शुक्रवार, 9 मार्च 2012

IPS ऑफिसर नरेंद्र की शहादत

मध्य प्रदेश कैडर के युवा IPS अधिकारी नरेन्द्र की खनन माफियाओं द्वारा हत्या की खबर झकझोरने वाली है. इस शोक की घड़ी में हम सब उनके परिवारवालों और सबसे बढ़कर उनकी पत्नी और अपनी बैचमेट मधु के साथ हैं. भगवान पर से कभी-कभी विश्वास डोलता हुआ महसूस होता है जब अच्छे लोगों के साथ ऐसी घटना होती है. इन खनन माफियाओं और उनका साथ देने वाले टुच्चे लोगों चाहे वो राजनीति में हो या प्रशासन में, को उनकी असली औकात और जगह (जेल) दिखाए जाने की सख्त जरुरत है.
मध्य प्रदेश में २००९ बैच के जांबाज ईमानदार IPS ऑफिसर नरेंद्र की हत्या के बाद बिहार में स्वर्णिम चतुर्भुज योजना में भ्रष्टाचार को उजागर करने पर मार डाले गए सत्येन्द्र डूबे और उन जैसे सारे ईमानदार लोगों की शहादत याद आ रही है. इन सारे शहीदों की वीरता को नमन और अपनी  एक पुरानी कविता से श्रद्धांजलि


ईमान मर नहीं सकता


आज के इस भयानक दौर में,
जहाँ ईमान की हर जुबान पर
खामोशी का ताला जडा है.
चाभी एक दुनाली में भरी
सामने धरी है ,

फ़िर भी मैं कायर न बनूँगा
अपनी आत्मा की निगाह में
फ़िर भी मैं, रत्ती भर न हिचकूंगा
चलने में ईमान कि इस राह पे।

मैं अपनी जुबान खोलूँगा
मैं भेद सारे खोलूँगा-
(बेईमानों- भ्रष्टाचारियों की
काली करतूतों के )
मैं चीख-चीख कर दुनिया भर में बोलूँगा-
ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है।

मैं जानता हूँ कि परिणाम क्या होगा-
मेरी जुबान पर पड़ा खामोशी का ताला
बदल जाएगा फांसी के फंदे में
और फंदा कसता जायेगा-
भिंच जायेंगे जबड़े और मुट्ठियाँ
आँखें निष्फल क्रोध से उबलती
बाहर आ जाएँगी
प्राण फसेंगे, लोग हसेंगे
पर संकल्प और कसेंगे.

देह मर जायेगा मगर
आत्मा चीखेगी, अनवरत, अविराम-
''ईमान झुक नहीं सकता,
ईमान मर नही सकता,
चाहे हालत जो भी हो जाये,
ईमान मर नही सकता,
ईमान मर नही सकता.
-2004 -

(स्वर्णिम चतुर्भुज योजना में भष्टाचार को उजागर करने पर जान से हाथ धोने वाले 'यथा नाम तथा गुण' सत्येन्द्र डूबे तथा ईमान की हर उस आवाज को समर्पित जिसने झुकना गवारा ना किया बेईमानी के आगे. )