Kuamar, IAS<br />
District Collector, Wayand, Kerala<br />
<div>
<br /></div>
</div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-21196299620057962482015-10-24T18:11:00.000+05:302015-10-24T18:11:28.416+05:30CIVIL SERVICES MAINS EXAM General Studies- IV: Ethics, Integrity, and Aptitude, part 3<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b>Friends, this is the most important chapter from 'Civil Services </b><b>Competency </b><b>Dictionary' GoI-UNDP Project: </b><b>Strengthening Human Resource and </b><b>Management of Civil Service. This chapter will help and guide you on so many complicated case studies. Summary of this chapter and my remarks are given below to help lots of civil service aspirants with expectation that when they come into service, they should uphold these expectations.</b><br />
<b><br /></b>
<i><u>Friends, I am sharing with you summary of this report with my observation. You can read this report on link given below-</u></i><br />
<a href="http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf">http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf</a><br />
<b><br /></b>
<b>ETHICS</b><br />
<b><br /></b>
<b>2.1 Integrity</b><br />
<b>Consistently behaves in an open, fair, and transparent manner; honours one’s commitments;</b><br />
<b>and works to uphold the Public Service Values. Integrity can be summarised as to work without fear or favour for Public.</b><br />
<br />
it is expected from a civil servant that He/She <b>Acts Ethically</b>. That means-<br />
• Is open and honest in one’s dealings with others<br />
• Honours commitments made to others<br />
• Acts in ways to avoid conflict of interest - perceived or real – for example -by disclosing<br />
potential issues on time<br />
• Honest and open in all communications<br />
• Gives frank and honest opinion when sought<br />
• Follows the rules and regulations and is guided by Public Service values<br />
<br />
• Does not share information loosely with others<br />
<br />
<b>Models the Values of the Civil Services</b><br />
• Is guided by Public Interest in conflicting situations.<br />
• Encourages others to consistently follow Public Service values<br />
• Is trustworthy in all circumstances<br />
• Treats people impartially, regardless of political, social, demographic, geographic,<br />
<br />
circumstances or bias<br />
<br />
<b>Acts on Values even when it is not easy to do so</b><br />
• Enforces law, public service values and rules of conduct even in difficult situations<br />
• Has the courage and conviction to make and stand by the right decisions, even at significant<br />
personal cost<br />
• Provides honest and frank advice to uphold public interest<br />
<br />
<b>Is Seen Unflinching on Public ServiceValues</b><br />
• Ensures full disclosure, by sharing the political implications of the decisions being made<br />
• Challenges powerful and influential people, and holds them accountable to make the right<br />
decisions<br />
• Stands firm when dealing with unreasonable requests and demands<br />
<br />
<b>Is a Role Model</b><br />
• Leads by example by maintaining high standards of professionalism and impartiality<br />
• Takes accountability for own actions and creates a cultures for others also to take<br />
accountability for their own actions<br />
• Creates a culture that encourages open, honest, and ethical behaviour<br />
• Holds people accountable to their actions and rewards those who demonstrate integrity<br />
• Acts as a role model for courageous leadership by adopting a principled stance on critical issues<br />
<br />
<b>2.2 Self-Confidence</b><br />
<b>Belief in own capability to accomplish a task and being able to express confidence in dealing</b><br />
<b>with challenging circumstances, without being arrogant or boastful.</b><br />
<br />
• Makes job-related decisions on his or her own, keeping in mind civil services’ values<br />
• Able to say ‘No’ to all backed by a strong reason<br />
• Acts confidently when the outcome benefits the public good, even when peers or partners<br />
disagree<br />
• Explicitly demonstrates confidence in own judgment<br />
• Accepts responsibility for the consequences<br />
• Able to articulate own point of view confidently and clearly even when in disagreement with<br />
others<br />
• Expresses own point of view clearly, confidently and politely when in disagreement with<br />
senior officers, stakeholders, or others in power<br />
• Acts in the favour of larger public good without being afraid of consequences<br />
• Willingly takes on extremely challenging (that is, personally risky) tasks<br />
• Challenges the status quo and is not afraid to take action, as long as the outcome is for the<br />
betterment of the community<br />
• Remains positive even under stressful conditions<br />
• Explores multiple ways to overcome the challenge at hand<br />
<br />
<b>2.3 Attention to Detail</b><br />
<b>Having an underlying drive to being thorough and meticulous and to comply with procedures,</b><br />
<b>rules, guidelines, and standards. Digs deeper and strives to reduce uncertainties and</b><br />
<b>errors.</b><br />
<br />
*Is knowledgeable of the policies and standards of his/her own department and adheres to<br />
them while working<br />
• Plans own work thoroughly and meticulously by using planning tools such as work plans,<br />
checklists, etc and supports the introduction of better ways of working<br />
• Ensures that breaches of regulatory requirements are treated with appropriate procedures<br />
• Builds systemic checks and balances and is proactive and quick in resolving grievances<br />
and issues<br />
*Identifies loopholes and takes corrective measures to ensure unnecessary risks are<br />
avoided<br />
<br />
2.4 Taking Accountability<br />
Takes ownership for outcomes (successes or failures) while addressing performance issues<br />
fairly and promptly.<br />
<br />
• Takes personal ownership for the quality of own work and keeps stakeholder informed<br />
about the progress<br />
• Remains focussed on delivery within specified timeframe<br />
<br />
I sincerely acknowledge DOPT and UNDP for this Report. I hope that our Civil Service Aspirants will get full benefit of this report.<br />
<i><u>You can read full report on link given below-</u></i><br />
<a href="http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf">http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf</a><br />
<br />
Best of luck,<br />
Keshvendra Kuamar, IAS<br />
District Collector, Wayand, Kerala<br />
<br /></div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-8224344966976410812015-10-24T18:10:00.000+05:302015-10-24T18:10:03.797+05:30CIVIL SERVICES MAINS EXAM General Studies- IV: Ethics, Integrity, and Aptitude, part 2<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
This is an important chapter from '<b>Civil Services Competency Dictionary' GoI-UNDP Project: Strengthening Human Resource and Management of Civil Service.</b> This chapter will give you insight about what is expected from civil servant for our society and country. Summary of this chapter with my remark is given below for the benifit of civil service aspirants.<br />
<i><u><br /></u></i>
<i><u>You can read full report on link given below-</u></i><br />
<a href="http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf">http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf</a><br />
<b><br /></b>
<b>ETHOS of Civil Service/Public Service</b><br />
<b><br /></b>
<b>1.1People First:-</b> <b>Passion for serving people with special care for the marginalised and disadvantaged. Being approachable, welcoming, caring and rising above bias while interacting with people. </b><b>Understands the needs of the people and constantly strives to improve the services</b><br />
<br />
it is expected from civil servants to-<br />
*Understands the needs of the marginalised and disadvantaged, along with the needs of the<br />
wider public<br />
• Strives to respond quickly to meet their needs in a respectful, helpful and responsive manner<br />
• Reports issues that affect service delivery, where necessary<br />
• Addresses all the issues of the citizens in an unbiased manner<br />
• Ensures that levels of service are maintained – highlights risks or concerns in order to meet<br />
community requirements<br />
• Understanding the value of an affirmative action towards the marginalised and disadvantaged<br />
*Is accessible to all citizens and seeks their feedback to develop a clear understanding of their<br />
needs and outcomes<br />
• Establishes mechanisms to address feedback from the community about the service provided<br />
Is a role model of positive community service behaviours<br />
• Promotes a culture focussed on serving and meeting the needs of the citizens<br />
Constantly improves service by managing risks and ensuring service delivery within<br />
defined outcomes<br />
*Incorporates elements of affirmative action into planning and strategy formulation<br />
<br />
<b>1.2) Strategic Thinking</b><br />
<b>Ability to understand dynamic internal and external environment and its impact.</b><br />
<b>Responds to the opportunities and challenges for the betterment of society.</b><br />
<b>expectations-</b><br />
*Identifies bottleneck in existing systems and suggests steps to overcome them<br />
*Anticipates the long-term impact of national and international developments in one’s area,<br />
including economic, political, environmental, social, and technological<br />
<b><br /></b>
<b>1.3) Organisational Awareness</b><br />
<b>Understanding of the organisation’s mandate, structure, policies, processes, norms</b><br />
<b>and its interface with other organisations. It also includes an understanding of the</b><br />
<b>organisation’s informal structures, power dynamics and constraints.</b><br />
expectations-<br />
-Demonstrates an in-depth understanding of the socio-political and economic context and<br />
its implications<br />
-Operates successfully in a variety of social, political, and cultural environments<br />
<br />
<b>1.4) Commitment to the organisation</b><br />
<b>Aligns behaviours and interests with the needs and goals of the organisations</b>.<br />
Expectations-<br />
*Understands Civil Services values and acts accordingly<br />
*Expresses pride, pleasure about being part of this organisation<br />
• Promotes and/or defends the organisation’s credibility and visibility with outsiders<br />
• Bargains and create goodwill for the organisation<br />
• Pursues work with passion and dedication<br />
*Strives to deliver at high standards to external and internal stakeholders<br />
*<b>Stands by decisions that benefit the larger organisation even if they are unpopular or</b><br />
<b>undercut the unit’s short-term good</b><br />
• <b>Acts as per the Civil Services Values even under trying circumstances</b><br />
*Acts as a role model<br />
• Supports colleagues in making difficult decisions<br />
• Is able to elicit commitment to the cause of the organisation from others (within and across<br />
own organisation)<br />
• Is able to make difficult decisions and stands by such decisions made by colleagues for the<br />
larger benefit of the organisation<br />
<br />
1.5) <b>Leading Others</b>- <b>Ability to engage, energise, and enable the team to excel</b>.<br />
*Openly and proactively shares information<br />
• Explains the reasons for a decision taken<br />
• Makes sure the team has all the necessary information<br />
• Regularly updates team regarding changes and decisions made on related work<br />
*Formulates clear objectives for team members to perform<br />
• Welcomes and takes into account positive as well as negative feedback<br />
*Inspires people in rising to the challenge of meeting the goals of Civil Services<br />
<br />
I hope that this article will be helpful for you for GS 4th paper. I sincerly acknowledge DOPT and UNDP for this wonderful doucment and I hope that through this blog it will reach to its true readers. I have taken relevant points in my view from the chapters. <i><u>You can read full report on link given below-</u></i><br />
<a href="http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf">http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf</a><br />
Best of luck,<br />
Keshvendra Kumar, IAS,<br />
District Collector, Wayanad, Kerala Best of luck.<br />
<br />
Keshvendra Kumar, IAS<br />
District Collector, Wayanad, Kerala<br />
<br /></div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4039555194250942097.post-90001992754338091122015-10-24T18:08:00.001+05:302015-10-24T18:08:44.785+05:30CIVIL SERVICES MAINS EXAM GENERAL STUDIES 4TH PAPER part 1<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
Friends, many of you ask about good books available for fourth paper of General studies of civil service mains examination. It is a fact that there is no comprehensive book available for this paper. It is a highly subjective paper where opinion of examiner matters a lot. So, if you do have a mirror which reflects that what is expectation of government on these matters from you, that will be very much useful. Normally, Indian Constitution and Administrative Reforms Committed report is very much useful for this paper. Recently, I came across with a well written document prepared by Department of personnel and training, Govt. of India and United Nations Development programme named "Civil Services
Competency
Dictionary" and Tool Kit for its effective implentation. I assure you that it will be highly useful as it covers almost half of your GS fourth paper syllabus including case studies. It gives you immense insight about expectation of UPSC or Government from you. It will help you a lot for case studies.<br />
<br />
Syllabus of GS fourth paper for mains examination is reproduced below:-<br />
<b>General Studies- IV: Ethics, Integrity,</b><br />
<b>and Aptitude</b><br />
This paper will include questions to test<br />
the candidates' attitude and approach to<br />
issues relating to integrity, probity in public<br />
life and his problem solving approach<br />
to various issues and conflicts faced by<br />
him in dealing with society. Questions<br />
may utilise the case study approach to<br />
determine these aspects. The following<br />
broad areas will be covered.<br />
<b>1.Ethics and Human Interface:</b><br />
Essence, determinants and consequences<br />
of Ethics in human<br />
actions; dimensions of ethics;<br />
ethics in private and public relationships.<br />
Human Values - lessons<br />
from the lives and teachings<br />
of great leaders, reformers and<br />
administrators; role of family, society<br />
and educational institutions in<br />
inculcating values.<br />
<b>2.Attitude</b>: content, structure, function;<br />
its influence and relation with<br />
thought and behaviour; moral and<br />
political attitudes; social influence<br />
and persuasion.<br />
3.<b>Aptitude and foundational values</b><br />
<b>for Civil Service</b> , integrity, impartiality<br />
and non-partisanship, objectivity,<br />
dedication to public service,<br />
empathy, tolerance and compassion<br />
towards the weaker-sections.<br />
4.<b>Emotional intelligence</b>-concepts,<br />
and their utilities and application in<br />
administration and governance.<br />
5.<b>Contributions of moral thinkers and</b><br />
<b>philosophers from India and world.</b><br />
6.<b>Public/Civil service values and</b><br />
<b>Ethics in Public administration:</b><br />
Status and problems; ethical concerns<br />
and dilemmas in government<br />
and private institutions; laws,<br />
rules, regulations and conscience<br />
as sources of ethical guidance;<br />
accountability and ethical governance;<br />
strengthening of ethical<br />
and moral values in governance;<br />
ethical issues in international relations<br />
and funding; corporate governance.<br />
7.<b>Probity in Governance</b>: Concept of<br />
public service; Philosophical basis<br />
of governance and probity;<br />
Information sharing and transparency<br />
in government, Right to<br />
Information, Codes of Ethics,<br />
Codes of Conduct, Citizen's<br />
Charters, Work culture, Quality of<br />
service delivery, Utilization of public<br />
funds, challenges of corruption.<br />
8.<b>Case Studies on above issues.</b><br />
------------------------------------------------------------------<br />
<i><u><br /></u></i>
<i><u>Friends, I am sharing with you summary of this report with my observation. You can read this report on link given below-</u></i><br />
<a href="http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf">http://persmin.gov.in/otraining/Competency%20Dictionary%20for%20the%20Civil%20Services.pdf</a><br />
<br />
<i><u><b>Competencies</b> are those </u></i><i><u>underlying characteristics of an employee – motive, </u></i><i><u>trait, skill, aspects of one’s social image, social role or a </u></i><i><u>body of knowledge, which can result in effective and/or </u></i><i><u>superior performance in a job or role’.</u></i><br />
<i><u><br /></u></i>
<br />
<i><u><b>Knowledge & </b></u></i><i><u><b>Skill-</b> Knowledge is the operational or technical understanding</u></i><br />
<i><u>a person has about something and skills are the things a </u></i><i><u>person can do.</u></i><br />
<i><u><b>Social Role</b>-Social role relates to how we project ourselves in our </u></i><i><u>roles.</u></i><br />
<i><u><b>Self Image-</b>Self-image relates to the attitudes and values we hold,</u></i><br />
<i><u>what is important to us as individuals, and how we feel </u></i><i><u>about ourselves.</u></i><br />
<i><u><b>Traits-</b></u></i><br />
<i><u>Traits are the characteristics or consistent responses of </u></i><i><u>someone. For example, someone may demonstrate the </u></i><i><u>trait of self-control consistently when confronted. </u></i><i><u>. A person’s </u></i><i><u>traits may be very helpful in a job, especially when the job </u></i><i><u>calls for the kind of traits a person has.</u></i><br />
<i><u></u></i><br />
<i><u><b>Motives-</b>Motives are the things a person consistently thinks about </u></i><i><u>or wants, which cause them to take action. For example, </u></i><i><u>a person may be highly achievement-oriented and this </u></i><i><u>may drive their performance on the job. Or a person may </u></i><i><u>be motivated by affiliation or friendship and this may </u></i><i><u>drive their performance because the job involves dealing </u></i><i><u>with many people</u></i><br />
<i><u><br /></u></i>
<i><u><br /></u></i>
<i><u><b>Characteristics of Good Governance</b></u></i><br />
<i><u>Accountability, Transparency, Equity and Inclusiveness, Participatory, Consensus Orientation,</u></i><br />
<i><u>Following Rule of Law, Effectiveness and Efficiency</u></i><br />
<i><u><br /></u></i>
<i><u><br /></u></i>
<i><u><b>Competency Framework for the Indian Civil Services</b></u></i><br />
<i><u><br /></u></i>
<i><u><b>ETHOS</b></u></i><br />
<i><u>-Exhibits citizen</u></i><br />
<i><u>centricity</u></i><br />
<i><u>and</u></i><br />
<i><u>inclusiveness,</u></i><br />
<i><u>promotes</u></i><br />
<i><u>public</u></i><br />
<i><u>good and</u></i><br />
<i><u>long-term</u></i><br />
<i><u>interests of the</u></i><br />
<i><u>Nation</u></i><br />
<i><u><b>ETHICS</b></u></i><br />
<i><u>Demonstrates</u></i><br />
<i><u>integrity,</u></i><br />
<i><u>transparency,</u></i><br />
<i><u>openness and</u></i><br />
<i><u>fairness</u></i><br />
<i><u><b>EQUITY</b></u></i><br />
<i><u>Treats all</u></i><br />
<i><u>citizens alike,</u></i><br />
<i><u>ensures justice</u></i><br />
<i><u>to all, with</u></i><br />
<i><u>empathy</u></i><br />
<i><u>for the weaker</u></i><br />
<i><u>section</u></i><br />
<i><u><b>EFFICIENCY</b></u></i><br />
<u><i>Promotes</i></u><br />
<u><i>operational</i></u><br />
<u><i>excellence and</i></u><br />
<u><i>value for</i></u><br />
<u><i>money,</i></u><br />
<u><i>manages</i></u><br />
<u><i>human capital</i></u><br />
<u><i>and nurtures</i></u><br />
<u><i>capability</i></u><br />
<i><u><br /></u></i>
<br />
This report is divided in following topics-<br />
1<b>. Ethos</b> | 1.1 People First | 1.2 Strategic Thinking | 1.3 Organisational Awareness | 1.4 Commitment to the Organisation | 1.5 Leading Others |<br />
<b>2. Ethics</b> | 2.1 Integrity | 2.2 Self-Confidence | 2.3 Attention to detail | 2.4 Taking Accountability<br />
<b>3. Equity</b> | 3.1 Consultation and Consensus Building | 3.2 Decision Making | 3.3 Empathy | 3.4 Delegation<br />
<b>4. Efficiency</b> | 4.1 Result Orientation | 4.2 Conceptual Thinking | 4.3 Initiative and Drive | 4.4 Seeking Information | 4.5 Planning and Coordination | 4.6 Desire for Knowledge | 4.7 Innovative Thinking | 4.8 Problem Solving | 4.9 Developing Others | 4.10 Self Awareness and Self Control | 4.11 Communication Skills | 4.12 Team-Working <br />
<br />
<br />
in next part of my article, I'll come to the topics one by one.<br />
<br />
I sincerly acknowledge DOPT and UNDP for this wonderful doucment and I hope that through this blog it will reach its future target audience- Aspiring civil servants.<br />
Best of luck,<br />
Keshvendra Kumar, IAS,<br />
District Collector, Wayanad, Kerala</div>
KESHVENDRA IAShttp://www.blogger.com/profile/08624176577796237545noreply@blogger.com2