शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

आदिवासी प्रश्न-वायनाड(केरल) के सन्दर्भ में

केरल राज्य में एक बड़ी ही प्यारी सी जगह है वायनाड | कैलिकट, ऊटी, मैसूर और कुर्ग जैसी घूमने में प्यारी जगहों के पास है यह जिला | प्रकृति ने इसे सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है | चाय और कॉफ़ी के बगान तो कहीं नारियल और सुपारी के पेड़, छोटी-छोटी सुन्दर पहाड़ियां, हाथी,बाघ,हिरण, चिड़ियों और तितलियों से भरे घने जंगल,  हंसती-गाती नदियाँ और खिलखिलाते झरने | पश्चिम घाट की गोद में बसे इस हिल स्टेशन की शोभा ही निराली है | लाखों देसी-विदेशी सैलानियों के मन को हरने वाली है यह जगह | लेकिन इस जगह का एक सच और भी है |

केरल राज्य में सबसे ज्यादा आदिवासी जनसंख्या वाला जिला है वायनाड | कुरिचिया, कुरमा, पणीया, अडिया, काट्टूनाइकर, उराली जैसी आदिवासी जातियां यहाँ बस्ती है | इनमे  पणीया, अडिया, काट्टूनाइकर आदिवासी जातियों की अवस्था काफी सोचनीय है | अपनी जमीन से विस्थापित, मजदूरी कर जीने को मजबूर, शराब और नशे के हाथों अपनी जिन्दगी दांव पर लगाते ये लोग वाकई में समय की तेज चाल में अपने को लाचार महसूस कर रहे हैं |

वायनाड में पिछले साल जिला कलक्टर बन कर आने के बाद इन आदिवासियों की दशा को जानने के लिए हमने 'ट्राइबल हेल्पलाइन एंड वेलफेयर मोनिटरिंग सेल' का गठन किया और  हमारी टीम ने "कॉलोनी मित्रम " नाम से हर महीने जिले के सभी अधिकारीयों के साथ आदिवासी कॉलोनी भ्रमण की शुरुआत की | बहुत सारी छोटी-छोटी समस्याएँ सुलझाने में और इन लोगों तक सरकारी सेवाओं की पहुँच बढ़ने के साथ एक अपनेपन की भावना जगाने में इस प्रोग्राम से काफी मदद मिली लेकिन धीरे-धीरे यह भी समझ आ रहा है की इनकी समस्याओं की जड़ें काफी गहरी है और इसे सुलझाने में वक़्त लगेगा | महीने में एक बार आदिवासी संगठनों के साथ मीटिंग भी काफी फलप्रद रही है |

शोषण का मकडजाल सा फैला है | आदिवासी गरीब है, भोला-भाला है और यही वजह है की सौ में नब्बे लोग उसे ठगने को तैयार बैठे हैं | वो अपना घर बनाने के लिए किसी ठेकेदार पर भरोसा करे तो उसे मिलता है अधूरे ख्वाबों सा अधूरा घर | शराब के चंगुल में फंसा कर उससे दस से बारह घंटे तक काम निकलने को  भी कुछ अमानवीय लोग तैयार बैठे हैं | आदिवासी स्त्रियों के शोषण को भी कामुक लोग अवसर की तलाश में रहते हैं |  खैर, कानून के शिकंजे के कसने के बाद अब ऐसे लोगों में डर पैदा हो रहा है जो कि शुभ संकेत है |

वायनाड जिले में अपनी तरह की एक अनूठी पहल में हम लोगों ने आदिवासी घरों के निर्माण के लिए हर पंचायत में एक आदिवासी भवन निर्माण सोसाइटी की स्थापना करवाई जो की अब अपना कमाल दिखाना शुरू कर रही है | बेनामी और बेईमान  ठेकेदारों के खिलाफ भी कड़ी कारर्वाई की जा रही है |

शिक्षा और अच्छी नौकरी ही मेरे विचार में इन लोगों को इनकी वर्तमान अवस्था से उबरने में मदद कर सकती है | इनका जो स्वाभिमान और अपनी भाषा-सभ्यता-संस्कृति पर गर्व खो सा गया है, इनके अपने गीतों की जो लड़िया टूट सी गयी है, इनकी लोककथाओं का जो हिस्सा गुम सा गया है, उसे वापस लाने के लिए इन्हें अच्छी शिक्षा और रोजगार से सशक्त करना बहुत ही जरुरी है |

आज का एक अनुभव आप लोगों के साथ बांटना चाहूँगा | आदिवासी लोगों के बीच काफी अच्छा काम कर रही सामाजिक कार्यकर्त्ता धन्या के निमंत्रण पर चीरपम नाम की आदिवासी कॉलोनी में आज शाम को गया | करापुज़ा बाँध के पास बसी इस पनिया कॉलोनी में एक भी पक्का घर नहीं था, बिजली नदारद थी, शौचालय का पता नही था और पीने का पानी एक कच्चे कुँए से आ रहा था जो बिलकुल भी पीने लायक नहीं था | आज तक वायनाड में सैकड़ों कॉलोनी मैंने घूमी है लेकिन इस कॉलोनी की दशा को देखकर मन भारी हो गया | पास में एक शानदार सा रिसोर्ट मानों इस कॉलोनी और इसके दयनीय निवासियों को मुंह चिढ़ा रहा था |

इस कॉलोनी के लोग करापुज़ा बाँध के बनने के बाद विस्थापित हुए लोग थे जिन्हें जमीन के कागज दिए गए थे, पर वो जमीन कहाँ हैं उन्हें पता तक नहीं था | कॉलोनी में तीस के आसपास घर थे और थे आशा से भरे हुए पच्चीस छोटे- छोटे बच्चे | इन्ही बच्चों की पढाई का स्तर सुधारने की पहल करने धन्या यहाँ आई थी | जिले के मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर इस कॉलोनी की विडम्बना यह की इन लोगों को अब यह लगता ही कि किसी से शिकायत करके कुछ होनेवाला नहीं है | मैं अपने कार्यालय में जनता से बिना किसी रोक-टोक के मिलता हूँ और कोई भी कभी भी मुझसे कार्यालय में मिलने आ सकता है, ऐसी व्यवस्था मैंने रखी है, इसके बावजूद इस कॉलोनी की दयनीय दशा के बारे में मेरे पास कोई भी शिकायत या सुझाव नहीं पंहुचा था |

खैर, इस सप्ताह इस कॉलोनी के लोगों के साथ ओणम मानाने की तयारी है और लगभग एक से दो महीने के समय में इन लोगों को इनकी जमीन और फिर घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए हमारी टीम प्रतिबद्ध है | इस ओणम में इस कॉलोनी के लोगों खासकर बच्चों के जीवन में फूलों के रंग खिल सके, इसीमे इस ओणम की सार्थकता होगी, इसीमे महाबली जो ओणम के समय अपने प्यारे केरल प्रदेश को देखने आते हैं, को संतोष की प्राप्ति होगी | आप सभी को भी ओणम की शुभकामनाएं |
केशवेन्द्र कुमार आईएएस
जिला कलक्टर वायनाड
 

15 टिप्‍पणियां:

  1. सर,आपकी कोशिश जरूर रंग लाएँगी।और आदिवासी जनजातीयों का वर्तमान और भविष्य सुधरेगा।
    कृपा सर,IAS mains gk के पेपर 4 और philosophy optional विषय के लिए किताबें बताइए. Plz sir.धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. सर, मन में एक प्रश्न था, जिस पर आपका मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हुआ है।
    इंटरव्यू के समय हिंदी माध्यम लेने के बाद भी क्या अंग्रेजी में प्रश्न पूछे जा सकते हैं? यदि मैंने हिंदी माध्यम का चयन किया है और इंटरव्यू में गैर हिंदी भाषी महानुभाव हों तो ऐसे समय क्या करना चाहिए?
    क्या अंग्रेजी में वार्तालाप का अच्छा अभ्यास होना आवश्यक है?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Aap apne jawab Hindi me de. Aise achhi English aana aapko aatmviswas ke sath Hindi bolne me sahayak hoga.

      हटाएं
  3. sir thanks nahi bolunga kyonki aap desh ki sewa kar rahe hai
    aaj desh ko aap jaise hi Officers ki jarurat hai
    aaphamesha aise hi kaary karte rahiyega aisi hi aasha hai aapse
    Jai HIND
    Jai BHARAT

    and sir Philosophy optional ke liye konsi book sahi rahegi

    जवाब देंहटाएं
  4. देश के दशमांश नौकरशाहों में ऐसी संवेदनशीलता आ जाए तो काया कल्प हो जाए.
    आपके ऐसे प्रयास अविरत,निरंतर रहेंगे ऐसी कामना है

    जवाब देंहटाएं
  5. सर हम भी ऐसे ही देश की और समाज की सेवा करना चाहते हैं

    जवाब देंहटाएं
  6. सर हम भी ऐसे ही देश की और समाज की सेवा करना चाहते हैं

    जवाब देंहटाएं
  7. सर हम भी ऐसे ही देश की और समाज की सेवा करना चाहते हैं

    जवाब देंहटाएं